झांसी में महिला ने पेश की मिसाल, किया अपने पति का अंतिम संस्कार
झांसी में पति की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर उपजे एक कड़े उहापोह से निपटने के लिए आज एक पत्नी ने अंतिम संस्कार का निर्णय लिया।
झांसी (जेएनएन)। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस के एक दिन बाद ही झांसी की एक महिला ने बेहद साहसिक काम किया है। अपने पति की मौत के बाद अंतिम संस्कार को लेकर उपजे संकट को महिला ने समाप्त कर दिया और पति की चिता को मुखाग्नि दी।
झांसी में पति की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार को लेकर उपजे एक कड़े उहापोह से निपटने के लिए आज एक पत्नी ने अंतिम संस्कार का निर्णय लिया। झांसी के मोहिनी बाबा बाहर सैंयर गेट निवासी अध्यापिका ममता चौरसिया के पति रमेश चंद्र चौरसिया पुत्र स्वर्गीय सतीश चंद्र चौरसिया का कल देर रात करीब 62 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
उनकी अंतिम यात्रा आज ही उनके घर से निकालने का निर्णय लिया गया। यहां तक तो सब ठीक था, पर इसके बाद सवाल उठने शुरू हो गए कि अंतिम संस्कार कौन करेगा। चिता को मुखाग्नि कौन देगा।
सनातन धर्म में अमूमन यह माना जाता रहा है कि पत्नियां शमशान नहीं जा सकतीं, लेकिन एक महिला ने पुराने रीति-रिवाजों को पीछे छोड़ कर अपने पति की चिता को अग्नि देने का फैसला किया। पहले तो सभी हैरान रह गए, कुछ लोगों ने मना भी किया लेकिन उसके बाद सभी ने महिला के साथ देने का फैसला किया। रमेश चंद चौरसिया और ममता चौरसिया को बेटा नहीं था। रमेश को 7 जून को अस्थमा का अटैक आया था। उनको एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ दिन आराम मिला मगर आज तड़के उन्हें फिर अटैक आया और उनका देहांत हो गया। चौरसिया दंपति की एक बेटी भी है, जिसकी शादी मुम्बई हुई है।
ममता ने बेटी को दुखदायी खबर दी, लेकिन बेटी के आने इंतजार किये बिना ही उन्होंने अंतिम क्रिया से संबंधित सभी रस्मों की अदायगी कर दी। रोते हुए उन्होंने अपने पति को अंतिम विदाई दी।इनके एक ही पुत्री है, जो कि बाहर रहती है, उसका एक दिन में झांसी आना संभव नहीं था। इस स्थिति से निपटने के लिए उनकी पत्नी ममता आगे आ गईं। उन्होंने अपने पति की चिता को मुखाग्नि देने का फैसला किया। आज उसने पूरे रीति रिवाज के साथ पति का अन्तिम संस्कार किया।