मानव की व्यथा और ईश्वर की कथा का अंत नहीं
संसार के सारे संबंध झूठे हैं, जिनका संबंध प्रभु के चरणों से है उन्हे तो आनंद ही आनंद है। संसार में लिप्त मानव की व्यथा और ईश्वर की कथा का अंत नहीं है। उक्त बातें भागवत भूषण जय प्रकाश मिश्र ने बराई निवासी उदय राज उपाध्याय के आवास पर चल रही भागवत कथा के समापन पर शुक्रवार की देर शाम कही।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : संसार के सारे संबंध झूठे हैं, जिनका संबंध प्रभु के चरणों से है उन्हे तो आनंद ही आनंद है। संसार में लिप्त मानव की व्यथा और ईश्वर की कथा का अंत नहीं है। उक्त बातें भागवत भूषण जय प्रकाश मिश्र ने बराई निवासी उदय राज उपाध्याय के आवास पर चल रही भागवत कथा के समापन पर शुक्रवार की देर शाम कही।
उन्होंने कृष्ण-सुदामा मिलन की अत्यंत मार्मिक विवेचना करते हुए कहा कि जो ईश्वर की शरण में चला जाता है उसके योग क्षेम की ¨चता प्रभु स्वयं करते हैं।सहनशीलता को मनुष्य का आभूषण बताते हुए कहा कि जिसमें सहन करने की जितनी क्षमता है वह उतना ही महान है। इस अवसर पर बजरंग बहादुर ¨सह, वीरेंद्र ¨सह उमेश सोनी, महेंद्र ऊमर, डा. सुशील उपाध्याय, जय प्रकाश, गजेंद्र, मिथिलेश नारायण आदि की उपस्थित रहे।
बक्शा विकास खंड के गौराखुर्द गांव में शारदा प्रसाद ¨सह के आवास पर प्रवचन के दौरान महाराष्ट्र से पधारे रामचरित मानस, भागवत कथाकार एवं सनातन धर्म के सशक्त हस्ताक्षर पण्डित निर्मल कुमार शुक्ल ने कहा कि तुलसीकृत राम चरित मानस विश्व साहित्य का सिरमौर ग्रंथ है। मानव जीवन के समस्त पक्षों का संपूर्ण विवेचना करने वाला अन्यत्र दुर्लभ है। विद्वान कथावाचक प्रकाशचंद्र विद्यार्थी ने रामायण की उपमा गंगा से करते हुए कहा कि जैसे गंगा जीव को मुक्त करती हैं वैसे ही रामायण भी मानव को मुक्ति प्रदान करने में सक्षम है। आयोजक शारदा प्रसाद ¨सह व अर¨वद ¨सह ने विद्वानों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया।