वैज्ञानिक व आईएएस बनकर करना चाहते हैं देश सेवा
वीर बहादुर ¨सह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 22 वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल राम नाईक के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त कर मेधावियों के चेहरे खिल गए। राज्यपाल से सम्मानित होने की झलक छात्र-छात्राओं के चेहरे पर साफ देखी गई। सभी ने सफलता का सूत्रवाक्य मेहनत व लगन को बताया। इस दौरान दैनिक जागरण ने कुछ मेधावियों से बात किया तो कोई वैज्ञानिक व तो कोई आईएएस बनकर देश सेवा करने की बात कही।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : वीर बहादुर ¨सह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 22 वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल राम नाईक के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त कर मेधावियों के चेहरे खिल गए। राज्यपाल से सम्मानित होने की झलक छात्र-छात्राओं के चेहरे पर साफ देखी गई। सभी ने सफलता का सूत्रवाक्य मेहनत व लगन को बताया। इस दौरान दैनिक जागरण ने कुछ मेधावियों से बात किया तो कोई वैज्ञानिक व तो कोई आईएएस बनकर देश सेवा करने की बात कही।
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एमएससी माइक्रो बॉयोलॉजी के गोल्ड मेडलिस्ट आशीष शुक्ला ने कहा कि उन्होंने अपनी कक्षा में 81.8 फीसद अंक हासिल किया है। वह रोजाना छह से आठ घंटे पढ़ाई किया करते थे। अपनी सफलता का श्रेय शिक्षकों, माता-पिता को देते है। वह आगे चलकर वैज्ञानिक बनना चाहते हैं।
टेरी पीजी कालेज गाजीपुर के बीसीए के गोल्ड मेडलिस्ट निशांत श्रीवास्तव ने बताया कि वह रोजाना आठ घंटे पढ़ाई किया करते थे। वह आगे चलकर इंडियन रेलवे में प्रोग्रामर बनना चाहते है। अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों व खुद की मेहनत को देना चाहते हैं।
मोहम्मद हसन पीजी कालेज की छात्रा अंकिता ¨सह एमएसी बॉटनी में गोल्ड मेडल प्राप्त किया है। उन्होंने पूछने पर बताया कि वह रोजाना पांच से आठ घंटे पढ़ाई की। अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देना चाहती हैं। आगे चलकर वह महिला सशक्तीकरण पर कुछ करना चाहती हैं।
कुछ इसी तरह गोल्ड मेडलिस्ट बीबीए सोनाली सोनी, एमए गृह विज्ञान की गरिमा ¨सह, एमएससी फिजिक्स की अंशिका ¨सह ने भी बताया। महिला छात्रावास व को¨चग सेंटर का किया उद्घाटन
जौनपुर : दीक्षांत समारोह में आए राज्यपाल राम नाईक ने संगोष्ठी भवन परिसर में महारानी लक्ष्मीबाई महिला छात्रावास व राष्ट्रीय सेवा योजना भवन में तकनीकी उन्नत सिविल सर्विसेज को¨चग सेंटर का उद्घाटन किया। जब गोल्ड मेडल हुआ खत्म :-
जौनपुर : दीक्षांत समारोह में 58 गोल्ड मेडलिस्टों को जब राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया जा रहा था। अंतिम समय में जब दो छात्र बचे तो गोल्ड मेडल व प्रमाण खत्म हो गया। फिर कुछ देर तक लोग इधर उधर झांकते रहे। फिर दूसरे का मेडल व प्रमाणपत्र बचे मेधावियों को देकर औपरिकता पूरी की। यह गलती तब हुई जब एक दिन पहले बकायदा गोल्ड मेडलिस्टों का मेडल व प्रमाणपत्र देकर पूर्वाभ्यास कराया जाता है।