रसूले पाक ने इंसानियत को दी नई जिंदगी
अमरोहा। आलिमेदीन हजरत मौलाना अब्दुल हन्नान कासमी ने कहा कि रसूले पाक जब दुनिया में तशरीफ लाए तो इंसानियत को नई जिंदगी मिली। आप ने खून से बढ़ कर दीन का रिश्ता दुनिया को दिया। दीन के इस रिश्ते से दुनिया में इत्तेहाद व इत्तेफाक का नायाब नमूना पेश-ए-नजर आया।
सोमवार रात मुस्लिम कमेटी के तत्वावधान में नगर के मुहल्ला नौबतखाना में जलसा मुनकिद किया गया। जश्ने ईद मिलादुन्नबी के सिलसिले में 17 रोजा तकरीबात प्रोग्राम के इस जलसे का आगाज कारी यासिर फारूकी ने तिलावते कलामे पाक से की। उसके बाद मौलाना साद अमरोहवी, जुबैर इब्ने सैफी, हाफिज शमीम अमरोहवी ने दरबारे रिसालत में नाते पाक का नजराना पेश किया। उसके बाद दिल्ली से तशरीफ लाए आलिमेदीन हजरत मौलाना अब्दुल हन्नान कासमी ने कहा रसूले पाक जब दुनिया में तशरीफ लाए तो जहालत व काहिली का अंधेरा छाया हुआ था। लोग एक दूसरे के दुश्मन थे और ईमान से दूर हो चुके थे। आपने लोगों को अल्लाह का पैगाम सुनाया और दुनिया को खून से भी बढ़कर दूसरा रिश्ता दिया। जिसे दीन का रिश्ता कहते हैं। मौलाना ने कहा कि रसूले पाक ने इंसानियत को नई जिंदगी दी। दीन के इस रिश्ते से दुनिया में इत्तेफाक व इत्तेहाद की बुनियाद रखी गई और अमन का नायाब नमूना सामने आया। बाद में दुआ-ए-खैर की गई। जलसे में हाजी मोहम्मद साबिर, हाजी खुर्शीद अनवर, असलम हुसैन उसमानी, मरगूब अहमद, जहीर अहमद, मंसूर अहमद, जुबैर सैफी, शादाब अहमद, साजिद खां, हाजी अब्दुल कय्यूम रायनी, हाजी उवैस मुस्तफा रिजवी, कमर नकवी, रौनक सलमानी, इकराम हुसैन, नईमुल हक, शरीफ अहमद, खालिद सिद्दीकी, नौशाद अली, फहीम शाहनवाज, हाजी जहीर आलम मौजूद रहे।
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