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1 साल बढ़ा झाँसी-कानपुर रेलमार्ग दोहरीकरण का लक्ष्य

- पटरियों की कमी के चलते तय गति से नहीं हो पाया काम - इस साल सिर्फ 40 किलोमीटर लाइन तैयार हो पाएगी

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 01:00 AM (IST)
1 साल बढ़ा झाँसी-कानपुर रेलमार्ग दोहरीकरण का लक्ष्य
1 साल बढ़ा झाँसी-कानपुर रेलमार्ग दोहरीकरण का लक्ष्य

- पटरियों की कमी के चलते तय गति से नहीं हो पाया काम

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- इस साल सिर्फ 40 किलोमीटर लाइन तैयार हो पाएगी

- खनन पर नयी नियमावली से भी आयी दिक्कत

झाँसी : बहुप्रतीक्षित झाँसी-कानपुर रेलमार्ग के दोहरीकरण का लक्ष्य एक साल आगे बढ़ गया है। पटरियों की आपूर्ति में गिरावट के चलते इस वर्ष काम ते़जी से नहीं हो पाया। 204 किलोमीटर के इस ट्रैक का इस वर्ष के अन्त तक 40 किलोमीटर हिस्सा ही तैयार हो पाएगा। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में सरकार की खनन को लेकर बनायी गयी नई नियमावली से भी प्रोजेक्ट की गति में बाधा आयी।

झाँसी-कानपुर रेलमार्ग के विद्युतीकरण की माँग जोर पकड़े थी, तो रेलवे ने इस ट्रैक का विद्युतीकरण करा दिया। रेलवे ने माना कि इस कार्य का सही फायदा तभी मिल सकता है, जब इस ट्रैक पर दोहरी लाइन बिछी हो। इसी के मद्देऩजर वर्ष 2013-14 में 204 किलोमीटर लम्बे इस ट्रैक के दोहरीकरण का एलान कर दिया गया। 1400 करोड़ की लागत वाले इस कार्य की शुरूआत हुई और योजना को पूर्ण करने का लक्ष्य मार्च 2018 निर्धारित किया गया। इस काम को झाँसी-एरच रोड, एरच रोड-ऊषरगाँव व ऊषरगाँव-भीमसेन के 3 खण्डों में विभाजित कर दिया गया। शुरूआती 2 सालों में इस कार्य के लिए सिर्फ 30 करोड़ रुपए बजट आवण्टित किया गया, जिस कारण काम रफ्तार पकड़ नहीं पाया। वर्ष 2014 में रेलवे ने 200 करोड़, फिर वर्ष 2015 में 400 करोड़ रुपए का बजट आवण्टित कर इस काम पर फोकस किया, तो लगा कि काम अब रफ्तार से हो जाएगा, पर ऐसा हो नहीं पाया। उम्मीद की जा रही थी कि वर्ष 2018 में इस प्रोजेक्ट का लगभग आधा हिस्सा बनकर तैयार हो जाएगा, इस कारण प्रोजेक्ट की डेडलाइन को बढ़ाकर 2020-21 कर दिया गया। झाँसी से पारीछा तक 24 किलोमीटर का दोहरा ट्रैक तैयार हो चुका है, जिसका मुख्य संरक्षा आयुक्त निरीक्षण भी कर चुके हैं। रेलवे को उम्मीद थी कि इस वर्ष काम में कुछ रफ्तार देखने को मिलेगी, पर प्रदेश में सरकार बदलते ही अवैध खनन रोकने के लिए नई नियमावली आ गयी, जिससे निर्माण सामग्री मिलने में परेशानी आने लगी। इस कारण प्रोजेक्ट पीछे हो गया। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से प्रोजेक्ट की डेडलाइन बढ़ाकर वर्ष 2021-22 कर दी गयी है। अधिकारियों के मुताबिक इस वर्ष झाँसी से पिरौना तक लगभग 40 किलोमीटर का ट्रैक तैयार हो जाएगा। इसके बाद अगले 2 सालों में शेष कार्य पूर्ण होगा। एक तरह से देखा जाए, तो रेलवे 4 साल में 40 किलोमीटर ट्रैक ही तैयार कर पाएगा, जबकि शेष 164 किलोमीटर ट्रैक 3 साल में तैयार करने का दावा है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि तो प्रोजेक्ट के लिए पटरियाँ न मिलना भी प्रोजेक्ट के पिछड़ने का एक बड़ा कारण है। रेलवे सेल (स्टील अथॉरिटि इण्डिया लिमिटेड) से पटरियों की ख़्ारीद करता है और कम्पनि पर ही निर्भर है। प्रोजेक्ट का तय समय पर पूरा होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि सेल पटरियों की सप्लाई किस ते़जी से करता है। प्रोजेक्ट में ढिलाई पर काम कर रहीं कम्पनी़ज पर कार्यवाही भी की जा चुकी है, पर प्रोजेक्ट इस बार दी गयी डेडलाइन में भी पूरा हो पाएगा, ऐसा कहना मुश्किल ही है।

फाइल : हिमांशु वर्मा

समय : 7.35 बजे

20 नवम्बर 2018


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