Move to Jagran APP

हिन्दी सिर्फ भाषा ही नहीं, अस्मिता और पहचान है : कुलपति

फोटो-14 बीके 105, 14 एसएच 12 --- 0 हिन्दी दिवस पर हुए विविध कार्यक्रम झाँसी : बुन्देलखण्ड विश

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 12:13 AM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 12:13 AM (IST)
हिन्दी सिर्फ भाषा ही नहीं, अस्मिता और पहचान है : कुलपति
हिन्दी सिर्फ भाषा ही नहीं, अस्मिता और पहचान है : कुलपति

फोटो-14 बीके 105, 14 एसएच 12

loksabha election banner

---

0 हिन्दी दिवस पर हुए विविध कार्यक्रम

झाँसी : बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने कहा कि हिन्दी मात्र एक भाषा ही नहीं, बल्कि देश के लाखों लोगों की पहचान एवं अस्मिता है। हिन्दी को अपनी मातृभाषा के रूप में अंगीकार कर उसके प्रचार प्रसार में योगदान दें। वह हिन्दी दिवस के अवसर विश्वविद्यालय परिसर स्थित हिन्दी संस्थान के डॉ. वृन्दावनलाल वर्मा सभागार तथा पुस्तक पाण्डुलिपि दीर्घा के अनावरण समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि हिन्दी को संविधान निर्माताओं द्वारा राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है, परन्तु आजादी के सात दशक के बाद भी हिन्दी को राजभाषा का वह स्थान नही मिल पाया, जिसकी वह अधिकारी है। कुलपति ने कहा कि झाँसी की पहचान महारानी लक्ष्मी बाई और हॉकी के जादूगर ध्यानचन्द के साथ साहित्य जगत के सितारे मैथिलीशरण गुप्त, वृन्दावनलाल वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी आदि अनेक नामों से होती है। अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. सीवी सिंह ने कहा कि दैनिक जीवन में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग किया जाना चाहिए। पूर्व राज्यमन्त्री हरगोविन्द कुशवाहा, साहित्यकार जानकी शरण वर्मा, पन्नालाल असद, राज किशोर शुक्ला, दिनकर सक्सेना, पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. एसआर अग्रवाल, प्रो. वीके सहगल, वित्त अधिकारी अधिकारी धर्मपाल, कुलसचिव डॉ चतुर्भुजी गुप्त, डीन अकादमिक प्रो. एसपी सिंह, डॉ. काव्या दुबे, डॉ. अचला पाण्डेय, श्रीहरि त्रिपाठी, नवीनचन्द्र पटेल आदि ने विचार व्यक्त किए। इसके पहले हिन्दी संस्थान के विभागाध्यक्ष डॉ. मुन्ना तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान कुलपति ने बीए ऑनर्स हिन्दी की कक्षाओं का शुभारम्भ भी किया गया। साथ ही हिन्दी विभाग में वृन्दावनलाल वर्मा के नाम पर बने वृंदावनलाल वर्मा सभागार तथा उनकी पाण्डुलिपियाँ तथा पुस्तकों द्वारा हिन्दी संस्थान में स्थापित पुस्तक एवं पाडुलिपि दीर्घा का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर वृन्दावन लाल वर्मा के परिजन लक्ष्मीकान्त वर्मा, रमाकान्त वर्मा, मयूर वर्मा तथा मीना वर्मा विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

-पं. वासुदेव तिवारी कन्या महाविद्यालय में डॉ. अलका तिवारी की अध्यक्षता में गोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि विचार व भावनाओं की अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हिन्दी है। इस दौरान किरन गुप्ता, सिद्धार्थ वर्मा, कृष्णकान्त पटैरिया, प्रदीप बुन्देला आदि ने विचार व्यक्त किए। सिद्धार्थ वर्मा संचालन व डॉ. सुनीता वर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान हुई निबन्ध व भाषण प्रतियोगिता में दीक्षा लोहिया, स्नेहलता, आशी गुप्ता व आफरीन खान ने पहला स्थान प्राप्त किया।

