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अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को दिया अ‌र्घ्य

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By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 09:44 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 09:44 PM (IST)
अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को दिया अ‌र्घ्य
अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को दिया अ‌र्घ्य

जागरण संवाददाता, जौनपुर: आदि गंगा गोमती की जलधारा में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को निहार अ‌र्घ्य देती हुई महिलाओं का हुजूम और उनका सहयोग करते पति, बच्चे व सगे-संबंधी। ये ²श्य हैं लोक पर्व छठ के मौके पर नगर के प्रमुख घाटों व जलाशयों के किनारे का। छठ की मधुर गीतों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। हर ओर आस्था का सैलाब उमड़ा रहा।

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श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। मंगलवार की शाम को जब भगवान भाष्कर की रश्मियां मद्धिम पड़ीं तो शहर के हरेक मोहल्ले से निकल पड़ीं गाजे-बाजे के साथ व्रती महिलाओं संग श्रद्धालुओं की टोलियां। चतुíदक मेले जैसा ²श्य। हनुमान घाट, बजरंग घाट, गोपीघाट, गोकुल घाट, विसर्जन घाट, केरारवीर, गूलरघाट पर तो आस्था का हुजूम उमड़ पड़ा। अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर सुहागिन महिलाओं ने परिवार की सुख-शांति एवं समृद्धि व अखंड सौभाग्य की कामना किया।

डाला छठ पर्व पर दोपहर बाद से ही नगर की हर राह गोमती घाट जाने वाले श्रद्धालुओं से पट गया। नगर तथा ग्रामीण अंचलों में हजारों छठ व्रतियों ने दोपहर बाद गोमती समेत पवित्र नदियों, जलाशयों के किनारे पहुंचकर प्रसाद भरे दऊरा (बांस की टोकरी) को छठी माई के चरणों में सर्मिपत किया। कोसी भरने वाली व्रतियों ने इसे सुरक्षित रखा। व्रतियों और परिवार के लोग कमर भर पानी में खड़े हो गए। अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर का पूजन किया। अ‌र्घ्य अíपत कर छठी माई की वंदना की। उपासक सुहागिनें जब डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देने जलाशय में उतरीं और भगवान से मनोरथ पूर्ण करने की कामना कर बाहर निकलीं तो पूजा में शामिल महिलाओं ने उन्हें ¨सदूर लगाया। इस बीच पूजा घाट पर दीवाली सा माहौल देखने को मिला। गुड़, शुद्ध घी से बने ठेकुआ, फल, मूली, सुथनी, हल्दी, हरी सब्जियों, ईख, नारियल आदि पारंपरिक प्रसाद के साथ देवी आराधना किया। प्रकृति पूजन के पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में धाíमक श्रद्धा और उत्साह का माहौल है।

शाहगंज के घासमंडी स्थित श्रीराम जानकी बौलिया मंदिर पर व्रती महिलाओं ने अस्तागामी सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजन किया। मंदिर परिसर स्थित पोखरे के आस-पास महिलाओं की भारी भीड़ लग रही। व्रती महिलाओं ने पूरे विधि-विधान से पूजन-अर्चन किया। व्यवस्था की ²ष्टि से स्वयंसेवक व पुलिस के जवान मुस्तैद रहे। केराकत नगर के बाबा घाट, रामेश्वर घाट, गोमतेश्वर घाट, सिहौली घाट समेत तालाबों पर हजारों महिलाओं ने डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजन किया। पूजन स्थलों पर प्रकाश व सुरक्षा के इंतजाम रहे। थानागद्दी के बम्बावन स्थित तालाब पर महिलाओं ने वेदी बनाकर पूजन किया और अ‌र्घ्य दिया। बदलापुर के भलुआही गांव स्थित पक्का पोखरा पर अ‌र्घ्य देने के लिए महिलाओं का हुजूम उमड़ पड़ा। अ‌र्घ्य देने के बाद दीपदान भी किया।

दोपहर बाद स्टेशन रोड से भारी जुलूस के साथ तासा-ढोल, डीजे के साथ श्रद्धालु सिर पर पूजन सामग्री लेकर तालाब की तरफ चल पड़े। रास्ते भर खूब आतिशबाजी हुई। छठ मईया का गीत गाती महिलाओं का समूह मनोहारी छटा बिखेर रहा था। मुफ्तीगंज क्षेत्र के गोमती नदी के किनारे एवं तालाबों के किनारे व्रती महिलाओं ने पानी में खड़ी होकर सूर्य भगवान को अ‌र्घ्य दिया। नैपुरा गांव के ग्राम प्रधान द्वारा घाट पर लाइट की व्यवस्था की गई थी। शाहगंज ब्लाक के खलीलपुर गांव स्थित शिव पोखरे पर व्रती महिलाओं ने छठी माई के पूजा कर अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। चंदवक के पुरानी बाजार, बरहपुर घाट पर छठ पूजन के लिए आस्था का सैलाब उमड़ा रहा।महिलाओं ने भगवान भाष्कर को अ‌र्घ्य देकर पूजन किया। भक्तिगीतों से पूरा नदी का किनारा गुंजायमान रहा। सिर पर टोकरी.

डूबते सूर्य को अ‌र्ध्य देने की परंपरा का निर्वाह करने के साथ ही सुहागिनें वापस 'केलवा के पात'..'काज ही बांस के बहरिया सुरुज होई हैं सहाय'..जैसे गीत गाती वापस लौटीं। वहीं पूजा में शामिल परिवार पुरुष सिर पर पूजा सामग्री एवं फलों से भरी टोकरी लेकर उपासकों के साथ चलते नजर आए। इस बीच बच्चों का उत्साह चरम पर रहा। कई न्यायिक व प्रशासनिक अधिकारी भी परिवार के साथ पूजन किया।


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