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इस बार भी अधूरा रह गया केंद्रीय विद्यालय का सपना

150 लाख रुपये की लागत से खड़े ढांचा का 12 साल बाद भी मालिक मिला वहीं अब केयर टेकर को सौंपने की योजना पर भी ब्रेक लग गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 04:59 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 05:28 PM (IST)
इस बार भी अधूरा रह गया केंद्रीय विद्यालय का सपना
इस बार भी अधूरा रह गया केंद्रीय विद्यालय का सपना

जागरण संवाददाता, जौनपुर: 150 लाख रुपये की लागत से खड़े ढांचा का 12 साल बाद भी मालिक नही मिला, वहीं अब केयर टेकर को सौंपने की योजना पर भी ब्रेक लग गया है। नगर के राजकीय बालिका इंटर कालेज परिसर में राष्ट्रीय सम विकास योजना से अधूरा भवन लगभग तैयार हो गया है, लेकिन अभी तक न तो केंद्रीय विद्यालय खोलने की प्रक्रिया पूरी हुई और न ही प्रवेश लिया जा रहा है। मान्यता के लिए पिछले साल ही पत्रावली भेजी गई थी लेकिन अभी भी फाइल सरकारी कार्यालय में धूंल फांक रही है। वहीं विद्यालय खोलने का श्रेय लेने वाले जनप्रतिनिधि भी बेखबर हैं।

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ं तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग यादव ने वर्ष 2005-06 में केंद्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत 3.25 करोड़ रुपये राजकीय महिला डिग्री कालेज के लिए दिया था। इस धनराशि से तीन मंजिला विद्यालय भवन बनने थे। जिसमें से प्रथम किश्त दो करोड़ 42 लाख 16 हजार रुपये अवमुक्त हो गए थे। राजकीय बालिका इंटर कालेज परिसर में कार्यदायी संस्था डूडा ने निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया। दो साल में 1.51 करोड़ लागत से ढांचा खड़ा कर काम रोक दिया गया। ठेकेदार का कहना था लागत अधिक आ रही है।

इसी दौरान सत्ता परिवर्तन के साथ ही डीएम का भी स्थानांतरण हो गया। पांच साल बाद पुन: सपा सरकार के पदारूढ़ होने के बाद लोगों में उम्मीद जगी कि बेटियों को गुणवत्तायुक्त उच्च शिक्षा देने का सपना साकार होगा। लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। पूर्ण बहुमत वाली सरकार में कई बार तत्कालिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह समेत कई बड़े नेता जनपद में आए। विकास के लंबे-चौड़े वादे किए। लेकिन कार्यकाल खत्म हो गया किसी ने इस ओर पलट कर नहीं देखा।

सूत्रों के अनुसार राजकीय महिला डिग्री कालेज के लिए शासन से स्वीकृति ही नहीं मिली है। मौखिक आश्वासन पर बिना प्रक्रिया पूरी किए ही निर्माण शुरू कर दिया गया था। एक दशक से खड़े ढांचे का सदुपयोग करने के लिए गत वर्ष तत्कालीन जिलाधिकारी डा. बलकार सिंह ने पहल शुरू किया था, कई साल से स्वीकृत केंद्रीय विद्यालय का भवन बनने से यहां कक्षाएं संचालित करने हेतु पहल तेज हो गई है। डा. सिंह के आदेश पर योजना की 1.10 करोड़ बची धनराशि से अधूरा भवन लगभग पूर्ण हो गया है।

डा. बलकार सिंह के स्थानांतरण के बाद केंद्रीय विद्यालय खोलने की योजना पर पहल न किए जाने ब्रेक लग गया। वर्तमान शिक्षण सत्र में भी विद्यालय खुलने की उम्मीद नहीं लग रही है। राजकीय महिला महाविद्यालय न खुलने से मायूस जनपदवासियों को केंद्रीय विद्यालय खुलने की खबर से खुशी थी लेकिन उनकी मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। पिछले मान्यता के लिए पत्रावली भेजी गई थी लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली। पूर्वांचल विवि के कार्यक्रम में आए डिप्टी सीएम ने भी विद्यालय खुलने का आश्वासन दिया था।


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