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ऐतिहासिक जुलूस-ए-अमारी में जुटे जायरीन

कर्बला के शहीदों के लुटे हुए काफिले की याद में बड़ागांव का ऐतिहासिक जुलूस-ए-अमारी शुक्रवार को संपन्न हुआ। अंजुमनों ने नौहा व मातम किया तो धर्म गुरुओं ने तकरीर कर शहीदों को खिराज-ए-अकीदत पेश किया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 07:48 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 07:48 PM (IST)
ऐतिहासिक जुलूस-ए-अमारी में जुटे जायरीन
ऐतिहासिक जुलूस-ए-अमारी में जुटे जायरीन

जागरण संवाददाता, शाहगंज (जौनपुर): कर्बला के शहीदों के लुटे हुए काफिले की याद में बड़ागांव का ऐतिहासिक जुलूस-ए-अमारी शुक्रवार को संपन्न हुआ। अंजुमनों ने नौहा व मातम किया तो धर्म गुरुओं ने तकरीर कर शहीदों को खिराज-ए-अकीदत पेश किया।

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रौजा पंजा शरीफ से सुबह पांच बजे मौलाना वसीम हैदर ने गमजदा माहौल में अपनी तकरीर से कर्बला के शहीदों को याद करते हुए जुलूस की शुरुआत की। जुलूस कदीमी रास्तों से होता हुआ कैद-ए-शाम से रिहाई के बाद अहले बैत की याद दिलाते हुए इमामबाड़ा चार रौजा पर पहुंचा। वहां स्थानीय व दूर-दराज से आई अंजुमनों ने नौहा व मातम कर कर्बला के मंजर को ताजा कर दिया। जुलूस में शरीक अलम व जुलजनाह लुटे काफिले की याद दिलाते रहे। अंजुमन मोईनुल मोमनीन भादी, शाहगंज द्वारा रेलवे क्रा¨सग तिराहे पर जुलूस में जाने वालों के लिए चाय व बच्चों के लिए दूध का इंतजाम किया गया। जुलूस में ग्राम प्रधान मोहम्मद अजहर द्वारा समुचित इंतजाम किए गए थे। इस अवसर जैगम अब्बास, मोहम्मद अजहर, वसीम हैदर, जीशान हैदर, जहरुल हसन जैदी, जिल्ले हसन, असगर मेंहदी, इशरत हुसैन खां, कल्बे अब्बास, मौलाना शौकत सहित बड़ी संख्या में जायरीन मौजूद रहे।


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