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शिव मंदिर में उमड़ता है आस्था का सैलाब

जौनपुर- रायबरेली हाइवे पर मछलीशहर क्षेत्र के कुरनी गांव में स्थित शिव मंदिर क्षेत्र के प्राचीनतम शिव मंदिरों में एक है। शिव मंदिर में महाशिवरात्रि व सावन के महीने हजारों लोग पहुंच दर्शन पूजन करते है। मंदिर परिसर ही करीब एक एकड़ में फैला हुआ है। सुरक्षा की ²ष्टि से बनाई गई चहारदीवारी मंदिर की शोभा बढ़ाती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Aug 2018 05:36 PM (IST)Updated: Sun, 19 Aug 2018 11:02 PM (IST)
शिव मंदिर में उमड़ता है आस्था का सैलाब
शिव मंदिर में उमड़ता है आस्था का सैलाब

ऐतिहासिक शिवमंदिर कुरनी

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जौनपुर-रायबरेली हाइवे पर मछलीशहर क्षेत्र के कुरनी गांव में स्थित शिव मंदिर क्षेत्र के प्राचीनतम शिव मंदिरों में एक है। शिव मंदिर में महाशिवरात्रि व सावन के महीने में हजारों लोग पहुंच दर्शन पूजन करते है। मंदिर परिसर करीब एक एकड़ में फैला हुआ है। सुरक्षा की ²ष्टि से बनाई गई चहारदीवारी मंदिर की शोभा बढ़ाती है। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने से पहले ही नंदी भगवान का दर्शन होता है। जैसे ही भक्त अंदर प्रवेश करते हैं अलौकिक शिव¨लग देख भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते है। मंदिर की सुंदरता बढ़ाने के लिए मंदिर के बगल सैकड़ों वर्ष पुराना पीपल का पेड़ है। जिस पर भक्त शिव की पूजा अर्चना करने के बाद जलभिषेक करते हैं। पीपल का वृक्ष सहित अगल बगल लगे अन्य फूलों के पेड़ मंदिर को अलौकिक बनाते हैं। इतिहास:-

मछलीशहर नगर से तीन किमी दूर पूर्व व उत्तर दिशा के कोने में कुरनी गांव में स्थित शिव मंदिर का निर्माण प्राचीन मान्यताओं के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व छाछो गांव से कुरनी तिवारी का पूरा गांव में आकर बसे तिवारी परिवार द्वारा कराया गया था। मान्यता के अनुसार उनकी कोई संतान जन्म लेते ही मृत्यु के काल में समा जाती थी। जिससे उस परिवार की पीढ़ी समाप्त होने की स्थिति में आ गई थी। पुरानी किदवंती के अनुसार परिवार के एक सदस्य को स्वप्न आया कि यदि गांव में एक शिव मंदिर, तालाब व बगल एक कुएं का निर्माण कर दिया जाए तो उन्हें जो संतान की प्राप्ति होगी वह जीवित रहेगी। इसके बाद तिवारी परिवार द्वारा गांव में उक्त शिव मंदिर सहित तालाब व कुएं का निर्माण कराया गया। इसके बाद उनके परिवार की पीढ़ी आगे बढ़ी। मंदिर निर्माण के बाद मंदिर की कथा सुन संतान की प्राप्ति की चर्चा क्षेत्र के दूर-दराज तक फैलने लगी। जिसके बाद लोग मंदिर पहुंच पूजन-अर्चन करने लगे। मंदिर पहुंचने वालों की इच्छा पूर्ण होने लगी। धीरे- धीरे मंदिर की ख्याति संतान प्राप्ति के रूप में होने लगी। जिसके बाद महाशिवरात्रि व सावन के सभी सोमवार में भक्तों की भारी भीड़ पहुंचने लगी। तैयारियां

सावन के सभी सोमवार, महाशिवरात्रि के अलावा प्रत्येक दिन मंदिर की साफ-सफाई की जाती है। मंदिर में सुबह और शाम पूजा पाठ कर आरती की जाती है। प्रत्येक दिन भक्तों के मंदिर पहुंचने से पहले ही शिव¨लग को नहलाया जाता है। ¨कतु सावन के महीने में सुबह भारी भीड़ होने की वजह से भोर में ही मंदिर की धुलाई की जाती है। सावन मास व महाशिवरात्रि, नाग पंचमी सहित प्रत्येक सोमवार को शिव¨लग पर जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती है। जिन भक्तों की मनौती पूर्ण हो जाती है वे मंदिर परिसर में ही कथा सुनते है। सभी भक्त एक ही कतार में खड़े होकर मंदिर में पूजन अर्चन करते है।

संतोष कुमार तिवारी

पुजारी शिव मंदिर के निर्माण की नींव सैकडों वर्ष पूर्व रखी गई थी। मंदिर आने वाले भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए अभी कुछ वर्षों पूर्व मंदिर की नींव सहित चारदीवारी व परिसर का जीर्णोद्धार कराया गया। मंदिर में भक्तों की सुरक्षा की ²ष्टि से प्रबंधक कमेटी का कोई एक सदस्य मौजूद रहता है।

राजेंद्र तिवारी

प्रबंधक


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