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गोमती को संजीवनी देने की कवायद शुरू

एनजीटी के सुझाव पर गोमती व सई नदी की सेहत सुधारने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है। टोटल स्टेशन तकनीक से संकट वाले स्थान को चिन्हित कर उसे सुधारने का कार्य किया जाएगा। लगातार गिर रहे जल स्तर को देखते हुए नदियों के एक किलोमीटर के आस-पास वाले क्षेत्रों को तालाबों से जोड़ने के साथ ही पौधरोपण भी किया जाएगा। इतना ही नहीं जल संरक्षण के लिहाज से नदियों के समीप रीचार्ज पाउंड भी बनाए जाएंगे। इस प्रयास से न सिर्फ पर्यावरण संरक्षित होगा बल्कि नदियों को भी आकार मिलेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Dec 2019 06:37 PM (IST)Updated: Sat, 28 Dec 2019 06:37 PM (IST)
गोमती को संजीवनी देने की कवायद शुरू
गोमती को संजीवनी देने की कवायद शुरू

जागरण संवाददाता, जौनपुर: एनजीटी के सुझाव पर गोमती व सई नदी की सेहत सुधारने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है। टोटल स्टेशन तकनीक से संकट वाले स्थान को चिन्हित कर उसे सुधारने का कार्य किया जाएगा। लगातार गिर रहे जल स्तर को देखते हुए नदियों के एक किलोमीटर के आस-पास वाले क्षेत्रों को तालाबों से जोड़ने के साथ ही पौधरोपण भी किया जाएगा। इतना ही नहीं जल संरक्षण के लिहाज से नदियों के समीप रीचार्ज पाउंड भी बनाए जाएंगे। इस प्रयास से न सिर्फ पर्यावरण संरक्षित होगा, बल्कि नदियों को भी आकार मिलेगा।

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सुल्तानपुर सीमा के महमूदपुर गांव से जफराबाद तक का सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। टीम को कुल 127 किलोमीटर का सर्वे करना है। बचे हुए कार्य को भी जल्द पूरा करने की बात कही जा रही है। सूख रही नदियों व कम होते वृक्षों से पर्यावरण पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ रहे असर को कम करने के लिए राष्ट्रीय प्राधिकरण (एनजीटी) ने इस पर चिता जताते हुए प्रदेश सरकार से इसके समाधान की बात कही थी। इसका न सिर्फ व्यापक असर हुआ, बल्कि कार्य भी शुरू कर दिया गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए नदियों से लेकर नालों तक के जीर्णोद्धार की तैयारी की गई है।

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दो नदियों का चुनाव: पांच नदियों का शहर कहे जाने वाले जौनपुर में दो नदियों का चुनाव हुआ है, जिसमे गोमती व सई नदी शामिल है। जिले में गोमती की लंबाई तकरीन 90 किलोमीटर, जबकि सई 70 किलोमीटर है। गोमती का सर्वे पूरा होने के बाद सई नदी की दशा सुधारने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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सिचाई विभाग को बनाया गया नोडल: यह कार्य मनरेगा कराएगा, लेकिन नोडल सिचाई विभाग को बनाया गया है। रिपोर्ट के आधार पर अलग-अलग विभागों को नदियों की दशा सुधारने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

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बोले अधिकारी

इस प्रोजेक्ट के लिए 22 लाख रुपये का बजट तैयार किया गया है। पहली किश्त में सिचाई विभाग को आठ लाख 92 हजार रुपये दे दिए गए हैं। नदियों के अस्तित्व को मूल रूप में लाने के लिए शासन की ओर से लिया गया यह महत्वपूर्ण फैसला है। सर्वे पूरा होने में एक माह का समय लगेगा, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।

भूपेंद्र सिंह, उपायुक्त मनरेगा


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