Move to Jagran APP

मेरे गांव की मिट्टी से भी आएगी खुशबू-ए-वतन

सतीश ¨सह, जौनपुर दिल से मर कर भी निकलेगी वतन की उल्फत! मेरे गांव की मिट्टी से भी आएगी ख

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 06:21 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 06:21 PM (IST)
मेरे गांव की मिट्टी से भी आएगी खुशबू-ए-वतन
मेरे गांव की मिट्टी से भी आएगी खुशबू-ए-वतन

सतीश ¨सह, जौनपुर

loksabha election banner

दिल से मर कर भी निकलेगी वतन की उल्फत! मेरे गांव की मिट्टी से भी आएगी खुशबू-ए-वतन!!

दिल मे ऐसा जज्बात लिए सेवानिवृत्त फौजी शाहपुर निवासी सुनील कुमार यादव उर्फ तेजू की सोच कुछ ऐसी ही है। वास्तव में ये देशभक्त होने की एक अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। अट्ठारह साल से अधिक समय तक फौजी के पद पर रहकर मातृभूमि की रक्षा के बाद इस समय कुशल शिक्षक की भूमिका में 40 किमी सफर तय कर बच्चों की प्रतिभा निखार रहे हैं। इनके प्रयास से विद्यालय में बच्चों की तादाद बढ़ गई है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय शिवपुर में गणित के मर्मज्ञ शिक्षक के रूप में शिक्षण कर रहे हैं। शाम को लौटकर प्रधान पत्नी सुषमा के साथ समाज सेवा का कार्य करना इनकी दिनचर्या में शुमार है। अपने वेतन से समाज सेवा और गरीब- मजलूमों की मदद इनकी शगल है। इसकी लोग जमकर प्रशंसा करते हैं।

सिकरारा क्षेत्र शाहपुर निवासी सुनील कुमार यादव जिन्हें लोग प्यार से तेजू फौजी कहते हैं। कारगिल युद्ध के समय पंजाब के कालानुत्तर में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में जांबाजी दिखाने के बाद जब समाज सेवा का जज्बा जगा तो गांव में आकर शिक्षक की भूमिका में बच्चो को संवारने लगे। घर से चालीस किमी दूर मुगराबादशाहपुर के छोर पर स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय शिवपुर में नियमित स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं तो शाम को लौट कर गाव में गरीब-गुरबों को शासन की योजनाओं को लाभ दिलाने के लिए देर रात तक जनपद तक दौड़ लगाते है। छुट्टी के दिन बैठकर लोगों की समस्या सुनना और उसके लिए अपने वेतन से धन खर्च करके समाधान दिलाने व्यस्त रहते हैं।

फौजी तेजू की लोकप्रियता की चर्चा आम है। अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य राजपति यादव के द्वितीय पुत्र के रूप में जन्मे तेजू बचपन से ही पढ़ने में मेधावी थे। इंटर पास करने के 1995 में आर्मी में हवलदार पद पर नियुक्त हुए। पहली पो¨स्टग जम्मू में कालूचक में हुई। तेज तर्रार होने के कारण फाय¨रग और प्रशिक्षण के लिए इन्हें निपुण माना जाता था। इस कारण यह जवानों को प्रशिक्षण के लिए अनुदेशक के रूप में भी कार्य करते थे। 2002 में'ऑपरेशन पराक्रम'में बारामेर सीमा पर बहादुरी के लिए प्रशस्ति-पत्र भी मिला था। 2006 से 08 तक कारगिल की तैनाती हो या 1999 में कारगिल युद्ध इन्होंने बहादुरी से भारत माता की रक्षा की। समाज सेवा का जजबा जेहन आया तो 2013 में 18 साल 7 माह 7 दिन की सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेकर गाव में आकर समाज सेवा में लग गए।

वेतन से बनवा दी सात सड़कें

तेजू की पत्नी सुषमा यादव ने बताया कि हमारी ग्राम सभा की आबादी पांच हजार से अधिक है। कई बस्तियों में जाने के लिए रास्ता नही था। यह देखते हुए तेजू फौजी ने अपने वेतन से निजी खर्च लगाकर सात सड़क बस्तियों में आने-जाने के लिए मिट्टी डलवाकर बनवा दिया। चुकी मिट्टी का कार्य पर रोक है। इसलिए लोगों की जरूरत देखते हुए यह सेवा उन्होंने किया है। इसकी चर्चा बस्ती वाले कर रहे हैं।

किराये का कमरा ले खोले दफ्तर

समाज सेवा का नजीर यह भी है कि शाहपुर चौराहे पर भाड़े का कमरा लेकर कार्यालय खोल रखा है। जहां इनकी पत्नी सुषमा या फिर विद्यालय से आकर तेजू शाम को बैठकर लोगो का हर्ज-गर्ज सुनते है। यही नहीं वहीं पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बुलाकर जनता को योजनाओं की जानकारी तथा लाभ भी दिलवाते हैं। शादी सहित अन्य कार्य प्रयोजन पर लोगों की मदद के लिए भी तत्पर रहते हैं। इनकी समाज सेवा की चर्चा लोग गर्व से करते हैं। प्राथमिक विद्यालय शाहपुर में भव्य गेट बनवाकर भी गांव के विद्यालय का विकास किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.