़िजलाधिकारी ने चखा कस्तूरबा आवासीय विद्यालय का भोजन
फोटो : 19 बीकेएस 102 ::: 0 बबीना विकास खण्ड कार्यालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था द
फोटो : 19 बीकेएस 102
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0 बबीना विकास खण्ड कार्यालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था देखी
झाँसी : ़िजलाधिकारी ने आज बबीना ब्लॉक के कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालय, ब्लॉक कार्यालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण किया। उन्होंने बालिका आवासीय विद्यालय में छात्राओं को दिए जाने वाले भोजन को भी चखा।
़िजलाधिकारी शिवसहाय अवस्थी आज फॉरेस्ट विलेज ग्राम रसोई स्थित कस्तूरबा आवासीय विद्यालय पहुँचे। उन्होंने विद्यालय में स्वास्थ्य शिविर लगाने को कहा। छात्राएं बगैर यूनिफार्म में मिलीं, तो उन्होंने ड्रेस वितरण की जानकारी ली। बालिकाओं से बात करते हुए मैन्यू के अनुसार भोजन बनने की जानकारी ली। वॉर्डन ने पानी की समस्या की जानकारी दी, तो उन्होंने निस्तारण का आश्वासन दिया। बाद में वह विकास खण्ड बबीना पहुँचे और उपस्थिति पंजिका देखी। उन्होंने उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर किए बगैर और भ्रमण पत्रिका में अंकित किए बिना क्षेत्र में भ्रमण पर जाने पर अवर अभियन्ता आरईएस से स्पष्टीकरण लेने के साथ विभागीय कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर व भ्रमण पंजिका में भ्रमण अंकित करने के बाद ही कार्यालय छोड़ने को कहा। उन्होंने विभिन्न पटल में पत्रावलियों के रखरखाव को देखा। प्रधानमन्त्री आवास योजना की प्रगति पर चर्चा की और क्षेत्र पंचायत निधि के कार्यो की समीक्षा की। उन्होंने एडीओ पंचायत व मनरेगा सेल के कार्यो को भी देखा। ़िजलाधिकारी बाद में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुँचे और मरी़ज व तीमारदारों से दवाओं व भोजन के साथ अन्य सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। इस अवसर पर खण्ड विकास अधिकारी राधेश्याम वर्मा, ब्लॉक मेडिकल ऑ़िफसर डॉ. अंशुमन तिवारी, वॉर्डन कस्तूरबा विद्यालय सोनिया वर्मा आदि उपस्थित रहे।
सरकारी भवनों में न रहें प्राइवेट व्यक्ति
इधर, ़िजलाधिकारी ने एक पत्र जारी करते हुए सभी ़िजला स्तरीय अधिकारियों से कहा कि है कि सरकारी भवनों में कोई प्राइवेट व्यक्ति का निवास न करे। विभाग की सम्पत्ति की सुरक्षा न कर पाना गम्भीर अनियमितता की श्रेणी में आता है। इसीलिए सभी अधिकारी अपने विभाग की सम्पत्तियों की समीक्षा कर ऐसे ़कब़्जे हटाना सुनिश्चित करें। साथ ही उन्होंने इस आशय का प्रमाण-पत्र भी प्रस्तुत करने को कहा।
अधिकतर शिक्षा मित्र अपने मूल विद्यालय या आसपास ही तैनात
0 महानगर के आसपास रह रहे शिक्षा मित्र अपने मूल विद्यालय लौटने की मूड में नहीं
0 लगभग 300 शिक्षा मित्र माँग सकते हैं अपना मूल विद्यालय
झाँसी : शासन ने समायोजित शिक्षकों को अपने मूल विद्यालय भेजने की माँग को स्वीकार कर लिया है और इसको लेकर आज शाम शासनादेश भी जारी कर दिया। पर, जनपद में अधिकतर शिक्षा मित्र अपने मूल विद्यालय या आसपास ही हैं। इसीलिए जनपद में बड़े स्तर पर फेरबदल की उम्मीद कम ही है।
