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खाली बैठा इनवर्टर बढ़ा रहा बिजली का बिल

लोगो : न्यू़ज खास आपके लिए ::: - लोग नहीं करते इस्तेमाल, बचा सकते हैं हर माह लगभग 70-80 यूनिट बि

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Sep 2018 01:04 AM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 01:04 AM (IST)
खाली बैठा इनवर्टर बढ़ा रहा बिजली का बिल
खाली बैठा इनवर्टर बढ़ा रहा बिजली का बिल

लोगो : न्यू़ज खास आपके लिए

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- लोग नहीं करते इस्तेमाल, बचा सकते हैं हर माह लगभग 70-80 यूनिट बिजली

झाँसी : बिजली का बढ़ता बिल लोगों के पसीने छुड़ा रहा है। टैरिफ में नियमित बढ़ोत्तरी तो इसका कारण है ही, पर तमाम ऐसी छोटी-छोटी बातें हैं, जो सिर्फ ध्यान न देने की वजह से बिल बढ़ा रही है। कुछ दिलचस्प आँकड़े आपको चौंका देंगे। महसूस करेंगे कि आप भी यह गलती करते आ रहे हैं।

इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगने के बाद से ऐसी शिकायतों का अम्बार लग गया है कि बिजली का बिल कहीं अधिक आने लगा है। सरकार ने ऊर्जा संरक्षण के साथ ही बिल कम करने के लिए एलईडी बल्ब को प्रमोट किया। लोगों ने इसकी महत्ता समझते हुए इसे भी अपना लिया, पर बिल वही का वही रहा। अब सवाल उठने लगे हैं कि एलईडी बल्ब की चमक फीकी क्यों पड़ गयी? क्यों यह बिल कम करने का अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पाए? इसका एक प्रमुख कारण टैरिफ का महँगा होना है। घरेलू कनेक्शन की बात करें, तो चार स्लैब में बँटा टैरिफ 4.50 रुपए प्रति यूनिट से शुरू होकर 6.20 रुपए प्रति यूनिट तक जाता है। खपत के हिसाब से स्लैब लागू हो रही है। बीते तीन सालों की तुलना में यह लगभग डेढ़ गुना अधिक है। वहीं, खपत के चार्ज पर 7.5 प्रतिशत की इलेक्ट्रिसिटि ड्यूटि व 4.28 प्रतिशत का रेग्युलेट्रि सरचार्ज भी बिल की राशि को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। फिक्स चार्ज, जो 3 साल पहले 50 रुपए प्रति किलोवॉट था, अब 100 रुपए प्रति किलोवॉट तक पहुँच गया है। जाहिर है कि अगर आपका 2 किलोवॉट का कनेक्शन है और आपने 500 रुपए की बिजली का उपयोग किया है, तो 200 रुपए फिक्स चार्ज व लगभग 50 रुपए टैक्स पार्ट के मानिए। इस प्रकार बिल बना 750 रुपए। पर, ध्यान देने वाली बात यह भी है कि अब बिजली की उपलब्धता पहले की तुलना में कहीं अधिक हो गयी है, ऐसे में इनवर्टर का प्रयोग सीमित हो गया है। एक बैटरि वाला इनवर्टर जहाँ 500 वॉट का होता है, तो डबल बैटरि पर यह 750 वॉट हो जाता है। अब जब बिजली 21 से 22 घण्टे के बीच आ रही है, तो इनवर्टर सिर्फ चार्ज होता रहता है। यानी, ऊर्जा की खपत करता रहता है, पर इसका उपयोग बहुत ही कम होता है। इसे आँकड़ों में तब्दील किया जाए, तो 70 से 80 यूनिट बिजली का अतिरिक्त खर्च इनवर्टर की सिर्फ चार्जिग पर चुकाया जा रहा है। अगर सबसे कम स्लैब लेकर भी चलें, तो 70 यूनिट पर करीब 300 रुपए प्रति माह का अतिरिक्त खर्च आता है, जबकि उपयोग कुछ खास है नहीं। बिजली विभाग के अधिकारी बताते हैं कि अगर लोग एक दिन में 4 से 5 घण्टे भी इनवर्टर में बिजली बन्द कर इसका उपयोग करें, तो बिजली की खपत को कम कर प्रति माह 200 से 400 रुपए तक बचा सकते हैं। इसका एक बड़ा फायदा यह भी है कि खपत कम होने का असर स्लैब पर भी बढ़ता है, जिसके आधार पर एनर्जी चार्ज की गणना होता है। अगर ऐसा कर चौथे से तीसरे या तीसरे से दूसरे स्लैब में आ सकते हैं, तो कम से 500-600 रुपए प्रतिमाह की बचत तय मानिए। इधर, मोबाइल चार्जर का उपयोग सीमित कर कुछ बचत की जा सकती है। अधिकांश लोग मोबाइल चार्जिग पॉइण्ट को हमेशा ऑन रखते हैं, इस कारण 10 से 20 यूनिट प्रति माह की बढ़ोत्तरी होती है - यह फालतू है। यदि इसको रोक लिया जाए, तो भी काफी हद तक बिल को कण्ट्रोल किया जा सकता है।

फाइल : हिमांशु वर्मा

समय : 8.10 बजे

21 सितम्बर 2018


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