..तो इन बड़ी परियोजनाओं को अब लगेंगे पंख
जासं, जौनपुर : योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में आने वाली अड़चनों को दूर करने की गरज से
जासं, जौनपुर : योजनाओं के त्वरित क्रियान्वयन में आने वाली अड़चनों को दूर करने की गरज से सरकार ने परियोजनाओं की पुनरीक्षित लागत के प्रस्तावों के मूल्यांकन की व्यवस्था में संशोधन किया है। पहले परियोजना की लागत में 50 फीसद से अधिक वृद्धि होने पर अत्यंत कम धनराशि के प्रस्ताव भी व्यय वित्त समिति को भेजे जाते थे लेकिन सरकार ने तय किया है कि 25 करोड़ रुपये तक की पुनरीक्षित लागत के प्रस्ताव को प्रशासकीय विभाग खुद मंजूरी दे सकेंगे। इस निर्णय से जिले में अधूरी पड़ी बड़ी परियोजनाओं को पंख लगेगा। बजट के अभाव में रुके विकास कार्यो को गति मिल सकेगी। प्रशासन की तरफ से अभी नया पुनरीक्षित आगणन नहीं कराया गया है।
राजकीय मेडिकल कालेज सिद्दीकपुर
राजकीय मेडिकल कालेज की स्थापना के लिए 25 सितंबर 2014 को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिलान्यास किया था। इसकी ओपीडी अक्टूबर 2016 तक शुरू होनी थी। इस परियोजना के लिए 554.16 करोड़ की लागत से काम की शुरुआत के लिए मंजूरी दी गई। कालेज का निर्माण कार्य 51 हेक्टेयर भूमि पर होना है। कार्य के प्रारंभ में करीब 37 करोड़ रुपये बजट प्राप्त हुआ था। इसके बाद बजट के अभाव में काम की प्रगति धीमी तो कभी बंद हो गई। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम है। अभी कुछ दिनों पूर्व करीब 13 करोड़ रुपये बजट प्राप्त होने के बाद निर्माण शुरू हो सका है। अब तक कुल 169 करोड़ रुपये का बजट प्राप्त हो चुका है। शुरूआत में ओपीडी के साथ, कर्मचारी आवास, छात्रावास के साथ 27 प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा था।
सिटी स्टेशन क्रा¨सग ओवरब्रिज सिटी स्टेशन पर रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य वर्ष 2014 में शुरू हुआ। सेतु निगम को क्रा¨सग के दोनो तरफ 350-350 मीटर निर्माण कार्य करना है। 69 मीटर का काम रेलवे विभाग को कराना है। सेतु निगम के हिस्से निर्माण की लागत करीब 25 करोड़ सात लाख 22 हजार रुपये से होना है। वर्ष 2015 में बजट के कारण भी काम बीच में रूका रहा। फिलहाल सेतु निगम की मानें तो मात्र 56 फीसद कार्य हुआ है। इसमें मड़ियाहूं की तरफ स्लैब पड़ गया है, सिर्फ रे¨लग बाकी है। दो छोर पर पिलरों के बीच बीम ढाला गया है। अभी इसमें क्रा¨सग के ऊपर बीम नहीं गई है न ही ढलाई हो सकी है।
ऑडिटोरियम भवन :-सपा सरकार में कृषि भवन परिसर में 750 सीटों की क्षमता वाला आडिटोरियम भवन बनाने की अनुमति मिली थी। कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस वाराणसी को बनाया गया। 17.83 करोड़ की लागत से यह भवन बनना है। काम की शुरुआत के लिए कुछ बजट भी प्राप्त हो गया है। इस कार्य को पूरा करने के लिए करीब एक वर्ष का समय दिया गया था। मगर लंबे समय बाद अभी बि¨ल्डग कराकर काम शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है।
चार साल में भवन निर्माण अधूरा शाहगंज में तहसील मुख्यालय भवन का निर्माण कार्य करीब चार साल पहले शुरू हुआ जो बड़ी धीमी गति से चल रहा है। तहसील के निर्माण का जिम्मा उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड वाराणसी को दिया गया है। भवन का निर्माण दो तल होना है। निर्माण कार्य में दूसरे तल की अभी छत नहीं ढाली गई है। इसके पीछे का कारण बजट को बताया जा रहा है।
धन के अभाव में नहीं तैयार हुआ छात्रावास :- जूनियर हाईस्कूल श्रीकृष्णनगर परिसर में 2016 से निर्माणाधीन कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास का निर्माण धन के अभाव में पूरा नहीं हो सका है। जिससे महत्वाकांक्षी योजना के शुभारंभ पर ग्रहण लगता जा रहा है।
यह परियोजना एक करोड़ 70 लाख के लागत की है। अब तक महज 85 लाख प्राप्त होने से महज 60 फीसद काम हो सका है। काम यूपी सिविको करा रही है। इस संबंध में एई आर एन यादव ने बताया कि धन के अभाव में काम पूरा नहीं हो सका। अब धन आ गया है। जिलाधिकारी ने जांच हेतु टीम बना दिया है। जांचोपरांत धन मिलते ही कार्य युद्धस्तर पर पूरा किया जाएगा।
केराकत में तीन पुलों का निर्माण अधूरा :-गोमती नदी पर बसपा शासनकाल में तीन पुलों के निर्माण कार्य स्वीकृत हुए। इसमें धर्मापुर ब्लाक के अखड़ों घाट पर छह करोड़ 22 लाख की लागत से आठ पावों का, मुफ्तीगंज ब्लाक के वीरमपुर घाट पर 7 करोड़ 25 लाख 89 हजार की लागत से नौ पावों व पसेवा मई घाट पर 6 करोड़ 22 लाख रुपये की लागत से आठ पावों का पुल स्वीकृत हुआ। जिसके निर्माण हेतु बसपा सरकार ने पुलों के निर्माण हेतु तीन तीन करोड़ की धनराशि भी निर्माणदायी संस्था सेतु निगम को उपलब्ध करा दिया गया। एक निर्माण इकाई की स्थापना जौनपुर में करा दी गई। कार्य का शुभारंभ एक ही दिन तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दिकी द्वारा 15 नवंबर 2011 को शिलान्यास के जरिए किया। उस समय निर्माण कार्यदायी संस्था सेतु निगम को प्रत्येक दशा में वर्ष 2014 तक तीनों पुलों का निर्माण कार्य पूर्ण कराने का बसपा शासन ने सख्त हिदायत के साथ निर्देश दिया था। मगर वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव व सत्ता परिवर्तन के चलते सपा की सरकार बन गई। सरकार परिवर्तन होते ही तीनों पुलों के निर्माण कार्य पर ग्रहण लगने शुरु हो गए।
प्रोजेक्ट में देरी पर होता है पुनरीक्षित आगणन :-
किसी भी बड़ी परियोजनाओं के निर्धारित समय में पूरा न होने पर शासन को पुनरीक्षित आगणन भेजा जाता है। इसमें सेतु निगम के कुछ अधूरे पड़े प्रोजेक्ट का फिर से आगणन करके भेजा गया है। शासन स्तर से अभी प्रस्ताव मांगने संबंधित कोई पत्र नहीं मिला है। कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णयों का पत्र करीब एक सप्ताह में आता है।
अर¨वद मलप्पा बंगारी-जिलाधिकारी