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आग के मुहाने पर हैं महानगर के बाजार

फोटो : 9 एसएचवाई 6 0 सँकरी गलियों संचालित हैं सैकड़ों शॉपिंग कॉम्प्लेक्स 0 आग लगने पर नहीं पहुँ

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 06:06 AM (IST)
आग के मुहाने पर हैं महानगर के बाजार
आग के मुहाने पर हैं महानगर के बाजार

फोटो : 9 एसएचवाई 6

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0 सँकरी गलियों संचालित हैं सैकड़ों शॉपिंग कॉम्प्लेक्स

0 आग लगने पर नहीं पहुँच सकतीं फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ

0 अधिकांश कॉम्प्लेक्स में मौजूद ही नहीं अग्निशमन उपकरण

झाँसी : महानगर में बीते वर्षो में कई आग लगने की घटनाएं हुई। इनमें अनेक लोगों की जान चली गयी। का़फी सम्पत्ति का नु़कसान हुआ। इन घटनाओं के बाद न तो अग्निशमन विभाग चेता और न ही व्यवसाय करने वाले लोगों ने गम्भीरता दिखायी। सँकरी गलियों में सैकड़ों की संख्या में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स खुले हुए हैं। अधिकांश दुकानों में आग बुझाने के उपकरण तक मौजूद नहीं हैं। मुख्य अग्निशमन अधिकारी केके ओझा के अनुसार विभाग ने ऐसे दुकानदारों को बारम्बार चेतावनी दी। इसके बावजूद आग बुझाने के इन्तजाम नहीं किये गये। आश्चर्य यह भी है कि अग्निशमन विभाग ने ऐसे लापरवाह दुकानदारों के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं की। अगर इन बा़जारों में आग की कोई घटना हुई तो करोड़ों रूपये की सम्पत्ति के नु़कसान से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा जनहानि भी हो सकती है।

महानगर के मुख्य बा़जार मानिक चौक, सुभाष गंज, टकसाल, सीपरी बा़जार व प्रेमनगर में कई ऐसी सँकरी गलियाँ हैं, जिनके अन्तर्गत दर्जनों शॉपिंग काम्प्लेक्स में सैकड़ों दुकानें हैं। बिजली के तारों के गुच्छे लटक रहे हैं। नगर के मुख्य मार्गो पर नर्सिग होम्स, कोचिंग सेण्टर, विद्यालय खुले हुये हैं। यहाँ पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। मुख्य दरवाजे के अलावा आकस्मिक निकासी का दरवाजा नहीं हैं। शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व कोचिंग सेण्टर इमारत की दूसरी, तीसरी मंजिल में खुले हैं। इनमें प्रवेश का एक रास्ता है, निकासी का दूसरा रास्ता नहीं हैं। सीढि़याँ भी सँकरी हैं।

0 ़जमींदो़ज हो चुके हाइड्रण्ट को पुनर्जीवन कब?

महानगर के प्रमुख बा़जारों एवं मार्गो पर 2 दशक पहले 3 दर्जन से अधिक हाइड्रण्ट बनाये गये थे। इनसे अग्निशमन गाड़ियों में पानी भरा जाता था। साथ ही इनका उपयोग करते हुये वहीं से पाइप डालकर आग बुझाने का कार्य सम्भव हो पाता था। ये हाइड्रण्ट, मानिक चौक, शहर स्थित रामलीला मैदान, सुभाष गंज, रानी महल, सीपरी बा़जार, इलाहाबाद बैंक चौराहा पर लगे थे। विभाग की अनदेखी के चलते इनका उपयोग बन्द कर दिया गया और ये सड़क के नीचे दबते चले गये। जिन स्थानों पर फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ नहीं पहुँच पातीं, इन हाइड्रण्ट से पाइप लगाकर आग जा बुझाई सकती है।

0 पूर्व में घटित आगजनी की प्रमुख घटनाएं

चित्रा चौराहा के पास स्थित न्यू स्टार बेकरी में 29 दिसम्बर 2014 को तीसरी मंजिल में आग लग गयी थी। आग की चपेट में आने से बेकरी संचालक मो. ़जाहिद व उनकी माँ नफीसा की धुआँ में दम घुटने से मौत हो गयी थी। पत्‍‌नी व बच्चों को सीढ़ी लगाकर नीचे उतार लिया गया था। घटना में लाखों रुपये का सामान जल गया था।

- सदर बा़जार के मकान नम्बर 15 निवासी जगदीश प्रसाद अग्रवाल के यहाँ 10 जनवरी 2014 को आग लगी थी। इस आग में राम लखन गौर, उनकी पत्‍‌नी मीना, पुत्र सौरभ झुलस गये थे।

- न्यू बैंकर्स कॉलनि, डड़ियापुरा निवासी नीलू राय पुत्र अरविन्द राय के मकान में आग लग गयी थी। इसमें पत्‍‌नी सुधा राय समेत वह स्वयं गम्भीर रूप से झुलस गये थे।

- कोतवाली के शंकर सिंह के बगीचा, गुदरी में 28 अगस्त 2016 को आग लग गयी थी। गैस सिलिण्डर से रिसाव होने के कारण आग ऐसी लगी, जिसमें कस्तूरी देवी उनका बेटा विनय, बॉबी, विवेक, नैन्सी झुलस गये थे। अग्निशमन विभाग के कर्मचारियों ने पड़ोसियों की मदद से बच्चों को सीढि़यों के सहारे छत से नीचे उतार कर बचा लिया था। बताते चलें कि उस दौरान फायर बिग्रेड की गाड़ी मौके पर नहीं पहुँच सकी थी। लम्बा पाइप डालकर आग बुझाई गयी थी, जिसमें काफी समय लगा था।

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मोदी टावर के प्रति लापरवाह बने हुये हैं अ़फसर

झाँसी : मोदी टावर स्थित गैस एजेन्सी में 27 अक्टूबर को आग लग गयी थी। उस आग में दुकानों को भी का़फी नु़कसान पहुँचा था। इसके पहले भी दो बार यहाँ आग लग चुकी है। यहाँ स्थित भोजनालय को उसके बाद सील भी कर दिया गया था। बाद में अप्रत्याशित रूप से यह सील हटा ली गयी। इन घटनाओं के बावजूद इस टावर में आग बुझाने के लिये कोई स्थायी इन्त़जाम अब तक नहीं किये गये हैं। अधिकारी भी आग़जनी के लिये कई बार बदनाम हो चुके मोदी टावर के विरुद्ध किसी तरह की कार्यवाही करने के प्रति गम्भीर ऩजर नहीं आ रहे हैं।

फाइल : दिनेश परिहार

समय : 9:15

9 दिसम्बर 2019


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