अब इंश्योरेंस के दायरे में होगा बैंकिंग साइबर फ्रॉड
लोगो : न्यू़ज आपके लिए ::: - बैंक व उपभोक्ता दोनों को नहीं होगा नु़कसान - राष्ट्रीयकृत व सहकार
लोगो : न्यू़ज आपके लिए
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- बैंक व उपभोक्ता दोनों को नहीं होगा नु़कसान
- राष्ट्रीयकृत व सहकारी बैंकों को भी लेनी होगी पॉलिसी
- बढ़ते साइबर फ्रॉड को देखते हुए लिया गया निर्णय
झाँसी : बैंकिंग सिस्टम के नाम पर लगातार बढ़ रहे साइबर फ्रॉड को देखते हुए बैंकों ने इसकी भरपाई का रास्ता निकाल लिया है। अब सभी प्रकार के बैंक 'साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी' लेंगे। इस पॉलिसी को लेने के लिए बैंकों को साइबर सुरक्षा बढ़ानी होगी। इसके बाद भी धोखा होता है, तो बैंकों को इसकी भरपायी इंश्योरेंस कम्पनि करेगी, जो उपभोक्ताओं को दिया जा सकेगा। जाहिर है, इससे न तो बैंक का नु़कसान होगा और न ही उपभोक्ता का।
लगभग 40 साल पहले बनी व्यवस्था के अनुसार बैंक अभी तक एक इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, जिसमें बैंक के अन्दर लूट व कूटरचित दस्तावे़ज के आधार पर लिया गया भुगतान इसके दायरे में होता है। समय बदलने के साथ बैंकिंग फ्रॉड के तरीके भी बदल गये हैं। अब कूटरचित दस्तावे़ज के नाम पर तो नाममात्र का ही फ्रॉड बचा है, बैंक को सबसे अधिक खतरा साइबर फ्रॉड से हो गया है। बैंक अधिकारी, बीमा अधिकारी बनकर ठगों ने बैंक उपभोक्ताओं से उनके खाते व एटीएम कार्ड की गोपनीय जानकारी हासिल कर चपत लगानी शुरू कर दी। यह अभी तक बदस्तूर जारी है। इसके बाद एटीएम कार्ड क्लोनिंग जैसा फ्रॉड भी सामने आया, जो उपभोक्ताओं की समझ से आज तक बाहर है। उपभोक्ता हैरान इस बात पर रहते हैं कि जब उनका एटीएम कार्ड उनके पास है और किसी को उन्होंने कार्ड या खाते की गोपनीय जानकारी दी नहीं, तो उनके खाते से पैसे किसी और शहर से कैसे निकल सकते हैं। ऐसे मामलों में उपभोक्ता पूरा गुस्सा बैंक कर्मियों पर निकालते हैं, बाद में बैंक या उपभोक्ता पुलिस में एफआइआर दर्ज करा देते हैं। फिर इसकी जाँच चलती रहती है। केस सही पाया जाने पर कई मामलों में बैंक उपभोक्ताओं को उस धनराशि की भरपाई कर देते हैं, तो कई में नहीं भी। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं का जहाँ आर्थिक नु़कसान होता है, तो बैंक की छवि भी प्रभावित होती है। बैंक ऐसे मामलों से निपटने के लिए जागरूकता अभियान तो चलाते हैं, पर इनकी रेंज सीमित होती है, हर उपभोक्ता तक यह पहुँच जाए, ऐसा सम्भव नहीं हो पाता। इसलिए इण्डियन बैंक असोसिएशन ने सभी बैंकों को निर्देशित किया है कि वे साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी अनिवार्य रूप से लें। न सिर्फ राष्ट्रीयकृत, बल्कि सहकारी बैंकों भी ऐसा करना होगा। यह पॉलिसी जिस कम्पनि से ली जाएगी, उसकी शर्तो के अनुरूप बैंकों को साइबर सुरक्षा की व्यवस्था करनी होगी। इससे सुधार तो होगा ही, बैंक पॉलिसी हासिल करने में कामयाब हो जाएंगे। इसके बाद भी यदि फ्रॉड होता है, तो बीमा कम्पनि इसकी जाँच कर बैंक को उतनी धनराशि की भरपायी करेगी। बैंक अधिकारियों के अनुसार आइबीए के निर्देश पर बैंक प्रबन्धनों ने इसके लिए नीति बनानी शुरू कर दी है।
आरबीआइ कर चुका सा़फ- बैंक करें भरपाई
बैंकिंग फ्रॉड से बैंक ही नहीं, बल्कि बैंक नियामक रि़जर्व बैंक ऑफ इण्डिया भी त्रस्त हो चुका है। तमाम प्रचार के बाद भी ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है। आइबीआइ ऐसे मामलों में सा़फ कर चुका है कि यदि उपभोक्ता की इस मामले में कोई गलती नहीं है, तो बैंकों को ठगी गयी धनराशि की भरपाई करनी होगी।
फाइल : हिमांशु वर्मा
समय : 7.30 बजे
19 सितम्बर 2018