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भुगतान के लिए अस्पताल ने शव को रखा बंधक, गिड़गिड़ाते रहे परिजन

उपचार के खर्च का भुगतान न होने से वाराणसी के निजी अस्पताल ने वृद्ध का शव बंधक रख दिया है। परिवार वालों की गुहार पर जिलाधिकारी द्वारा की गई पहल का भी असर नहीं हुआ। सिकरारा क्षेत्र के बांकी गांव निवासी बड़े लाल सिंह (70) दो दिन पूर्व सांड़ के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उपचार के दौरान उनकी गुरुवार को मौत हो गई। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना की चहुंओर चर्चा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 08:43 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 06:07 AM (IST)
भुगतान के लिए अस्पताल ने शव को रखा बंधक, गिड़गिड़ाते रहे परिजन
भुगतान के लिए अस्पताल ने शव को रखा बंधक, गिड़गिड़ाते रहे परिजन

जागरण संवाददाता, सिकरारा (जौनपुर): उपचार के खर्च का भुगतान न होने से वाराणसी के एक निजी अस्पताल ने वृद्ध का शव बंधक रख दिया है। परिवारवालों की गुहार पर जिलाधिकारी द्वारा की गई पहल का भी असर नहीं हुआ। सिकरारा क्षेत्र के बांकी गांव निवासी बड़े लाल सिंह (70) दो दिन पूर्व सांड़ के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उपचार के दौरान उनकी गुरुवार को मौत हो गई। मानवता को शर्मसार करने वाली इस घटना की चहुंओर चर्चा है।

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बांकी गांव निवासी बड़ेलाल सिंह को मंगलवार की रात सांड़ के हमले से घायल कर दिया था। उनका इलाज वाराणसी के शिवपुर बाईपास के पास स्थित एक निजी अस्पताल में चल रहा था। इलाज के दौरान गुरुवार की रात मौत हो गई। दो दिन के इलाज में अस्पताल प्रशासन ने लगभग एक लाख पांच हजार का बिल बना दिया। मृत बड़ेलाल के दो बेटे शिव कुमार व देवानंद पूना में वाचमैनी का काम करके किसी तरह से परिवार की आजीविका चला रहे थे। सूचना मिलने पर बड़ा बेटा शिव कुमार गुरुवार की रात घर पहुंचा। परिजनों की स्थिति इतना अधिक पैसा जमा करने की नहीं है। पिता के शव को अस्पताल से निकलवाने के लिए लोगों से सहायता मांग रहे हैं। शुक्रवार की सुबह खंड विकास अधिकारी व ब्लाक के पशु चिकित्सा अधिकारी भी गांव जाकर लोगों से बात किये तो किसी तरह 15 हजार रुपये जुट पाया। परिवार के लोग पैसे के लिए लोगों से गुहार लगा रहे हैं। भुगतान न होने से रात साढ़े आठ बजे तक अस्पताल प्रशासन ने शव नहीं दिया था। शव लेने को गिड़गिड़ाती रही बहू व बेटीे

लगभग 48 घंटे तक चले इलाज के बाद अस्पताल में मौत के बाद शव लेने के लिए बेटी अंजू व बहू संगीता के साथ भाई छोटेलाल पूरी रात अस्पताल प्रशासन से गिड़गिड़ती रही, लेकिन कोई फर्क अस्पताल प्रशासन पर नहीं पड़ा। पूरे घटना से स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल उठा। परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर अस्पताल में फीस का डिस्प्ले रहता तो इतनी परेशानी नहीं होती। शव देने के एवज में अस्पताल प्रशासन एक लाख की मांग कर रहा था जो परिजनों के पास नहीं था। परिजनों ने बताया कि भर्ती के बाद से 15 हजार रुपये जमा कराया गया। अस्पताल के प्रबंधक योगेश सिंह से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान आपरेशन व दवाओं में कुल एक लाख पांच हजार रुपये का बिल आया है। जिसे परिजन जमा नही कर रहे है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी जौनपुर दिनेश कुमार व मुख्य विकास अधिकारी सहित कई लोगों का फोन आया है। कोई पैसा लेकर पास आए तब न। लोग सिर्फ फोन करा रहे हैं।


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