श्रावण मास में शिवार्चन से मनोवांछित फल प्राप्ति
श्रावण मास में शिव की आराधना का विशेष ही माहात्म्य है। समान्यत: प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा का विधान है, लेकिन पूरे वर्ष में श्रावण माह ही ऐसा महीना है जिसमें पूरे माह शिव की आराधना की जाती है। प्रत्येक दिन भगवान की पूजा, दर्शन, रुद्राभिषेक,शिवार्चन द्वारा भक्तों को मनोवांक्षित फल प्राप्त होतें है।
श्रावण मास में शिव की आराधना का विशेष ही माहात्म्य है। समान्यत: प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा का विधान है, लेकिन पूरे वर्ष में श्रावण माह ही ऐसा महीना है जिसमें पूरे माह शिव की आराधना की जाती है। प्रत्येक दिन भगवान की पूजा, दर्शन, रुद्राभिषेक, शिवार्चन द्वारा भक्तों को मनोवांक्षित फल प्राप्त होतें है। यह माह भूत भावन बाबा भोले को अतिप्रिय होता है। इसी माह में शिव की सच्चे मन से की गई आराधना सदैव फलवती होती है। तथा दिल से मांगी गई भक्तों की मनोकामनाएं बाबा पूर्ण करते हैं। श्रावण मास में सोमवार का महत्व और भी बढ़ जाता है। हिन्दू धर्मावलंबियों के अनुसार इस मास के प्रारम्भ में ही संसार के पालन कर्ता भगवान विष्णु संसार की अपनी सम्पूर्ण जिम्मेदारियों से मुक्त होकर विश्राम के लिए स्वयं पाताल लोक में चले जाते हैं। इस समय संसार की अपनी सम्पूर्ण जिम्मेदारियों को वह भगवान शिव को सौंप देते हैं। इस श्रावण मास में बाबा भोले भी माता पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर आ जाते हैं, जहां वह अपने भक्तों का दु:ख सुख सुनतें हैं। इस महीने के विषय में यह भी कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन तथा श्रद्धा से शिवोपासना करता है ,बाबा उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस माह में काली घटाओं से आच्छादित ,रिमझिम बारिसपूर्ण ,ठंडा मौसम बाबा भोले को विशेष प्रिय है । शिव के बाएं नेत्र में चन्द्रमा ,दाहि नें में सूर्य तथा मध्य मेंअग्नि का बास होता है। सावन मास,श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है जिसका स्वामी चन्द्रमा है। सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश के बाद ही श्रावण मास प्रारम्भ होता है। माता पार्वती नें इसी माह भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। बाबा ने इसी श्रावण माह में उन्हें दर्शन दिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव आराधना करने पर इस माह शीघ्र प्रसन्न होते हैं तथा भक्तों की मनोकामना ये पूरी करते हैं।
डॉ. विनीत नारायण दूबे
साहित्य सृजन संस्थान, ददरा, मड़ियाहूं