-राजकीय महिला महाविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ कथाकार बृजमोहन ने रचना प्रक्रिया पर चर्चा की। अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. आरके गुप्ता ने की। इस दौरान डॉ. बीबी त्रिपाठी, डॉ. अनुभा श्रीवास्तव, डॉ. चन्द्रपाल आदि ने विचार व्यक्त किए। संयोजन व संचालन हिन्दी प्रवक्ता डॉ. अनिल सिंह ने किया। इस दौरान निबन्ध, लेखन, कविता व पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गयी।

-भारतीय चरागाह व चारा अनुसंधान संस्थान में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डॉ. जगदीश खरे ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रीयता के भावों को सुदृढ़ कर एकता सन्देश देती है। अध्यक्षता करते हुए प्रभारी निदेशक डॉ. विजय कुमार यादव ने कहा कि हिन्दी सम्वेदनाओं को समझने वाली तथा देश को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है। इस दौरान डॉ. सुनील कुरमा, डॉ. पीके पाठक, डॉ. शाहिद अहमद, नीरज कुमार दुबे ने विचार व्यक्त किए।

-भेल में मुख्य अतिथि कार्यपालक निदेशक डीके दीक्षित ने कहा कि प्रत्येक देश की अपनी संस्कृति तथा पहचान होती है। देश के निवासियों का रहन-सहन, खान-पान, आचार-विचार व संस्कार आदि भाषा के द्वारा प्रकट होता है। महाप्रबन्धक तरुण निगम ने भेल के इंट्रानेट पर हिन्दी वेब पेज का शुभारम्भ करते हुए कहा कि देश की भाषाओं, बोलियां, उप बोलियों के बीच परस्पर सम्बन्ध है, सम्पर्क और सम्वाद है। इस दौरान महाप्रबन्धक मुक्तिकान्त खरे ने विभिन्न प्रतियोगिताओं की जानकारी दी और भेल के अध्यक्ष व प्रबन्ध निदेशक अतुल सोबती का सन्देश पढ़ा। इस दौरान महाप्रबन्धक आरएन झा ने हिन्दी भाषा की उपयोगिता की चर्चा की। वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी डॉ. सन्तोष कुमार मिश्र ने संचालन व उप महाप्रबन्धक केके चौहान ने आभार व्यक्त किया। सहायक अधिकारी (अनुवाद) संजय मिश्र ने स्वागत किया।

-राजकीय संग्रहालय में विवि के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुन्ना तिवारी ने भारत की भाषा, समस्या और हिन्दी पर विस्तार से व्याख्यान दिया। प्रगति शर्मा ने सरस्वती वन्दना पढ़ी। अध्यक्षता सहायक क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुरेश कुमार दुबे ने की। इस दौरान रमाकान्त वर्मा, कुन्ती हरिराम, नवीन चन्द्र पटेल, गौरी शंकर उपाध्याय, प्रीतिकरण व मुकुन्द मेहरोत्रा, दिनेश भार्गव ने विचार व्यक्त किए। उपनिदेशक आशा पाण्डेय ने आभार व मनमोहन मनु ने संचालन किया।

-बुन्देलखण्ड महाविद्यालय में अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. बाबूलाल तिवारी ने हिन्दी के महत्व पर चर्चा की। मुख्य अतिथि डॉ. नूतन बंसल रहीं। विभागाध्यक्ष डॉ. संजय सक्सेना, डॉ. ज्योति नायक, डॉ. जितेन्द्र तिवारी आदि ने विचार व्यक्त किए। अमित शुक्ला ने संयोजन व डॉ. अनिरुद्ध गोयल ने आभार व्यक्त किया।

फाइल-रघुवीर शर्मा

समय-9.35

14 सितम्बर 18


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.