प्रदेश में शिक्षा मित्रों को मूल विद्यालय भेजने की माँग की जा रही है। पिछले सत्र में भी इस तरह की बात शासन तक पहुँची थी, लेकिन अब शासन ने इस पर विचार कर शासनादेश जारी कर दिया है। अपने मूल विद्यालय से समायोजित होकर शिक्षक बनाए गए, और बाद में उनको उच्चतम न्यायालय के निर्देश से वापस शिक्षा मित्र तो बना दिया, लेकिन उनको वापस अपने विद्यालय नहीं भेजा गया। जनपद में 1,740 शिक्षामित्रों में से लगभग 1,600 को समायोजित किया गया है। उस समय अतिरिक्त पद सृजित होने से अधिकतर शिक्षा मित्रों ने विकल्प का उपयोग करते हुए अपने मूल विद्यालय या अपने ब्लॉक को ही विकल्प के लिए चुना था। इसके अलावा महिला शिक्षामित्रों ने महानगर के आसपास बबीना व बड़ागाँव ब्लॉक में भी पदस्थापना करा ली और महानगर में निवास बना लिया। कई शिक्षामित्र पति-पत्नी तो महानगर में ही बच्चों को पढ़ाने लगे हैं। इसीलिए इनके वापस लौटने की सम्भावना कम ही है। जनपद में पहले समायोजन सूची में अतिरिक्त पद सृजित नहीं होने से उन्हें दूसरे ब्लॉक में भेजा गया था। ऐसे लगभग 300 से अधिक शिक्षामित्र वापस अपने मूल विद्यालय के लिए आवेदन कर सकते हैं। शिक्षा मित्रों के मूल विद्यालय के शासनादेश जारी होने के बाद अब यह प्रक्रिया एक-दो दिन में पूरी कर ली जाएगी।
मूल विद्यालय से ही जुड़ी हैं सेवा-शर्ते
शासन ने शिक्षा मित्रों को अपने मूल विद्यालय भेजने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया है, लेकिन शिक्षा मित्रों की सेवा-शर्त मूल विद्यालय से ही जुड़ी हैं। शिक्षा मित्रों को अवकाश, महिला शिक्षा मित्रों को प्रसूति अवकाश तथा अन्य सुविधाएं ग्राम पंचायत शिक्षा समिति से ही स्वीकृत होती हैं। अपने गाँव में शिक्षा मित्र के चयन के समय सेवा-शर्ते भी तय की गयी थी। अब समायोजन के बाद वापस मूल पद पर भेजने के बाद फिर सेवा-शर्ते लागू हो गयीं। मूल विद्यालय में रहने से शिक्षामित्र को अवकाश व अन्य सुविधा पाने में दिक्कत नहीं होती है। दूसरे विद्यालय में रहने से इसको लेकर कई दिक्कतें पैदा हो रही हैं। इसी कारण मूल विद्यालय वापस भेजने की माँग उठी है।
एक विद्यालय में 2 से अधिक हो सकते हैं शिक्षामित्र
शासन ने शिक्षामित्रों से ही विकल्प लेने की तैयारी की है। इससे एक विद्यालय में शिक्षामित्रों की संख्या 2 से अधिक हो सकती है। यदि शिक्षामित्र अपने मूल विद्यालय वापस जाते हैं और वहाँ पहले से ही शिक्षा मित्र कार्यरत हैं, तो फिर छात्र अनुपात बिगड़ने पर नियमित शिक्षक को हटाने का विकल्प दिया गया है। शिक्षा मित्रों को वित्तीय अधिकार नहीं होने से विद्यालय में कम से कम एक शिक्षक रहना अनिवार्य है, लेकिन छात्र अनुपात में शिक्षक व शिक्षा मित्रों को बराबर माना गया है और 30 छात्रों पर एक शिक्षक या शिक्षामित्र की तैनाती दी गयी है। इसीलिए इस शासनादेश को लेकर कई दिक्कतें आ सकती हैं। शासनादेश का विवरण अभी जि़ला मुख्यालय नहीं पहुँचा है।
फाइल : रघुवीर शर्मा
समय : 7.10
19 जुलाई 18