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फिर धूम मचाएगा रानीपुर टेरिकॉट!

हैण्डलूम दिवस है आज - 10 करोड़ का प्रोजेक्ट भारत सरकार पहुँचा - कम्पनि को मिल गई साढ़े चार एकड़ ़ज

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:06 AM (IST)
फिर धूम मचाएगा रानीपुर टेरिकॉट!
फिर धूम मचाएगा रानीपुर टेरिकॉट!

हैण्डलूम दिवस है आज

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- 10 करोड़ का प्रोजेक्ट भारत सरकार पहुँचा

- कम्पनि को मिल गई साढ़े चार एकड़ ़जमीन

झाँसी : प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गए रानीपुर टेरिकॉट का वैभव लौटने की सम्भावना बढ़ गई है। स्पेशल पर्पस वीहिकल (एसपीवी) के लिए बनाये गये 10 करोड़ के प्रोजेक्ट राज्य सरकार की स्वीकृति मिल गई है, जो अब भारत सरकार के एमएसएमई मन्त्रालय भेज दिया गया है। उधर, बुनकरों को शामिल कर बनाई गई कम्पनि को साढ़े चार एकड़ ़जमीन भी मिल गई है।

3 दशक पहले तक देशभर में धूम मचाने वाला रानीपुर टेरिकॉट का अस्तित्व ख़्ातरे में है। 1980 के दशक में यह उद्योग चरम पर था। तब रानीपुर के अलावा आसपास के कई क्षेत्रों में हथकरघा की खटखट सुनाई देती थी। प्रगति हुई तो हथकरघा के साथ ही पावरलूम ने भी जगह बना ली और यह उद्योग फैलता चला गया, परन्तु बा़जार में छिड़ी प्रतिस्पर्धा ने रानीपुर टेरिकॉट को बा़जार से बाहर कर दिया। इस समय स्थिति यह हो गई है कि रानीपुर, मऊरानीपुर, उल्दन समेत कुछ और गाँवों में लगभग 1,200 बुनकर बचे हैं, जिसमें से लगभग 500 ने पैतृक व्यवसाय से तौबा कर ली है। शेष बचे बुनकर भी चादर, तौलिया आदि बनाकर किसी तरह से जीविका चला रहे हैं। इस उद्योग को पुराने वैभव में लौटाने के लिए तत्कालीन केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती ने प्रयास किए तो भारत सरकार का ध्यान इस ओर गया। सर्वे कराया गया तो पता चला कि उन्नत मशीन के अभाव में बुनकरों को फिनिशिंग व अन्य कार्यो के लिए दूसरे शहरों में जाना पड़ता है, जिससे कपड़े की लागत बढ़ जाती है। इस कमी को पूरा करने के लिए यहाँ आवश्यक मशीनरी़ज जुटाने की योजना बनाई गई। विशेषज्ञों ने सर्वे करते हुए 10 करोड़ रुपए लागत से कॉमन फैसिलिटि सेण्टर खोलने का सुझाव दिया, जिसके अन्तर्गत डाइंग प्लाण्ट, कलेण्डरिंग प्लाण्ट, साइ़िजंग मशीन के साथ ही कच्चा माल का डिपो स्थापित किया जाएगा। प्रोजेक्ट की डायग्नोस्टिक स्टडी रिपोर्ट (डीएसआर) के लिए लगभग 2 वर्ष पहले वर्चु रिसर्च ऐण्ड कन्सलटेण्ट नई दिल्ली के सीनियर कन्सलटेण्ट अनिल गौतम ने रानीपुर का दौरा किया। उन्होंने बुनकरों से वार्ता की तथा हथकरघा व पावरलूम पर बनाए जाने वाले कपड़े आदि का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया कि बुनकरों द्वारा अभी दोयम दर्जे का धागा इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे प्रोडक्ट में फिनिशिंग नहीं आती है। इसके अलावा भी कई और कमियों को चिह्नित किया। रिपोर्ट के बाद एसपीवी का गठन किया गया, जिसे सेक्शन-8 के तहत कम्पनि का दर्जा दिया गया। कम्पनि में 200 बुनकरों को शामिल किया गया, जबकि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी बुनकर बनाए गए। इसके बाद ़िजला उद्योग केन्द्र ने कॉमन फैसिलिटि सेण्टर (सीएफसी) के लिए 10 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रदेश सरकार को भेज दिया। बताया गया है कि प्रदेश सरकार ने प्रोजेक्ट पर मोहर लगाते हुए भारत सरकार के एमएसएमई मन्त्रालय भेज दिया है। यह आखिरी पड़ाव पार करने के बाद रानीपुर उद्योग के दिन बदल जाएंगे।

बुनकर कॉलनि की ़जमीन पर स्थापित होगा सीएफसी

रानीपुर में कॉमन फैसिलिटि सेण्टर स्थापित करने के लिए सबसे अधिक दिक्कत ़जमीन की आ रही थी, पर यह समस्या भी दूर कर ली गई है। दरअसल, यहाँ 1975 में बुनकर कॉलनि के लिए ़जमीन आवण्टित की गई थी, जो अब तक खाली पड़ी है। उपायुक्त उद्योग ने निदेशालय को पत्र लिखकर यह ़जमीन सीएफसी के लिए उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।

एक ही स्थान पर होंगे अनेक काम

कॉमन फैसिलिटि सेण्टर की स्थापना होने के बाद बुनकरों को फिनिशिंग के लिए दूसरे शहरों को नहीं जाना पड़ेगा। धागा की उपलब्धता भी यहीं सुनिश्चित होगी। अन्य कई मशीन की आवश्यकता भी इस सेण्टर से पूरी हो जाएंगी, जिससे लागत में कमी आएगी और क्वॉलिटि में सुधार होगा और रानीपुर टेरिकॉट फिर साँसें ले सकेगा।

धागे की सप्लाई व बिक्री में भी नहीं आएगी दिक्कत

उद्योग विभाग का प्रयास है कि एसपीवी से रानीपुर, मऊरानीपुर, उल्दन व आसपास के अन्य बुनकरों को शामिल किया जाए, ताकि फिनिशिंग आदि कार्यो के लिए उन्हें दूर नहीं जाना पड़े। अधिकांश बुनकरों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे में धागा ख़्ारीदने व बिक्री में उन्हें परेशानी आ सकती है, जिसके लिए वुड स्पिन टेक्सटाइल प्राइवेट लिमिटेड कम्पनि को भी एसपीवी में शामिल किया गया है। यह कम्पनि बुनकरों को धागा उपलब्ध कराएगी तो उत्पाद की बिक्री में भी सहयोग करेगी।

फोटो हाफ कॉलम

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इन्होंने कहा

'कॉमन फैसिलिटि सेण्टर के लिए बनाए गए 10 करोड़ के प्रोजेक्ट को राज्य सरकार की स्वीकृति मिल गई है। अब यह प्रोजेक्ट भारत सरकार भेज दिया गया है। वहीं एसपीवी को बुनकर कॉलनि के लिए आवण्टित लगभग साढ़े चार एकड़ ़जमीन भी हस्तान्तरित करा दी गई है।'

0 सुधीर कुमार श्रीवास्तव, उपायुक्त उद्योग

फाइल : राजेश शर्मा

6 अगस्त 2020

समय : 4.25 बजे


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