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फरियादों के पूरा होने का इन्तजार - यह है तहसील दरबार

लोगो : ह़की़कत - मेधाविनी मोहन ::: लॉकडाउन खुलने के बाद यह पहला मौका था, जब गरौठा के लोगों को

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 10:32 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 10:32 PM (IST)
फरियादों के पूरा होने का इन्तजार - यह है तहसील दरबार
फरियादों के पूरा होने का इन्तजार - यह है तहसील दरबार

लोगो : ह़की़कत

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- मेधाविनी मोहन

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लॉकडाउन खुलने के बाद यह पहला मौका था, जब गरौठा के लोगों को ़िजलाधिकारी से मिलकर अपनी परेशानी बताने का मौका मिला था। ़िजले की चारों तहसीलों के बाद अब जाकर गरौठा की बारी आई थी ़िजला स्तरीय सम्पूर्ण समाधान दिवस में अपनी ़फरियाद सुनाने की। सुबह 10 बजे से ़फरियादियों की भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हुई। सब अपने-अपने प्रार्थना पत्र लेकर राह ताक रहे थे कि झाँसी से साहब की सफेद चमचमाती गाड़ी आएगीए तो उन्हें अपनी समस्या बताएंगे। आखों में अलग-सी आस थी.. शायद उनका आश्वासन बाकी आश्वासनों से कहीं अधिक विश्वसनीय लगता हो। तहसील.भवन के गेट के पास प्रार्थना-पत्र लिए बैठे एक वृद्ध व्यक्ति से किसी ने कहा कि जाओ, दे आओ अन्दर तो बोला- 'अन्दर एसडीएम साहब ले लेंगे, पहले भी कुछ कहाँ हुआ उन्हें दरख्वास्त देने से? अबकी डीएम को ही देंगे!' ऐसे ही तमाम लोग अपनी-अपनी अ़र्जी लिए तहसील भवन में घूमते रहे - अन्दर बाहर होते रहे। जब वो आए तो अधिकतर लोग इन्त़जार करके जा चुके थे। हमेशा की तरह सारे प्रार्थना पत्र जमा कर लिए गए थे। कुल 83 शिकायतों में से 2 का ही निस्तारण हो पाया। बाकी ़फरियादियों का इन्त़जार देखिए कब पूरा होता है! ऩजर डालते हैं गरौठावासियों की उन समस्याओं परए जो हमने सुनी-

प्रधानों से परेशान ये गाँव वाले!

जनसेवा के लिए चुने गए लोग ही जब लोगों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ करने लगें, दबंगई दिखाने लगें और स्वार्थ में आमजन का नुकसान करने लगें - ऐसे में न सिर्फ जनता प्रशासन से निराश होने लगती है, बल्कि पदों की गरिमा पर भी असर पड़ता है। गाँववासियों को अपने प्रधान से बड़ी उम्मीद होती है कि वह उनके ह़क की बात करेगा और उनकी मुश्किलें दूर करेगा, लेकिन जब प्रधान ही उनका ह़क छीनने लगे और उनके लिए मुश्किलें पैदा करने लगे, तो उनके लिए मुसीबतें बहुत बढ़ जाती हैं। गरौठा तहसील दिवस में आलमपुरा गाव के प्रधान की का़फी शिकायतें सामने आई। सतानन्द ने बताया- 'प्रधान द्वारा मनरेगा के तहत कराए जा रहे सभी कामों में लाखों रुपए के घपले हो रहे हैं। साथ ही, दूसरी पंचायत के लोगों के ़फर्जी जॉब कार्ड लगाकर रुपए निकाले जा रहे हैं। मार्च में पशु आवास के नाम पर ़गलत तरीके से राशि निकलवाई गई है।' आलमपुरा के छिगेलाल ने बताया कि प्रधान ने ग्राम सभा की बंजर ़जमीन पर कब़्जा करके अपना गैरिज बनवा लिया है। इसी प्रधान की बाकी शिकायतों के साथ उर्मिला देवी ने यह भी बताया- 'हैण्डपम्प निर्माण और मरम्मत के नाम पर पैसा निकलवा लिया गया है, पर कोई काम नहीं किया गया। सोलर लाइट के नाम पर भी बहुत ठगी हुई है। प्रधान बरगाँय अहीर का भी प्रधान है। दोनों ही जगह विकास कार्य नहीं हुए हैं।' ग्राम लखावती के राजनारायण ने बताया- 'हमारे गाँव के प्रधान को वोट न दो तो रंजिश पाल लेते हैं और बाद में परेशान करते हैं। ग्राम सभा की ़जमीन और अन्य सम्पत्ति पर ़कब़्जा कर रखा है। शिकायत करने पर भी कोई जाँच नहीं की जाती।' लखावती की ही वन्दना ने शिकायत की- 'बाहुबली प्रधान के पुत्र गुण्डागिरी करते हैं। पुलिस उनके ख़्िाला़फ कोई काम नहीं करती। मई में प्रधान के पुत्र ने अपने साथियों के साथ हमारे घर में घुसकर घर की महिलाओं के साथ मारा-पीटा की। अभी तक इसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।' खरवाँच गाँव के प्रधान की भी कई शिकायतें मिलीं। रवि कुमार ने बताया कि निर्माण कार्य के नाम पर लाखों रुपया निकलवाकर काम नहीं किए गए।' परमानन्द ने बताया कि गाँव में गॉट शेल्टर के नाम पर पैसा स्वीकृत करवाकर भी उसे नहीं बनवाया गया और उनके ऊपर धमका कर दबाव डाल रहे हैं कि अपने घर में शेल्टर बनवा लो। 70 साल के भुमानीदीन ने बताया कि उनकी उम्र 25 साल दिखाकर उनके जॉबकार्ड पर लगभग 78 ह़जार रुपया निकाल लिया गया और शिकायत करने पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। कौशल बताती हैं कि उनकी विवाहित बहन आरती के नाम पर गॉट शेल्टर का पैसा निकलवा कर उसे हड़प लिया गया। गयाप्रसाद ने बताया कि ग्राम पंचायत में अनियमितताओं की शिकायत करने पर प्रधान के लड़के उन्हें परेशान करते हैं और ़फ़र्जी मु़कदमों में फँसाने की धमकी देते हैं।

