लाखों की आबादी, एक भी स्तरीय अस्पताल नहीं
लोगो : मैं प्रेमनगर हूँ - डॉ. अचल सिंह चिरार ::: फोटो ::: - दो दशक पुराने प्राथमिक स्वास्थ
लोगो : मैं प्रेमनगर हूँ
- डॉ. अचल सिंह चिरार
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- दो दशक पुराने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में नहीं हैं आधुनिक उपकरण
- गम्भीर बीमारियों के उपचार के लिए भागना पड़ता है मेडिकल कॉलिज
झाँसी : लाखों की आबादी की नब़्ज टटोलने को एक अदद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र - वह भी सर्दी-जुकाम व बुखार के मर्ज की दवा देता है - महिलाओं का सामान्य प्रसव करवा देता है, लेकिन इससे गम्भीर समस्या हुई तो फिर लोगों को जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलिज ही भागना पड़ता है। यही प्रेमनगर की ह़की़कत है। स्तरीय शासकीय चिकित्सालय और निजी नर्सिग होम के अभाव से जूझ रहे प्रेमनगरवासियों का यह दर्द बहुत पुराना और गहरा है। लोगों को उम्मीद है कि कोई उद्धारक क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने को सार्थक प्रयास करेगा।
प्रेमनगर शहर का एक बड़ा और पुराना क्षेत्र है। लगभग ढाई लाख से अधिक की आबादी है, लेकिन यहाँ पर स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। मॉर्डन जीवनशैली से घर-घर में हर उम्र के लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हैं। शायद ही कोई घर होगा जिसमें दवाइयों की पोटली न मिले। जानकर आश्चर्य और अफसोस होगा कि ऐसे हालातों के बीच इस क्षेत्र में एक भी स्तरीय चिकित्सालय नहीं है। एक अदद सरकारी अस्पताल शहरी नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र वर्ष 1997 में खोला गया था। यह अस्पताल लोगों की गम्भीर बीमारियों का उपचार करने में सक्षम नहीं है। स्वास्थ्य केन्द्र की प्रभारी डॉ. गरिमा पुरोहित कहती हैं- 'यहाँ प्रतिदिन डेढ़ से दो सौ मरी़ज आते हैं। उनका उपचार किया जाता है। यहाँ रक्त, ब्लड शुगर और पेशाब, ब्लडप्रेशर आदि की जाँच की सुविधा भी उपलब्ध है, लेकिन एक्स-रे, अल्ट्रासाउण्ड, ईसीजी जैसी जाँच के लिए ़िजला चिकित्सालय, मेडिकल कॉलिज या फिर किसी नर्सिग होम का ही सहारा लेना पड़ता है।' उनका कहना है कि अस्पताल में एक अन्य चिकित्सक डॉ. आरसी साहू भी तैनात हैं। फार्मसिस्ट मोहित गुरुदेव बताते हैं- 'अस्पताल में दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति होती है। मरी़जों को यहीं से दवाएँ उपलब्ध कराई जाती है। यहाँ गर्भवती महिलाओं के प्रसव की सुविधा भी है, लेकिन ऑपरेशन की कोई सुविधा नहीं है। प्रधानमन्त्री आयुष्मान योजना के लगभग 80 प्रतिशत कार्ड बनकर तैयार हो गए हैं। यहाँ आए मरी़जों ने बताया कि स्टाफ के नाम पर एक ही नर्स है, जिससे मरी़जों की परेशानी और बढ़ जाती है। तमाम बार कहे जाने के बाद भी दो दशक पुराने इस स्वास्थ्य केन्द्र के उच्चीकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग एवँ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कोई प्रयास नहीं किया है। दु:खद पहलू यह कि जनप्रतिनिधियों ने भी लाखों लोगों की सेहत से जुड़े इस सम्वेदनशील मुद्दे को कभी प्राथमिकता से नहीं उठाया। कितने आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी आबादी और इतने बड़े क्षेत्र में कोई बड़ा नर्सिग होम नहीं है। छोटी-मोटी तकलीफ के लिए तो अनेक एमबीबीएस डॉक्टर