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राजकीय मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य ही आईसीयू में

राजकीय मेडिकल कॉलेज सिद्दीकपुर का निर्माण कार्य ही आईसीयू में पहुंच गया है। योगी सरकार भले ही दावा कर रही है कि वर्ष के अंत तक इसका निर्माण कार्य पूरा कर ओपीडी शुरू कर दी जाएगी लेकिन हालात को देखकर ऐसा मुमकिन नहीं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह धन का अभाव है। योगी सरकार ने अब तक इस भारी भरकम प्रोजेक्ट के लिए मात्र 57 करोड़ रुपये ही जारी किए हैं। जबकि प्रोजेक्ट में कुल करीब

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 06:38 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 09:33 PM (IST)
राजकीय मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य ही आईसीयू में
राजकीय मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य ही आईसीयू में

सतीश ¨सह, जौनपुर : राजकीय मेडिकल कॉलेज सिद्दीकपुर का निर्माण कार्य ही आईसीयू में पहुंच गया है। योगी सरकार भले ही दावा कर रही है कि वर्ष के अंत तक इसका निर्माण कार्य पूरा कर ओपीडी शुरू कर दी जाएगी लेकिन हालात को देखकर ऐसा मुमकिन नहीं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह धन का अभाव है। योगी सरकार ने अब तक इस भारी भरकम प्रोजेक्ट के लिए मात्र 57 करोड़ रुपये ही जारी किए हैं। जबकि प्रोजेक्ट में कुल करीब 800 करोड़ रुपये से ज्यादा की आवश्यकता है। ऐसे में 40—50 मजदूरों से ही निर्माणदायी संस्था कार्य करवा रही है। ये कहना भी गलत नहीं होगा कि बहुत जल्द कार्य ठप भी पड़ सकता है। 2015 में समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मेडिकल कॉलेज की सौगात दी थी। इसकी ओपीडी एक वर्ष में चालू करने का तत्कालीन सरकार ने दावा किया था। सरकार ने इसके निमार्ण के लिए 554 करोड़ रुपये अनुमानित लागत तय की। निर्माण के लिए 137 करोड़ रुपये जारी भी कर दिया गया। जिससे शुरुआती दौर में कार्य काफी तेजी से चला। करीब एक हजार श्रमिक काम कर रहे थे। सरकार बदलते ही धन की समस्या मेडिकल कॉलेज के सामने आ गई। श्रमिक भी भुगतान रुकने से परेशान होने लगे और काम छोड़कर भागने लगे। कई बार बकाया के लिए, श्रमिक ठेकेदार और निर्माण से जुड़ी कंपनियों के कामगारों ने गेट बंद प्रदर्शन भी किया। कार्यदाई संस्था राजकीय निर्माण निगम के आश्वासन पर टाटा प्रोजेक्ट कंपनी एक साल से निर्माण कार्य कर रही है। आधे से ज्यादा काम हो चुका है लेकिन धनाभाव में काम की रफ्तार ठप सी पड़ गई है। तीन माह पूर्व मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल के नामकरण की घोषणा की थी। इससे जिले के लोगों को आशा बंधी कि काम की रफ्तार बढ़ेगी लेकिन ऐसा हो नहीं सका। इन दिनों सिर्फ हॉस्पिटल, एकेडमिक बि¨ल्डग और हॉस्टल की चुनाई और प्लास्टर में सिर्फ 50 श्रमिक काम कर रहे हैं। निर्माण कार्य को बस बंद नहीं कहा जा सकता है लेकिन हालात बंद जैसे ही हैं। ये भी संशय में टाटा प्रोजेक्ट कंपनी के अधिकारी टीएन ¨सह की माने तो जिस तरह धन मिल रहा है, उसी तरह से काम हो रहा है। आगे क्या हाोगा कह पाना मुश्किल है। सरकार से धन मिलने के आसार हैं।

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