किसान सम्मान निधि के साथ हो रहा खिलवाड़

़जरूरतमन्दों को राहत देने के लिए तमाम सरकारी योजनाएं आती हैं, मगर वे भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ पाएं, इसके प्रयास कम ही देखने को मिलते हैं। लगभग 2 साल पहले बड़े ़जोर-शोर से प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरूआत हुई। मौसम की मार सबसे अधिक झेलते छोटे और सीमान्त किसानों को मदद की उम्मीद बँधी, मगर अब इस योजना से जुड़ी धाँधली के मामले भी सामने आने लगे हैं। पात्रों को यह निधि मिले या न मिले, अपात्रों के खाते में इसका पैसा जाने की शिकायतें की जा रही हैं। ग्राम गढ़बई के निवासियों ने बताया- 'गाँव गढ़बई और सिंगार में ऐसे 40-50 लोगों के खातों में इस साल सम्मान निधि की दो किश्तें डलवाई गई हैं जिनके पास भूमि ही नहीं है। इनके रजिस्ट्रेशन में अलग-अलग गाँवों का पता डलवाया गया है। जाँच की जाए तो हमारे गाँव में ही नहीं न जाने कितने गाँवों में ऐसे मामले सामने आएंगे।' उन्होंने भूमिहीन अपात्रों की आधार संख्या सहित नामों की सूची भी दी।

13 साल से लगा रहे हैं तहसील दिवस में गुहार

सालों गु़जर जाते हैं, दशक बीत जाता है, मगर कुछ ़फरियादी न्याय के लिए बस भटकते रहते हैं। बंगरा से आए वृद्ध सेवाराम उर्फ सन्तराम साल 2007 से अपनी ़फरियाद लिए इधर-से-उधर घूम रहे हैं। उन्होंने 13 साल पहले तहसील दिवस में दिया प्रार्थना पत्र भी दिखाया। भूमि विवाद के मामले में अपनी ़जमीन की जाँच करवाने और हदबन्दी का आदेश पाने के लिए सेवाराम ने तहसील भवन और अधिकारियों के अनगिनत चक्कर लगाए। साल 2014 में जाकर वह अपनी ़जमीन की हदबन्दी करा पाए फिर पत्थरगड्डी के लिए गुहार लगाई जो अभी तक नहीं सुनी गई। वह कहते हैं- 'मैं बूढ़ा आदमी हूँ। लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहता। पत्थरगड्डी न होने से हदबन्दी का भी कोई मतलब नहीं रह गया है। सालों से चक्कर काटते-काटते थक गया हूँ।' उनकी तरह ही बृजबिहारी गुप्ता अपने मकान पर कब़्जा हटवाने की ़फरियाद लिए 10 सालों से भटक रहे हैं। बताते हैं- 'गरौठा के इन्द्रानगर मोहल्ले में मेरा मकान है। नया ही बना था जब उनकी लड़की की शादी के समय उनकी मदद के लिए कुछ महीनों को उन्हें रहने को दिया था। काम हो जाने के बाद भी उन्होंने घर खाली नहीं कियाए न ही किराया देते हैं। खाली करने को कहने पर मारने की धमकी देते हैं। मकान का बड़ी हिस्सा गिरवा कर उन लोगों ने मटीरियल भी बेच दिया है। थाने में और तहसील दिवस में पहले भी शिकायत कर चुका हूं। कहा जाता है कि निपटारा हो जाएगाए हो कुछ नहीं रहा।' आदेश होने पर भी उसका पालन न करना अब बहुत आम बात हो चुकी है। गुरसराय के अशोक कुमार ने भी शिकायत की कि शुल्क जमा करने के बाद सीमाकन का आदेश हो जाने के एक साल बाद भी उनकी ़जमीन का सीमाकन नहीं किया गया है जिस वजह से दूसरे पक्ष के साथ झगड़ा होती रहता है। वे बताते हैं कि कई बार इस बाबत प्रार्थना पत्र दे चुके हैं।

