पर्यावरण को संजीवनी देने को उगाये जा रहे 66 लाख पौधे
जल व पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से राहत भरी खबर है। जिले में वृक्षच्छादित क्षेत्र में 16 फीसद इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं आम लोगों के जीवन में जहर घोल रहे प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए वन विभाग 66 लाख पौधों को अपनी 49 नर्सरियों में उगा रहा है। इसमें से 17 लाख पौधों को वन विभाग स्वयं लगाएगा जबकि 24 लाख पौधों को ग्राम पंचायतों समेत अन्य विभागों को दिया जाएगा। बरसात के साथ ही एक अभियान के तहत पौधारोपण किया जाएगा। तैयारी को विस्तृत रूप देने के लिए इसका पूरा माइक्रो प्लान तैयार किया गया है जिसमें सभी रेंज अधिकारियों की ड्यूटी अभी से तय कर दी गई है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: जल व पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से राहत भरी खबर है। जिले में वृक्षच्छादित क्षेत्र में 16 फीसद इजाफा हुआ है। इतना ही नहीं आम लोगों के जीवन में जहर घोल रहे प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए वन विभाग 66 लाख पौधों को अपनी 49 नर्सरियों में उगा रहा है। इसमें से 17 लाख पौधों को वन विभाग स्वयं लगायेगा, जबकि 24 लाख पौधों को ग्राम पंचायतों समेत अन्य विभागों को दिया जायेगा। बरसात के साथ ही एक अभियान के तहत पौधरोपण किया जायेगा। तैयारी को विस्तृत रूप देने के लिए इसका पूरा माइक्रो प्लान तैयार किया गया है, जिसमें सभी रेंज अधिकारियों की ड्यूटी अभी से तय कर दी गई है।
प्रत्येक वर्ष वन विभाग की ओर से तीन लाख पौधे लगाये जाते हैं। हालांकि इनमें से 50 से 60 फीसद पौधे ही वृक्ष का रूप ले पाते हैं। हालांकि इस वर्ष दोगुने से भी अधिक पौधरोपण करने की तैयारी की गई है। वन विभाग अपनी विभिन्न 49 नर्सरी में 66 लाख पौधों को उगा रहा है। खास बात यह है कि वृक्षच्छादित क्षेत्र में 16 फीसद इजाफा हुआ है। हरियाली बरकरार रखने के लिए प्रत्येक वर्ष 300 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। इतना ही नहीं ग्लोबल वार्मिंग का असर कम करने के लिए मुख्यमंत्री वृक्ष धन योजना की शुरूआत पहले ही की जा चुकी है। पेड़ों की संख्या बढ़ने से जहां पर्यावरण को महफूज करने में मदद मिलेगी, वहीं जीवन में जहर घोल रहे प्रदूषण का स्तर भी कम होगा।
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पांच वर्षों में छह हजार काटे गए पेड़
विकास कार्यों के लिहाज से गत पांच वर्षोँ में छह हजार पेड़ काट दिए गए। जिस तेजी से पेड़ काटे गए उतनी संख्या में पौधे रोपे नहीं जा सके। यही वजह है कि सड़कों के किनारे अब पेड़ों की संख्या बेहद कम रह गई है। नगर क्षेत्र में पेड़ों की संख्या न के बराबर है। गोमती किनारे पौधारोपण की योजना दो वर्ष बाद भी सफल नहीं हो सकी।
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वर्जन
सड़क व नहर के किनारों के अलावा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पौधारोपण किया जाएगा। 66 लाख पौधों के रहने से पौधारोपण के बाद सूख चुके पौधों को बदलने में मदद मिलेगी। वृक्षों के कटान से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, जिससे बनाए रखने में सभी की सहभागिता बेहद जरूरी है।
-एपी पाठक, डीएफओ।