हलाला : कितना सही-कितना ़गलत?
लोगो : जागरण सोसायटि - मेधाविनी मोहन ::: झाँसी : हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो समाज
लोगो : जागरण सोसायटि
- मेधाविनी मोहन
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झाँसी : हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो समाज में महिलाओं की दशा के बारे में एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर रहा है। इस घटना के बारे में सुन कर दिल भी दहलता है और मन में सवाल भी उठता है कि आ़जाद देश की आधी आबादी अभी तक कितनी आ़जाद हो पाई है। दरअसल, बरेली में एक मुस्लिम महिला ने अपने पति पर जबरन हलाला करवाने का आरोप लगाया है। उसने अपने ससुर पर दुष्कर्म का मु़कदमा भी दायर किया है। बताया जा रहा है कि हलाला से जुड़ा यह पहला मामला है, जिसमें पीड़िता ने दुष्कर्म के ख़्िाला़फ शिकायत दर्ज कराई है। वैसे तो यह रिवाज इस्लाम समुदाय में लम्बे समय से चला आ आ रही है।
ये है हलाला
वर्तमान प्रचलन के तहत, अगर किसी मुस्लिम महिला का अपने पति से तला़क हो जाता है और फिर वे दोनों फिर से निकाह करना चाहते हैं, तो पहले महिला को किसी और से निकाह करना होता है। उसके साथ सम्बन्ध बनाने के बाद नया पति उसे तला़क देता है, फिर वह अपने पहले पति से दोबारा निकाह कर सकती है। मगर जबरन हलाला करना और हलाला के नाम पर ऐसी जबर्दस्ती करना अपराध बताया जा रहा है। मुस्लिमों में प्रचलित निकाह हलाला और बहु-विवाह पर रोक लगाने की माँग का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए जल्द ही सम्विधान पीठ गठित होने वाली है।
ये है मामला
पीड़िता द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार पूरा मामला यह है- 'वर्ष 2009 में पीड़िता की एक युवक से शादी हुई। इसके बाद उसे दहेज के लिए परेशान किया जाने लगा। दिसम्बर 2011 में पति ने 3 बार तला़क कह कर उसे घर से निकाल दिया। जब पीड़िता ने वापस आने को कहा, तो ससुर के साथ निकाह और हलाला का दबाव बनाया गया। मना करने पर उसके साथ मारपीट की गई और नशे के इंजेक्शन दिए गए। बिना उसकी स्वीकृति के ससुर के साथ निकाह करा भी दिया गया। फिर पति से दोबारा निकाह के बाद भी ससुर द्वारा उसके साथ दुष्कर्म जारी रहा। कुछ दिन पहले फिर पति ने उसे तला़क दे दिया। इसके बाद अब देवर के साथ निकाह और हलाला के लिए पीड़िता पर दबाव बनाया जाने लगा। महिला ने हिम्मत करके इन सबके ख़्िाला़फ आवा़ज उठाई है।'
एक स़जा है हलाला
नाम न बताने की शर्त पर झाँसी की एक मुस्लिम महिला ने हलाला के बारे में अपनी राय दी- 'मैं खुद एक तला़कशुदा महिला हूँ, इसलिए मुझे अनुभव है कि पुरुष की मनमानी के चलते महिलाओं को बहुत कुछ झेलना पड़ता है। जहाँ तक बात है हलाला की, तो यह उन पुरुषों के लिए एक तरह की स़जा है - बिना सोचे-समझे अपनी पत्िनयों को तला़क देने और बाद में पछताने वाले पुरुषों के लिए। लेकिन सच बताऊँ, तो पुरुषों को कोई ख़्ास फर्क नहीं पड़ता। फर्क उन्हें पड़ता है, जिनके साथ यह सब होता है यानी, महिलाएँ। कितना ख़्ाराब लगता है कि जब मन किया छोड़ दिया, फिर किसी और के साथ सम्बन्ध बनाने पर मजबूर किया, फिर वापस अपना लिया। मेरे हिसाब से तो एक बार पति छोड़ दे, तो महिला को दोबारा उसके पास जाना ही नहीं चाहिए। वहीं जिल्लत और झगड़े भरी ़िजन्दगी फिर से क्यों जीना? मेरे पति ने भी मुझे गुस्से में तलाक दे दिया था, बाद में वह पछताए थे। बोले कि वापस आ जाओ, मैं हलाला के लिए भी तैयार हूँ, पर मैंने मना कर दिया। हलाला के रूप में स़जा तो पुरुषों के लिए निर्धारित की गई है, पर उसे भुगतती महिलाएँ हैं।'
़फोटो हाफ कॉलम : शा़िजया खान
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महिला से पूछो कि दिल पर क्या बीतती है!