जितने लोग, उतनी समस्याएँ

किसी की व्यक्तिगत समस्या सुनने वाले को भले छोटी लगे, लेकिन जो झेल रहा होता है, उसके जी का जंजाल बनी हुई होती हैं। बहुत से लोग ऐसी ही तमाम समस्याएं लेकर तहसील दिवस में आए। गुरसराय के पायगा मोहल्ले से आई 3 महिलाएं गणेशी देवी, ऊषा देवी और लली का़फी परेशान थीं। उन्होंने बताया- 'हम एक ही परिवार से हैं। हमारा पुश्तैनी मकान है जिसके सामने बनी कच्ची नाली से पानी का बहाव होता था। पड़ोसियों ने परेशान करने के लिए नाली को बन्द करवा दिया जिससे सारा गन्दा पानी घर के सामने ही फैलता है। हम कोई झगड़ा नहीं चाहते हैं। बस यह चाहते हैं कि पानी निकलने का इन्त़जाम हो जाए।' खड़ैनी गाँव से आई सुनीता देवी ने बताया- 'मेरा नाम प्रधानमन्त्री आवास लाभ पाने वालों की सूची में था, मगर उसे हटाकर किसी और का नाम डाल दिया गया। मेरे पास ऐसी कोई सुख-सुविधा नहीं है कि मुझे अपात्रों में गिना जाए।' ककरवई के रामकुमार ने बताया- '़फ़र्जी हस्ताक्षर करके मेरे खाते से पैसे निकाल लिए गए हैं। कई बार प्रार्थन पत्र देने पर भी मामले की सुनवाई नहीं हो रही है।' गरौठा के इन्द्रानगर मोहल्ले से आए मुन्ना खाँ उर्फ अमानउल्ला ने बताया- 'कई सालों से हमारा परिवार अन्त्योदय योजना के तहत राशन पा रहा था। मेरा पूरा परिवार विकलाग है। कुछ समय पहले बिना वजह बताए राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया है जिससे भरण पोषण में बहुत परेशानी हो रही है।' यही समस्या मढ़ा गाँव की गीता देवी की भी है। उन्होंने बताया- 'हम लोगों को वर्षो से अन्त्योदय राशन कार्ड पर राशन मिल रहा था। हम परिवार सहित कुछ समय म़जदूरी करने गुजरात गए और लॉकडाउन की वजह से वहीं फँसकर रह गए। जब लौटे तो हमारा कार्ड निरस्त कर दिया गया था। अब हमें बहुत परेशानी हो रही है।' कुछ लोग सामूहिक समस्याएं लेकर भी आए थे। गरौठा देहात से आए कालीचरण और शकर ने बताया- 'मौजा गरौठा ख़्ास में द्वारकापुरी मोहल्ले में ग्रामसभा की खाली पड़ी ़जमीन पर कुछ लोगों ने ़गैरकानूनी तरीके से लगभग 60 गुणे 100 वर्गफीट का बैनामा कर लिया है। इस ़जमीन के बिकने से मोहल्ले के लोगों को अपने-अपने मकानों में जाने में परेशानी हो रही है और कृषि यंत्र भी नहीं निकल पा रहे हैं क्योंकि यह आम रास्ता था। जालसा़जी करके कराए गए बैनामे को निरस्त कराया जाना बहुत ़जरूरी है।' लखावती गाँव के लोगों के समूह की ़फरियाद थी- 'लखावती में हमारे मकान पीढि़यों से चले आ रहे हैं। भूस्वामित्व के सम्बन्ध में हमारे मकानों का सर्वे नहीं कराया गया, जिसे कराने की हम माँग करते हैं।' तहसील दिवस में सिमरधा से आए जागरूक लोगों की माँग है- 'ग्राम पंचायत व न्याय पंचायत सिमरधा और न्याय पंचायत रमपुरा के अन्तर्गत 19 गाव आते हैं, जिनकी जनसंख्या ़करीब 25.30 ह़जार है। यहाँ शासकीय हाइस्कूल न होने से बच्चों, ख़्ासकर लड़कियों को आठवीं कक्षा के बाद की शिक्षा पाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई की पढ़ाई छूट भी जाती है। शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में भी सिर्फ एक ही शिक्षक कार्यरत है। इन क्षेत्रों में शिक्षा व्यवस्था के सुधार और उच्चतर शैक्षिक संस्थान की बहुत ़जरूरत है।


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