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माताटीला की अस्थाई जेल में 26 दिन रहे आन्दोलन के प्रमुख

0 16 दिसम्बर 1992 को आगरा जेल से लाया गया झाँसी 0 आडवाणी, सिंघल, जोशी, डालमिया, उमा भारती व विनय क

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 05:30 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 07:12 PM (IST)
माताटीला की अस्थाई जेल में 26 दिन रहे आन्दोलन के प्रमुख
माताटीला की अस्थाई जेल में 26 दिन रहे आन्दोलन के प्रमुख

0 16 दिसम्बर 1992 को आगरा जेल से लाया गया झाँसी

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0 आडवाणी, सिंघल, जोशी, डालमिया, उमा भारती व विनय कटियार रहे न्यायिक हिरासत में

0 10 जनवरी 1993 तक माताटीला में रहे नेता

0 प्रतिदिन बड़े-बड़े नेताओं का होता था झाँसी आगमन

राजेश शर्मा (झाँसी) : राम मन्दिर आन्दोलन में यदि वर्ष 1990 की घटनाओं का केन्द्र झाँसी रहा तो 6 दिसम्बर 1992 में विवादित ढाँचा विध्वंस होने के बाद भी यह भू-भाग सत्ता के उफान पर रहा। दंगों की आग में झाँसी भी झुलसा, लेकिन 16 दिसम्बर के बाद झाँसी राजनीति का प्रमुख गढ़ बन गया। आन्दोलन के 6 प्रमुख नेताओं को झाँसी से 55 किलोमीटर दूर माताटीला (ललितपुर) में बनाई गई अस्थाई जेल में लाया गया, जिसके बाद देश के बड़े नेताओं का जमावड़ा झाँसी हो गया। इस दौरान पूरा महानगर राम मय हो गया था।

विश्व हिन्दू परिषद द्वारा वर्ष 1990 में अयोध्या चलो का नारा दिया गया तो देशभर से कारसेवकों का जत्था निकल पड़ा। उस समय प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी, इसलिए कारसेवकों को रोका गया। दक्षिण का प्रवेश द्वार होने के कारण झाँसी में लाखों कारसेवक रोक लिए गए, जिन पर पुलिस ने खूब अत्याचार किया, लेकिन 1992 में जब राम मन्दिर निर्माण का आह्वान किया गया तो परिस्थितियाँ विपरीत थीं। सूबे में भाजपा की सरकार थी और कल्याण सिंह मुख्यमन्त्री थे। 6 दिसम्बर 1992 को लोगों को कारसेवा के लिए अयोध्या बुलाया गया, जिसके बाद लाखों रामभक्त अयोध्या के लिए कूच कर गए। 4 दिसम्बर को ह़जारों कारसेवक झाँसी पहुँचे, जिन्हें अस्थाई शिविरों में ठहरा दिया गया। इसके बाद से यहाँ राम लहर दौड़ने लगी और हर दिन नया घटनाक्रम शुरू हो गया। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित ढाँचा के विध्वंस होने के बाद देशभर में हिंसा फैल गई, जिसकी आग में झाँसी भी झुलसा। 7 दिसम्बर को यहाँ 4 क्षेत्रों में क‌र्फ्यू लगा दिया गया। उधर, आन्दोलन के अगुवा रहे वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी, विश्व हिन्दू परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया, सांसद उमा भारती, बजरंग दल प्रमुख विनय कटियार की अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तारी हुई, जिन्हें आगरा जेल में रखा गया। 16 दिसम्बर को अचानक सभी नेताओं को गोपनीय ढंग से आगरा जेल से निकालकर हवाई जहाज के माध्यम से दूसरी जेल शिफ्ट किया गया। तब किसी को जानकारी नहीं थी कि नेताओं को कहाँ ले जाया जा रहा है। अचानक इन सभी नेताओं को झाँसी लाया गया और यहाँ से माताटीला ले जाया गया। सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस को अस्थाई जेल बनाया गया। इसके बाद तो झाँसी राजनीति की सुर्खियों में आ गया। प्रतिदिन कोई न कोई बड़ा नेता झाँसी पहुँचने लगा। बयान जारी होने लगे। मिलने वालों में अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हुए। उन्होंने जेल की अव्यवस्थाओं को लेकर कई सवाल भी उठाए। 10 जनवरी 1993 तक कुल 26 दिन यह नेता माताटीला की अस्थाई जेल में रहे।

माताटीला में ही लगी विशेष अदालत

राम मन्दिर आन्दोलन के प्रमुख नेताओं की सुरक्षा को देखते माताटीला की अस्थाई जेल में ही विशेष अदालत लगाई गई। इनकी पेशी न्यायिक मैजिस्ट्रेट फै़जाबाद की अदालत में होनी थी, लेकिन नेताओं ने जेल बदलने से इन्कार कर दिया। इसके बाद केस को ललितपुर ट्रांस्फर कर दिया गया। अदालत ने 30 दिसम्बर तक न्यायिक हिरासत बढ़ाने का फरमान सुनाया। 30 दिसम्बर को एक बार फिर अदालत बैठी, जिसमें न्यायिक हिरासत 10 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी गई।

फाइल : राजेश शर्मा

4 अगस्त 2020

समय : 4.45 बजे


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