आने थे 425, ट्रेन से उतरे 159 प्रवासी
मझगवां बहादुरपुर वाला विजय सिंह दिल्ली से 25 को सौ शैय्या अस्पताल छिबरामऊ आया था सीधा। उसे बुखार आ रहा था और वह भर्ती कर लिया गया तथा सैंपल लेकर जांच को भेज दिया गया। उसी दिन रात को वह अस्पताल से चुपचाप घर चला गया और अगले दिन 26 को वह फिर अस्पताल में भर्ती हो गया। ऐसे में इमरजेंसी में मौजूद स्टाफ को भी संक्रमित होने की आशंका है। वह रात में गांव गया था इस वजह से हॉटस्पॉट बनाया जा रहा है। यदि अस्पताल में ही रहता तो गांव हॉटस्पॉट न होता
जागरण संवाददाता, कन्नौज: लॉकडाउन के चतुर्थ चरण में राजस्थान से प्रवासी कामगारों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन एक बार फिर जिले में आई। इस बार हरदोई, फर्रुखाबाद व कन्नौज जिलों के 159 यात्रियों को उतारा गया। रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिग के बाद सभी प्रवासियों को रोडवेज बस से उनके गृह जनपदों में भेजा गया। प्रशासन को 425 लोगों के आने की जानकारी दी गई थी।
बुधवार तड़के 4 बजकर 55 मिनट पर शहर के रेलवे स्टेशन पर जयपुर से आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन आकर रुकी। स्टेशन पर सुरक्षा के पहले से ही इंतजाम किए गए थे। ट्रेन से उतरने के बाद प्रवासियों को शारीरिक दूरी के साथ खड़ा किया गया, इसके बाद उनकी थर्मल स्क्रीनिग की गई, फिर स्टेशन से बाहर निकलने दिया गया। इन प्रवासियों को रोडवेज बसों से उनके गृहजनपदों को भेजा गया। ट्रेन से 425 लोगों को उतरना था। मगर 159 लोग ही उतरे। इस पर प्रशासन ने माइक से सभी को आवाज दी। जो कन्नौज, हरदोई और फर्रुखाबाद का हो, वह नीचे उतर आए। काफी देर तक किसी के न उतरने पर अफसरों ने आवाज देनी बंद कर दी। करीब एक घंटे बाद ट्रेन को बनारस के लिए रवाना कर दिया गया। प्रवासियों को बस तक पहुंचाने को परिवहन विभाग व शिक्षा विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ट्रेन से उतरने के बाद प्रवासियों ने राहत की सांस ली और घर के लिए रवाना हो गए। दिखाई दी संवेदनहीनता
जयपुर से आईं जनपद सीतापुर की जूली देवी रोडवेज बस में चढ़ने से पहले गश खाकर गिर पड़ीं। इस दौरान वहां शिक्षा विभाग व परिवहन विभाग के कई अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे, लेकिन किसी ने उसे उठाने की जहमत नहीं उठाई। थोड़ी देर बाद महिला को ही चेतना आई तो वह उठकर रोडवेज बस में सवार हुई। हर बार धोखा दे जातीं खटारा बसें
परिवहन निगम में बसों की कंडीशन कितनी अच्छी है, इसका अंदाजा तस्वीर को देखकर लगाया जा सकता है। जब-जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन जिले में आई तो रोडवेज बसों ने धोखा दिया है। यात्रियों के बैठने के बाद एक बस को कर्मचारियों ने धक्का दिया, तब वह स्टार्ट हुई। इससे पहले भी दो बार इस तरह के वाकया हो चुके हैं। बच्चे का नाम ही रख दिया करीमुद्दीन!
जयपुर के सांगानेर में नाईगीरी का काम करने वाले करीमुद्दीन भी अपनी पत्नी करिश्मा व दो बेटों के साथ रेलवे स्टेशन पर उतरे। करिश्मा की गोद में एक छह दिन का बेटा था। उसने बताया कि कोरोना संक्रमण काल में उसके बेटे का जन्म हुआ, इसलिए उसने उसका करीमुद्दीन नाम ही रख दिया। करीमुद्दीन फर्रुखाबाद के मोहल्ला बजरिया के मूल निवासी हैं।