Move to Jagran APP

सम्मान व वीरता का प्रतीक है पान का बीड़ा

आज है दशहरा झाँसी : असत्य पर सत्य की जीत के पर्व दशहरा पर रावण दहन के बाद लोग एक दूसरे को पान खिला

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 07:17 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 09:14 PM (IST)
सम्मान व वीरता का प्रतीक है पान का बीड़ा
सम्मान व वीरता का प्रतीक है पान का बीड़ा

आज है दशहरा

loksabha election banner

झाँसी : असत्य पर सत्य की जीत के पर्व दशहरा पर रावण दहन के बाद लोग एक दूसरे को पान खिलाते हैं। यह वीरता का प्रतीक है। त्रेतायुग से चली आ रही इस परम्परा के अनुसार पान का बीड़ा खिलाने से दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। कहते हैं कि इस दिन लोग अपनी दुश्मनी भुलाकर एक-दूसरे को पान खिलाकर पुन: दोस्ती के बन्धन में बँध जाते हैं। भगवान राम ने लंका में रावण का वध किया था तो वानर सेना ने सम्मान व वीरता के प्रतीक के रूप में एक-दूसरे को पान के पत्ते खिलाए थे। इतिहासवेत्ता हरगोविन्द कुशवाहा ने बताया कि दशहरे के दिन गाँव-गाँव में घर-घर में पान की थाली सजाई जाती है और एक-दूसरे को पान खिलाया जाता है। उन्होंने बताया कि बुन्देलखण्ड के महोबा में पान की खेती होती है। यहाँ के वीर शासक आल्हा-उदल के समय जब कोई लड़ाई छिड़ जाती थी तो सभी योद्धाओं के समक्ष पान का बीड़ा रखा जाता था। जो भी उस पानके बीड़ा को उठाकर चबा लेता था, वह लड़ाई उसके ही नेतृत्व में लड़ी जाती थी।

नीलकण्ड के दर्शन होते हैं शुभ

समुद्र मन्थन के समय जब हलाहल निकला तो हाहाकार मच गया। भगवान शिव ने उस विष को पी लिया, लेकिन माता पार्वती ने उनका गला दबा दिया ताकि विष शरीर में न जा सके। इससे भगवान शंकर का गला नीला पड़ गया और तभी से उनका एक नाम 'नीलकण्ठ' हो गया। नीलकण्ठ नामक पक्षी को शिव का अवतार माना जाता है। दशहरे के दिन इसके दर्शन को शिव का दर्शन मानते हुए बेहद शुभ माना जाता है।

सृष्टि को बचाने के लिए विष्णु ने लिया मत्स्य अवतार

जब जल प्रलय हुआ तो चारों और सृष्टि का विनाश शुरू हो गया। तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया। धर्मग्रन्थों के अनुसार यह उनका प्रथम अवतार था। मछली के रूप में अवतार लेकर विष्णु ने एक ऋषि को सभी प्रकार के जीव-जन्तुओं को एकत्र करने को कहा, ताकि उनकी जान बचाई जा सके। मत्स्य अवतार में भगवान ने उस ऋषि की नाव को खुद से बाँध कर नौका को पार लगाया था। इसलिए दशहरे के दिन मछली के दर्शन को भी शास्त्रों में विशेष महत्व देते हुए शुभ बताया गया है।

कड़ी सुरक्षा के बीच जाएंगी खटीक समाज की माँ काली

झाँसी : महानगर में नवरात्रि में लगाई गई 140 देवी प्रतिमाएं दशहरे को विसर्जन के लिये लक्ष्मी तालाब में बनाए गए सिद्ध का चौपड़ा में जाएंगी। इनमें 42 प्रतिमाएं भक्तों के कन्धों पर तो 98 प्रतिमाओं को वाहनों पर ले जाया जाएगा। 15 अक्टूबर को होने वाले इस सामूहिक प्रतिमा विसर्जन की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। सबसे पहले खटकयाना में खटीक समाज द्वारा स्थापित की गई माँ काली की प्रतिमा को निकाला जाएगा।

