तबादला नीति के विपरीत अस्पतालों में कर्मचारियों की तैनाती
सरकारी अस्पतालों में स्थानांतरण नीति के विपरीत बहुत से कार्मिकों को तैनात किया गया है। एक ही पटल पर पांच साल से अधिक समय तक अधिकांश कार्मिक जमे हुए हैं। जिनके पटल बदलना जिम्मेदार उचित नहीं समझ रहे हैं। इसके पीछे के कारण आसानी से समझा जा सकता है, ¨कतु इससे नियमों की धज्जियां उड़ रही है और शासन की मंशा पर मानी फिर रहा है। हालांकि शासन ने इसे गंभीरता लिया है। ऐसे कार्मिकों का पत्र भेजकर निर्धारित प्रारुप पर ब्यौरा मांगा है। इसे लेकर स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मचा हुआ है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : सरकारी अस्पतालों में स्थानांतरण नीति के विपरीत बहुत से कर्मचारियों को तैनात किया गया है। एक ही पटल पर पांच साल से अधिक समय तक अधिकांश कर्मचारी जमे हुए हैं। जिनके पटल बदलना जिम्मेदार उचित नहीं समझ रहे हैं। इसके पीछे के कारण आसानी से समझा जा सकता है, ¨कतु इससे नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं और शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है। हालांकि शासन ने इसे गंभीरता लिया है। ऐसे कर्मचारियों का पत्र भेजकर निर्धारित प्रारुप पर ब्यौरा मांगा है। इसे लेकर स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है।
शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को ऐसे कर्मचारियों के पटल बदलने को कहा, लेकिन जनपद के अस्पतालों में तैनात ऐसे कर्मिकों का पटल परिवर्तन नहीं किया जा सका। इतना ही नहीं महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ सेवाएं द्वारा 25 सितंबर को मांगी गई इस संदर्भ में सूचना को भी सही तरीके से उपलब्ध नहीं कराने की बात कही जा रही है, जबकि इसके लिए महानिदेशक कार्यालय से निर्धारित प्रारुप तक भेजा लेकिन इस प्रारुप में शून्य अंकित कर भेज दिया गया। इसे लेकर शासन अब गंभीर हो गया है और फिर से पत्र जारी किया है, जिसके मुताबिक तीन दिनों के अंदर ऐसे कर्मिकों की सूचना उपलब्ध कराने को कहा गया है, जो एक ही पटल पर पांच साल से जमे हुए हैं। इस पत्र के आने के बाद जिम्मेदारों में हड़कंप मच गया है, क्योंकि जनपद के कई ऐसे अस्पताल हैं जहां 30 फीसद से अधिक कर्मचारी इस श्रेणी में आ रहे हैं, जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मछलीशहर भी शामिल होना बताया जा रहा है।