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निर्णायक मोड़ पर टिकट का घमासान

समरी पैरा ::: झाँसी : लोकसभा महासंग्राम का उद्घोष हो चुका है। निर्वाचन विभाग ने बागडोर सँभाल ली

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 01:25 AM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 01:25 AM (IST)
निर्णायक मोड़ पर टिकट का घमासान
निर्णायक मोड़ पर टिकट का घमासान

समरी पैरा

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झाँसी : लोकसभा महासंग्राम का उद्घोष हो चुका है। निर्वाचन विभाग ने बागडोर सँभाल ली है, तो राजनैतिक दलों में भी सियासी सरगर्मियाँ ते़ज हो गई हैं। घमासान टिकट को लेकर मचा हुआ है, जो अब निर्णायक दौर में पहुँच गया है। हाइकमान ने दावेदारों की शॉर्ट लिस्ट तैयार कर ली है, जिसमें आमने-सामने का मुकाबला ऩजर आ रहा है। निगाहें भाजपा व सपा पर लगी हैं, जबकि हाल ही में बदले घटनाक्रम के बाद कौंग्रेस में असमंजस की स्थिति दिख रही है।

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भाजपा : 'प्रत्याशी कौन'?

0 केन्द्रीय मन्त्री के ट्वीट ने मचाई हलचल

0 अब पार्टी मंच पर की चुनाव लड़ने से तौबा

0 अमित शाह को लिखे पत्र से बदलने लगे समीकरण

झाँसी : लोकसभा चुनाव में केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती की भूमिका को लेकर बने संशय के बादल शनिवार को और गहरे हो गए। उमा भारती के एक ट्वीट ने भाजपा में सियासी हलचल मचा दी। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से एक बार चुनाव न लड़ने का एलान किया, तो दिल्ली से लेकर झाँसी तक 'प्रत्याशी कौन' की चर्चा दौड़ने लगी, जिसमें कुछ चेहरे उभरकर सामने आए हैं।

पिछला लोकसभा चुनाव 2 लाख के रिकॉर्ड मतों से जीतने वाली केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती ने कार्यकाल के आखिरी चरण में मैदान छोड़ने का मन बना लिया। सार्वजनिक कार्यक्रमों में उन्होंने इस बार चुनाव न लड़ने की चर्चाओं को छेड़ा, तो सुगबुगाहट जोर पकड़ने लगी। पर, समर्थकों का मानना था कि उमा भारती आखिर में मान जाएंगी। 3 मार्च को केन्द्रीय मन्त्री नितिन गडकरी झाँसी आए, तो मंच पर एक बार फिर उमा ने चुनाव को 'राम-राम' कह दिया, लेकिन इसके साथ ही पार्टी के लिए प्रचार करने की बात कही। टिकट की रेस में भी सबसे आगे उनका नाम होने से समर्थकों ने आशा नहीं छोड़ी, लेकिन शनिवार को सियासी घटनाक्रम ने ते़जी से करवट बदली। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रत्याशियों की घोषणा पर मन्थन कर रहा था, तभी उमा भारती ने ट्वीट कर चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया। पार्टी सूत्र बताते हैं कि उमा भारती ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी पत्र लिखा है। पत्र में क्या लिखा, इसे लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन कयास स्वास्थ्य कारणों से चुनाव न लड़ने के लगाए जा रहे हैं। उमा भारती के एकाएक उठाए गए इस ़कदम के बाद प्रत्याशी को लेकर घमासान ते़ज हो गया है। सूत्रों की मानें तो सदर सीट से विधायक रवि शर्मा, बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा के अलावा ललितपुर विधायक रामरतन कुशवाहा के नाम पर चर्चा शुरू हो गई है। इसके अलावा वैश्य समाज की ओर रुख होने पर पार्टी महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी के नाम पर भी विचार कर सकती है, तो पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत का नाम भी चल रहा है। उधर, ब्राह्माण चेहरे में रवि शर्मा के अलावा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष संजीव श्रृंगीऋषि को लेकर भी चर्चा चल रही है। सूत्र बताते हैं कि शीर्ष नेतृत्व के पास भी यही नाम पहुँचे हैं। हालाँकि तस्वीर सा़फ होने में अभी समय लगेगा और जब तक राजनैतिक समीकरण क्या गुल खिलाएंगे फिलहाल कहा नहीं जा सकता है।

मनाने में जुटे समर्थक

केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती के चुनाव न लड़ने के एलान से उनके समर्थकों में निराशा फैल गई है। बबीना विधायक राजीव सिंह पारीछा, क्षेत्रीय उपाध्यक्ष संजीव श्रृंगीऋषि समेत कई भाजपा नेताओं ने दिल्ली में उमा भारती से मुलाकात की और बुन्देलखण्ड के विकास के लिए चुनाव लड़ने का दबाव बनाया। बबीना विधायक ने कहा कि बुन्देलखण्ड की आवा़ज को सत्ता तक पहुँचाने के लिए उमा भारती को मैदान में आना होगा और इसके लिए वह लोग तब तक डटे रहेंगे, जब तक उमा भारती चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हो जाती हैं।