जय माता महाकाली उत्सव समिति खटीक समाज मेवातीपुरा के तत्वावधान में विराजमान की जाने वाली माँ काली की प्रतिमा कन्धों पर लक्ष्मी ताल तक जाएगी। समिति के अध्यक्ष सुनील महावने व सदस्य संजय छत्रसाल ने बताया कि पहले से ही पुलिस व प्रशासन द्वारा सुरक्षा के इन्तजाम कर लिए जाते हैं। इस बार कोविड-19 के नियमों का पालन करने की सभी भक्तों से अपील की गई है। उन्होंने बताया कि दशहरे को अपराह्न 3.35 बजे प्रतिमा मेवातीपुरा से उठाई जाएगी। यहाँ से दरीगरान, नरिया बाजार, गन्दीगर का टपरा, कोतवाली, सिन्धी तिराहा, दयासागर कम्पाउण्ड, मानिक चौक, मालिनों का तिराहा से बड़ा बा़जार होते हुए लक्ष्मी गेट बाहर स्थित तालाब पर जाएगी। यहाँ बने चौपड़ा में प्रतिमा को विसर्जित किया जाएगा। माँ के विसर्जन की इस यात्रा में 35 से 40 मिनट का समय लगता है। सदर बाजार व मुन्नालाल की धर्मशाला में विराजी माँ काली की प्रतिमा मेवातीपुरा की प्रतिमा के बाद निकाली जाएंगी। इसके बाद ही अन्य देवी प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए निकाला जाएगा।

इस बार महानगर में लगभग 225 छोटी-बड़ी प्रतिमाएं स्थापित की गयी हैं। नवदुर्गा महोत्सव महासमिति के पुरुषोत्तम स्वामी ने बताया कि 140 प्रतिमाएँ नम्बर के साथ शोभायात्रा सिन्धी तिराहे से निकलेगी। बिना नम्बर वाली अन्य प्रतिमाएं पहूज, बेतवा आदि नदियों में भी विसर्जन के लिये जाएंगी। फूटा चौपड़ा में स्थापित माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन फूटा चौपड़ा दुर्गा बाड़ी में बनाये गये कुण्ड में किया जायेगा।

- डॉ. दयासागर दुबे कम्पाउण्ड मानिक चौक में माँ माहेश्वरी देवी के दरबार की विसर्जन शोभायात्रा 15 अक्टूबर को शाम 4 बजे के बाद लक्ष्मी तालाब के लिए आरम्भ होगी। यह जानकारी मनमोहन मनु ने दी।

- शहीद पार्क माँ दुर्गा उत्सव समिति के रामू बिन्दल द्वारा बताया गया कि समिति द्वारा स्थापित प्रतिमा की विसर्जन यात्रा 15 अक्टूबर को अपराह्न 3:30 बजे आरम्भ होगी।

फोटो

:::

महानवमी पर जयकारों के बीच हुए कन्या पूजन व भण्डारे

झाँसी : शारदीय नवरात्र के अन्तिम दिन दुर्गा नवमी को पूरे नगर में भक्तिमय माहौल रहा। पचकुइयाँ, लहर की देवी, छोटी माता मन्दिर, महाकाली सिद्धपीठ, सदर बा़जार स्थित काली माता मन्दिर आदि स्थानों पर सुबह से ही नवमी पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। जगह-जगह नवमी की पूजा के साथ कन्या भोज व भण्डारों का आयोजन हुआ। नवरात्र के आखिरी दिन दुर्गा पण्डालों में भी भीड़ रही। रात को महाआरती की गई। भव्यता के साथ सजाए गए इन पण्डालों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हुआ जिसमें बच्चों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

- श्री सिद्धेश्वर मन्दिर प्रांगण में स्थापित माँ बगलामुखी पीताम्बरा मन्दिर में शारदीय नवरात्र में महानवमी पर्व पर आचार्य राजीव पाठक के मन्त्रोच्चारण के साथ विधि विधान से महाआरती की गई। इस अवसर पर आचार्य हरिओम पाठक, विधायक रवि शर्मा, विधान परिषद सदस्य रमा निरंजन, रवीश त्रिपाठी, बाबूलाल तिवारी, सन्ध्या त्रिपाठी, मुन्नी पाठक, सोनू शर्मा आदि उपस्थित रहे।

