आइये, बदलाव की शुरूआत करें!
लोगो : ट्रैफिक का टेंशन ::: - पार्किंग, ट्रैफिक जैम जैसी समस्याओं का समाधान बिना जन सहयोग सम्भव
लोगो : ट्रैफिक का टेंशन
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- पार्किंग, ट्रैफिक जैम जैसी समस्याओं का समाधान बिना जन सहयोग सम्भव नहीं
- नियम तो हैं, पर पालन करने में पीछे है महानगर
- खुद से करें सवाल- सख्ती की भाषा क्यों चाहिए?
झाँसी : स्मार्ट शहर का नाम सुनते ही न जाने क्यों मन चला जाता है किसी और व्यवस्थित देश की ओर। जहाँ सा़फ सड़कें हों, बेहतर ट्रैफिक व्यवस्था हो, वाहन पार्क करने के लिए खूब जगह हो। मतलब अगर सड़क पर आएं, तो किसी प्रकार की परेशानी न हो। और हम ऐसा मानकर चलते हैं कि ऐसा सिर्फ विदेश में ही हो सकता है। कभी सोचिए कि इसी तरह के ख्याल अपने शहर के बारे में क्यों नहीं आता? शायद इसलिए, क्योंकि हम खुद ही गम्भीर नहीं हैं। बात कड़वी लग सकती है, पर है भी सौ टका सच। दोषारोपण में अव्वल रहने वाले हम खुद अपने शहर के बारे में कितना सोचते हैं, यह सवाल कभी खुद से करिये, तो समझ आ जाएगा कि क्यों स्मार्ट नाम सुनते ही मन विदेश की ओर भाग जाता है। वहाँ इस प्रकार की व्यवस्थाएं कैसी बनीं, ये जाने बगैर ही सरकार और सरकारी व्यवस्थाओं को कोसने का क्रम सालों से जारी है। कोई यह मानने को तैयार नहीं कि इस प्रकार की व्यवस्थाएं बिना जन सहयोग के नहीं बन सकतीं। क्या बनायीं नहीं हमने? याद नहीं आता, तो दिला देते हैं। मेट्रो स्टेशन- जहाँ सब कुछ व्यवस्थित है और उस शहर जाने वाले हम भी। वहाँ वाहन चलाने में डर लगता है, क्योंकि लाइसन्स नहीं है। दो-पहिया वाहन पर 3 नहीं बैठते, क्योंकि जगह-जगह चेकिंग होती है। पर, अपने शहर में किस बात का डर? अधिक होगा, तो सिफारिशी फोन पहुँचवाना कौन-सी बड़ी बात होती है। जहाँ जगह दिखी, वहाँ वाहन खड़ा कर दिया। किसी ने कुछ कहा, तो देख लेंगे उसे। यकीन मानिए कि यही सोच हमारे महानगर के विकास की सबसे बड़ी बाधा है। हमारा शहर अगर आज व्यवस्थित ऩजर नहीं आता, तो उसके लिए ़िजम्मेदार हम-आप भी कम नहीं। इसमें दो राय नहीं कि सरकारी व्यवस्थाएं लचर हैं, पर हमारी यानी, आम जनता की पहल इन्हें सुधारने में सक्षम है। बस मन में होना चाहिए कि हम अपने शहर को व्यवस्थित बनाने में पूरा सहयोग करेंगे।
यहाँ है दिक्कत
- शहर की सड़कों पर पार्किंग के लिए व्यवस्था नहीं है, इसलिए बेतरतीब खड़े वाहन आधी सड़क को घेर लेते हैं।
- ट्रांस्पोर्ट नगर न होने से भारी वाहन राजमार्गो यहाँ तक कि महानगर की भीतरी सड़कों को भी घेरे खड़े रहते हैं।
- शहर में निर्माण कार्य बड़े पैमाने पर चलते रहते हैं, इनकी गति खासी धीमी रहती है। ये भी ट्रैफिक व्यवस्था बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं।
- यातायात पुलिस हेल्मिट को लेकर लगातार अभियान चलाती है, फिर भी लोग हेल्मिट पहने नहीं दिखते। चालान कटवाने, दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल होने को तैयार हैं, पर हेल्मिट पहनने को नहीं।
- ट्रैफिक लाइट्स के अनुसार न चलने से अक्सर जैम की स्थिति बनती है। सिगनल लाइट की बिगड़ी स्थिति से ऐसी आपाधापी मचती है कि लोग अपने वाहन जल्दी निकालने के चक्कर में न तो जैम लगने की परवाह करते हैं और न ही दुर्घटना की।
- अभिभावक अपने बच्चों की ़िजन्दगी के प्रति लापरवाह दिखते हैं। नाबालिग बच्चों को बाइक दिलाना उनकी ़िजन्दगी से खेलने से कम नहीं।
यह दिखता है समाधान
- ़िजम्मेदार नागरिक की तरह यातायात नियमों का पालन करें और दूसरों को भी टोकें। इसका असर निश्चित तौर पर होता है।
बीच में बॉक्स
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लोगो : वॉट्सऐप
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यह कर रहा है यातायात विभाग
- जो नियम तोड़े, उसे दिलाएं स़जा
- वॉट्सऐप नम्बर पर भेजें फोटो, घर पहुँच जाएगा चालान
झाँसी : यातायात पुलिस ने आम लोगों को खुद से जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। यातायात प्रभारी सुभाष चन्द्र यादव ने बताया कि विभाग ने 8739855135 नम्बर जारी किया है। इस पर कोई भी व्यक्ति नियम तोड़ने वाले वाहन की फोटो खींचकर भेज सकता है। इसमें वाहन की नम्बर प्लेट दिखनी चाहिए। यातायात पुलिस उस वाहन स्वामी के घर चालान या तो डाक से भेज देगी या थाना पुलिस की मदद से पहुँचा देगी। यह एक अच्छी शुरूआत हो सकती है सुधार के लिए। सख्ती से ही सही, लोग सुधरें, यह अहम है।
58 जगह लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए विभाग महानगर में 58 जगह सीसीटीवी कैमरे लगवाने जा रहा है। इसका प्रस्ताव बनाकर अनुमोदन के लिए भेज दिया गया है। इन कैमरों का एक जगह कण्ट्रोल रूम होगा, जहाँ से शहर भर के वाहनों पर ऩजर रखी जा सकेगी।
स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स भाँप लेंगी भीड़
यातायात विभाग महानगर में 5 जगह स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स लगाने की योजना भी बना रहा है। ये लाइट्स मुख्य चौराहों पर लगी होंगी। ये एक लेन में रुके वाहनों की संख्या के आधार पर अनुमान लगाएंगी कि आगे जैम लग सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए कुछ वाहनों को रोक लिया जाएगा और व्यवस्था बनी रहेगी। जिन 5 जगहों पर ये लाइट्स लगाने की योजना है, उसमें शहर का मुख्य इलाइट चौराहा भी शामिल है।
वॉलण्टियर निभाएंगे अहम भूमिका
यह तय हुआ है कि यातायात विभाग अब चौराहों पर सामाजिक संगठनों के वॉलण्टियर्स की मदद से व्यवस्था बनाएगा। कर्मचारियों की कमी के चलते दिन भर लोग यातायात अव्यवस्था से जूझते रहते हैं। अब संगठनों के वॉलण्टियर्स को परिचय पत्र देकर उनका सहयोग चौराहों व तिराहों की यातायात व्यवस्था बनाने में लिया जाएगा।
फाइल : हिमांशु वर्मा
समय : 9.15 बजे
19 जुलाई 2018