डिस्पेंसरी खोल कर बैठे हैं, पर गम्भीर बीमारी होने पर वे भी हाथ खड़े कर देते हैं। कुछ झोलाछाप डॉक्टर भी अपनी दुकान चला रहे हैं। झाँसी शहर की विडम्बना है कि यहाँ मेडिकल कॉलिज के इर्द-गिर्द ही सारे नामी-गिरामी निजी अस्पताल भी बने हुए हैं। गम्भीर रोग से ग्रसित मरी़जों को मजबूरन इन अस्पतालों में जाना पड़ता है। दाँत से लेकर आँत तक का उपचार कराने के लिए मेडिकल कॉलिज की राह पकड़नी होती है। ़िजला चिकित्सालय में भी कुछ लोगों का उपचार हो जाता है।
- योगेन्द्र कुमार का कहना है कि आसपास कोई सरकारी अस्पताल नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। घर में किसी न किसी को कुछ न कुछ तकलीफ तो बनी ही रहती है। ऐसे में बार-बार मेडिकल कॉलिज या ़िजला अस्पताल भागना काफी मुश्किल होता है। यहाँ से दूरी भी कभी अधिक है। अगर क्षेत्र में ही स्तरीय सरकारी अस्पताल हो, तो काफी सहूलियत हो जाएगी। रात्रि के समय मरी़ज को ले जाने के लिए प्रेमनगर में टेम्पो-टैक्सि भी आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं।
- कमल सिंह का कहना है कि वर्तमान में अनियमित दिनचर्या ने अधिकाश लोगों को बीमार बना दिया है और हम बीमारियों का जल्दी और अच्छा उपचार चाहते हैं। हमारे क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि सरकारी इलाज की यहाँ कोई सुविधा नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। नेताओं को जनता को सुविधाएं भी मुहैया करानी चाहिए।
- नरेन्द्र नामदेव का कहना है कि आज के समय में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कितना महँगा हो गया है, सब जानते हैं। गम्भीर बीमारी हो गई, तो पूरा बजट गड़बड़ा जाता है। प्रेमनगर में स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा है। प्रेमनगर के स्वास्थ्य केन्द्र में ही सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए। प्रेमनगर से मेडिकल तक पहुँचते-पहुँचते कई बार मरी़ज की जान तक चली जाती है।
- आषीश शर्मा कहते हैं कि प्रेमनगर की इस समस्या से नेताओं और अधिकारियों ने मुँह मोड़ रखा है। हमें तो मेडिकल कॉलिज ही जाना पड़ता है। स्कूल तो हर गली में मिल जाते हैं, लेकिन जीवनरक्षक अस्पताल अभी भी क्षेत्र में बहुत कम हैं। सरकार को हर मोहल्ले में एक सरकारी अस्पताल खोलना चाहिए।
लोगो : चाइनी़ज खिसकाओ..
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ज्ञानस्थली में आज जगेगी चाइनी़ज उत्पाद के विरोध में अलख
झाँसी : दैनिक जागरण व समाजिक संस्था 'प्रयास : सभी के लिए' के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे 'चाइनी़ज खिसकाओ-स्वदेशी अपनाओ' जागरूकता अभियान के तहत सोमवार (21 अक्टूबर) को सुबह 8:30 बजे से 9:30 बजे तक शिवाजी नगर स्थित ज्ञानस्थली स्कूल में अलख जगाई जाएगी। इस अभियान के तहत बच्चों को चाइनी़ज उत्पादों से होने वाले शारीरिक व आर्थिक नु़कसान से अवगत करवाया जाएगा। अभियान के संयोजक मनमोहन गेड़ा ने बताया कि इस जागरूकता अभियान में विश्वविद्यालय के ललित कला की समन्वयक डॉ. श्वेता पाण्डे कार्यक्रम की मुख्य वक्ता होंगी।
आप भी बने अभियान का हिस्सा
'चाइनी़ज खिसकाओ-स्वदेशी अपनाओ' अभियान का हिस्सा आप भी बन सकते हैं। यदि आप चाइनी़ज उत्पादों के बहिष्कार से सम्बन्धित कोई भी सुझाव देना चाहते हैं, तो हमें 9005792730 पर वॉट्सऐप पर सम्पर्क करें।
फाइल : आऱजू
समय : 4.00
20 अक्टूबर 2019