- श्री नवज्योति दुर्गा मण्डल पचकुइयाँ द्वारा लगाई गई प्रतिमा की नवमी के अवसर पर महाआरती 151 नारियल की आहुति देकर की गई। माता का श्रृंगार महेन्द्र मकड़ारिया ने किया। इस अवसर पर कन्या भोज व विशाल भण्डारे का भी आयोजन हुआ।

श्रद्धालुओं ने छका भण्डारा

- केके पुरी कॉलोनी स्थित प्राचीन माँ देवी मन्दिर प्रांगण में कन्या भोज व भण्डारे का आयोजन हुआ। मन्दिर प्रभारी रमेश भगत ने बताया कि देवी का श्रृंगार कर विधि-विधान से पूजन किया गया। इस अवसर पर दिलीप सोनी, दौलतराम कुशवाहा, राजीव श्रीवास्तव, अंकित राय, विकास पुरी गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।

- शहीद पार्क झोकनबाग में माँ दुर्गा उत्सव समिति के तत्वावधान में दुर्गा महानवमी पर्व पर आचार्य राजाराम शास्त्री द्वारा पूजन कर महाआरती की गई। यहाँ देर रात तक भण्डारा आयोजित हुआ। इसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद प्राप्त किया। इस अवसर पर जय किशन प्रेमानी, राहुल बिन्दल, निखिल अग्रवाल, रामरतन अग्रवाल, ऋषि बिन्दल, तृषि अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

फोटो : 14 एसएचवाई 11

झाँसी : नवरात्र के नौ दिन तक कन्याएं सुआटा खेलती हैं। इसमें सुआटा (नौरता) की पूजा की जाती है। लोक प्रचलित कथा के अनुसार नौरता में राक्षस या भूत की पूजा की जाती है। अनहित करने वाली शक्ति से पराभूत होकर उसे पूजने की यह संस्कृति है। कुछ जानकार इसे गौरी की पूजा से भी जोड़ते हैं। यह दोनों उत्सवों का मिश्रण है, जो लोक उत्सव बन गया। इसमें कन्याएं सुबह उठकर नौ दिन तक रंगोली सजाकर पूजा करती हैं और अपने भाई की रक्षा की प्रार्थना भी करती हैं। दसवें दिन दशहरा की पूजा के साथ इसका समापन हो जाता है। समापन पर एक वर्ष के अन्दर शादी होने वाली युवतियाँ भी इसके पूजन में शामिल होती हैं। इस पूजा को लेकर जानकारों में भिन्न-भिन्न मत हैं।

फोटो : 14 जेएचएस 2

यज्ञ में आहुति देते आर्य समाज के लोग।

:::

नौ दिवसीय यज्ञ में दी पूर्ण आहुति

झाँसी : आर्य समाज शहर के तत्वावधान में शारदीय नवरात्र के उपलक्ष्य में नौ दिवसीय महायज्ञ की पूर्ण आहुति वैदिक मन्त्रोच्चारण के साथ हुई। इसमें आचार्य पं. वीरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि वेद का पढ़ना, पढ़ाना सब आर्यो का धर्म है। वक्ताओं ने कहा कि अमूल्य मानव जीवन का सदुपयोग परमात्मा के कार्यो में करना सदैव अच्छा होता है। इस मौके पर सुदर्शन शिवहरे, अशोक सूरी, प्रदीप, हरनारायण यादव, मुकेश शाक्य, विशाल चौरसिया, प्रवीण झा, मिथलेश, प्रेमवती साहू, राजकुमारी, मीरा गुप्ता आदि उपस्थित रहीं। मनमोहन मनु ने संचालन किया। मोहन नेपाली ने आभार व्यक्त किया।

़िजलाधिकारी ने किए महाकाली के दर्शन

झाँसी : ़िजलाधिकारी झाँसी आन्द्रा वामसी व पूर्व केन्द्रीय मन्त्री प्रदीप जैन आदित्य ने नवरात्र के अन्तिम दिन लक्ष्मीगेट बाहर स्थित माँ काली के मन्दिर में दर्शन किए। इसके बाद ़िजलाधिकारी ने लक्ष्मी तालाब में बनाए गए प्रतिमाओं के विसर्जन स्थल का भी निरीक्षण किया।

मदन यादव

समय- 6.40

14 अक्टूबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.