बाहरी प्रत्याशी बर्दाश्त नहीं

केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती के मैदान छोड़ने की अटकलों से भगवा खेमे में राजनीति गरमा गई है। शुक्रवार को प्रदेश महामन्त्री अशोक कटारिया के मुख्य आतिथ्य व क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें प्रत्याशी को लेकर लम्बी चर्चा हुई। बैठक में कई नाम उभरे, लेकिन सर्वसहमति से एक विचार जरूर सामने आ गया। पदाधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि अगर उमा भारती चुनाव नहीं लड़ती हैं, तो किसी बाहरी प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा जाए। अगर हाइकमान किसी बाहरी प्रत्याशी को थोपती है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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सपा में छँटने लगे संशय के बादल

0 पूर्व एमएलसी व राज्यसभा सांसद के बीच लटका टिकट

0 पूर्व विधायक का नाम भी चर्चाओं में

झाँसी : गठबन्धन की डोर थामकर चुनावी रण में आ रही समाजवादी पार्टी में टिकट का घमासान अन्तिम पड़ाव पर पहुँच गया है। हाइकमान की टेबिल पर 3 नाम रखे हैं, लेकिन चर्चाओं में संशय के बादल छँटने लगे हैं और इसकी ख़्ाबर आज झाँसी में फैलने भी लगी।

लोकसभा चुनाव से पहले एक नाव पर सवार हुई सपा व बसपा के बीच सीटों का बटवारा हो गया है। झाँसी-ललितपुर लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आने के बाद यहाँ टिकट का घमासान ते़ज हो गया। सबसे आगे पूर्व एमएलसी श्याम सुन्दर सिंह का नाम चला, तो राज्यसभा सांसद डॉ. चन्द्रपाल सिंह का नाम भी उछला। इसके साथ ही गरौठा के पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह, आरपी निरंजन, पूर्व सांसद सुजान सिंह बुन्देला के पुत्र गुड्डू राजा, राकेश पाल समेत 9 दावेदारों ने भी टिकट के लिए ताल ठोक दी। जानकारों का दावा है कि कई दौर पर हुए मन्थन चलने के बाद हाइकमान ने पूर्व एमएलसी श्याम सुन्दर सिंह पारीछा, सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव, तथा पूर्व गरौठा विधायक दीप नारायण सिंह यादव को शॉर्ट लिस्ट में शामिल कर लिया। शनिवार को अचानक ख़्ाबरों में ते़जी आई और कहा जाने लगा कि सपा ने श्याम सुन्दर सिंह को मैदान में उतारने का मन बना लिया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि गुरुवार को ही इसके संकेत हाइकमान ने दे दिए थे। उधर, निर्वाचन कार्यालय पर आज श्याम सुन्दर सिंह के समर्थकों की चहल़कदमी ने संकेतों को और पुख्ता किया है। हालाँकि टिकट का घमासान अभी थमा नहीं है, इसलिए ऊँट किस करवट बैठेगा, यह वक्त बताएगा।

कौंग्रेस में घमासान को मिली हवा

0 पूर्व मन्त्री के तेवर से पार्टी असमंजस में

झाँसी : 3 राज्यों में जीत की संजीवनी से प्रफुल्लित कौंग्रेस में भी टिकट को लेकर घमासान चरम पर पहुँच गया है। पार्टी कोई निर्णय ले पाती, इससे पहले ही पूर्व मन्त्री रणजीत सिंह जूदेव द्वारा खुले मंच पर दिखाए तेवर ने प्रत्याशी की घोषणा को फिलहाल टाल दिया है।

पिछले लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कोमा में चली गई कौंग्रेस में एक बार फिर जोश आ गया है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली जीत और फिर प्रियंका गाँधी के सक्रिय राजनीति में आने से पार्टी में चेतना लौट आई है, जिससे टिकट के दावेदारों की कतार भी लम्बी हो गई है। पर्यवेक्षकों के सामने कई नेताओं ने दावा ठोका, लेकिन अन्तिम दौर की सूची में ऑल इण्डिया प्रफेशनल कौंग्रेस के बुन्देलखण्ड ़जोन अध्यक्ष राहुल रिछारिया के साथ ही पीसीसी सदस्य राजेन्द्र सिंह यादव, ऑल इण्डिया कौंग्रेस कमिटि सुधांशु त्रिपाठी सचिव, पूर्व मन्त्री रणजीत सिंह जूदेव व पूर्व मन्त्री प्रदीप जैन 'आदित्य' का नाम शामिल हो गया। शीर्ष नेतृत्व इन नामों में से किसी का चुनाव करता, इससे पहले ही पूर्व मन्त्री रणजीत सिंह जूदेव ने प्रदीप जैन 'आदित्य' के ख़्िाला़फ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने 2 चुनावों में जमानत जब्त होने का कारण बताते हुए प्रदीप के टिकट पर ऐतराज जताया, तो स्वयं को मैदान से अलग कर लिया। प्रियंका गाँधी के साथ दिल्ली में हुई बैठक में उन्होंने झाँसी से जो नाम सुझाए हैं, उसमें राहुल रिछारिया, राजेन्द्र सिंह यादव, सुधांशु त्रिपाठी और भानू सहाय शामिल है। पूर्व मन्त्री जूदेव ने स्वास्थ्य कारणों से खुद को टिकट की रेस से अलग रखने की बात कही है। उनके इस तेवर के बाद कौंग्रेस में हड़कम्प की स्थिति है है।

फाइल : राजेश शर्मा

16 मार्च 2019

समय : 9 बजे


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