धर्म के नाम पर आप ़कानून के ख़्िाला़फ नहीं जा सकते। हलाला के नाम पर किया गया दुष्कर्म भी दुष्कर्म ही रहेगा। हलाला जैसे रिवाज को होना ही नहीं चाहिए। एक महिला से पूछो कि इससे उसके दिल पर क्या बीतती होगी। सारे बन्धन महिलाओं के लिए हैं। छुप कर रहो, बस घर और बच्चे सँभालो, घर से बाहर मत निकलो। दिक्कत यह है कि इन सबसे लड़ने के लिए महिलाओं में ही एकता नहीं है। कभी डर, कभी इ़ज़्जत के नाम पर वे चुपचाप सब झेलती रहती हैं। अपनी लड़कियों को इतना कम़जोर नहीं बनाना चाहिए। उन्हें इतना म़जबूत बनाना चाहिए कि कोई भी उन्हें कुछ कहने या उनके साथ कुछ करने से पहले सौ बार सोचे। रेप जैसी घटनाएँ इसलिए और नहीं रुक रहीं कि लड़कियाँ और महिलाएँ आत्मरक्षा के उपाय नहीं सीख रहीं। मैं अपनी बेटी को मार्शल आर्ट का कोर्स करवा रही हूँ और हर लड़की को यह करना चाहिए। इस संसार में पुरुषों का राज है। जंगलराज, जहाँ कम़जोर को नोंच खाया जाता है। सोच ही यही है कि महिलाओं को पहले कम़जोर बना दो- शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हर तरह से, फिर उसे नोंच खाओ। हलाला के नाम पर जो हो रहा है, उससे या ऐसे किसी भी जुल्म से बचने के लिए हम महिलाओं को हर तरह से म़जबूत बनना होगा।
़जरूरी है हलाला
दतिया गेट निवासी शबाना खानम कहती हैं- 'हलाला बिल्कुल सही रिवाज है। बिना सोचे-समझे दिए गए तला़क से बचने के लिए यह ़जरूरी है। ताकि व्यक्ति अपनी पत्नी को गुस्से में तला़क देने से पहले कई बार सोचे कि बाद में उसे अपनी पत्नी को किसी और को न सौंपना पड़े। बरेली की घटना दु:खद है। लेकिन दुनिया में अपराध तो हर तरह के होते रहते हैं। इसमें किसी धर्म के रिवाज को ़गलत नहीं कह सकते। कोई उस रिवाज के नाम पर क्या कर रहा है, उसके लिए वह खुद जिम्मेदार है।'
़फोटो हाफ कॉलम : अफ़जल अहमद
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हलाला का स्वरूप बिगाड़ दिया गया है
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व विधि प्रवक्ता अफ़जल अहमद का कहना है- 'तला़क के मामले में गुस्से और विवेकहीन व्यवहार को नियन्त्रित करने के लिए हलाला एक तरह का अंकुश है। असल में इसके तहत होता यह है कि 3 महीने की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर अन्तत: तला़क हो जाने के बाद अगर पत्नी की शादी किसी और पुरुष से हो जाती है और वह भी उसे तला़क दे देता है, फिर वह अपने पुराने पति से दोबारा शादी कर सकती है। इसका मतलब है कि एक बार तला़क हो जाने के बाद पुरुष अपनी पूर्व पत्नी से तभी दोबारा शादी कर सकता है, जब उसकी एक और शादी फिर तला़क हो गया हो। नहीं तो वह दोबारा उससे शादी नहीं कर सकता। बिना सोचे-समझे तला़क देने के बाद फिर पत्नी को दोबारा पाने के लिए लोगों ने हलाला का स्वरूप ही बिगाड़ दिया। दोबारा शादी करने के लिए वे पूर्व पत्नी की शादी करा कर, फिर अगले दिन तला़क दिलवा कर फिर उससे शादी करने लगे। अपने असल स्वरूप में हलाला एक तरह का अंकुश है, जो कि शादी के रिश्ते को बचाए रखने में मदद करता है।'
़फाइल : मेधाविनी
19 जुलाई 2018
समय : 6.15