जेल से छूटते ही वारदात की प्लानिग में लगा सतीश
सिविल लाइन इलाके में एसपी कार्यालय से सटे श्रीमहालक्ष्मी ज्वेलर्स में डकैती की सनसनीखेज वारदात को सतीश सिंह गैंग ने अंजाम दिया था। बांदा जेल में निरुद्ध रहते हुए सतीश सिंह छूटने पर कोई बड़ी वारदात करने की प्लानिग करने लगा था। रिहाई के नौ दिन बाद ही उसने गैंग के साथ कारोबारियों को दहला देने और पुलिस महकमे को चुनौती देने वाली घटना कर दी।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: पुलिस अधीक्षक रविशंकर छवि का दावा है कि सिविल लाइन इलाके में एसपी कार्यालय से सटे श्रीमहालक्ष्मी ज्वेलर्स में डकैती की सनसनीखेज वारदात को सतीश सिंह गैंग ने अंजाम दिया था। बांदा जेल से छूटने पर कोई बड़ी वारदात करने की प्लानिग करने लगा था। रिहाई के नौ दिन बाद ही उसने गैंग के साथ कारोबारियों को दहला देने और पुलिस महकमे को चुनौती देने वाली घटना कर दी।
करीब एक पखवाड़े दिन-रात मेहनत के बाद पुलिस ने सतीश गैंग के दो लोगों को गिरफ्तार कर प्लानिग से लेकर अंजाम देने तक का पूरा ब्यौरा जुटाकर घटना का खुलासा किया। एसपी के मुताबिक पूछताछ के दौरान अंबरीश सिंह व अभिषेक सिंह ने कुबूल किया कि सितंबर में सतीश सिंह बांदा से दीवानी कचहरी में पेशी के लिए आया था। तब उन दोनों के अलावा बृजेंद्र उर्फ प्रिस, अजय सिंह, हरिओम उर्फ बृजेश, रिषभ उर्फ गोलू, तपन मिश्र उससे मिलने गए थे। उसी समय सतीश ने जेल से छूटने पर बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए हामी भराई थी। 22 अक्टूबर को सतीश जेल से छूटा तो उसे लेने मुफ्तीगंज के ब्लाक प्रमुख विनय सिंह अपनी फार्चुनर व काले रंग की स्कार्पियो लेकर गए थे। विनय के साथ उनके प्रतिनिधि अजय सिंह व हम दोनों के अलावा बृजेंद्र उर्फ प्रिस, हरिओम उर्फ बृजेश, रिषभ उर्फ गोलू, तपन मिश्र, शिवम सिंह आदि रहे। 23 अक्टूबर को बनाई गई थी योजना
जेल से छूटने के बाद सतीश ने 23 अक्टूबर को औरैला व बगल के गांव उंचनीकला में गुर्गों के साथ मिलकर श्रीमहालक्ष्मी ज्वेलर्स में डकैती की योजना का खाका खींचा। 25 व 26 अक्टूबर को सतीश और उसके साथियों ने पांच घंटे तक प्रतिष्ठान की बारीकी से रेकी की। 30 अक्टूबर को औरैला गांव के ऊसर भीटा पर गैंग ने पूरी योजना को अंतिम रूप दिया। इसमें सतीश के भाई शिवम सिंह की अहम भूमिका रही। मुफ्तीगंज के प्रमुख विनय सिंह और उनके प्रतिनिधि अजय सिंह ने वारदात को अंजाम देने के लिए गैंग को असलहे, नकदी व वाहन उपलब्ध कराए। बाइक से बेलांव घाट तक गए थे डकैत
एसपी के मुताबिक 31 अक्टूबर को श्रीमहालक्ष्मी ज्वेलर्स में डकैती डालने सतीश गैंग के साथ पहुंचा तो पुलिस का मूवमेंट देख एक बार वापस लौट गया। करीब घंटे भर बाद फिर गैंग प्रतिष्ठान बंद होने के समय पहुंचा। सतीश, तपन मिश्र, बृजेंद्र उर्फ प्रिस रिषभ सिंह उर्फ गोलू अंबरीश सिंह, हरिओम उर्फ बृजेश सिंह प्रतिष्ठान में घुसे जबकि अभिषेक व शिवम बाहर की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे। एक करोड़ रुपये मूल्य के सोने के आभूषण, 3.85 करोड़ रुपये मूल्य की हीरे की अंगूठियां व कैश बाक्स से एक लाख रुपये लूट लिये। प्रतिरोध करने पर प्रतिष्ठान के मालिक सुरेश सेठ का सिर तमंचे की मुठिया से मारकर फोड़ दिया। इसके बाद ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर दहशत फैलाते हुए तीन बाइकों से सभी डकैत लाइन बाजार चौराहा, पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस होते हुए बेलांव घाट पहुंचे। वहां पहले से ही काले रंग की बिना नंबर की स्कार्पियो खड़ी थी। सतीश ने लूटे गए आभूषण उसी में रखने के बाद अंबरीश को साढ़े तीन लाख रुपये आपस में बांटने को दिया। इसके बाद सभी तितर-बितर हो गए। सतीश ने रेकी के लिए अभिषेक को एक लाख रुपये दिये थे।
पीड़ित सुरेश सेठ बेखबर
आम तौर पर पुलिस ऐसी किसी बड़ी वारदात का खुलासा करती है तो पीड़ित को तस्दीक के लिए बुलाती है। यहां मामला उल्टा था। जिस समय एसपी पुलिस लाइन में खुलासा कर रहे थे, सुरेश सेठ इससे बेखबर आम दिनों की तरह अपने प्रतिष्ठान में मौजूद रहे। तीन पुलिस जवान दुकान के बाहर कुर्सी लगाकर बैठे थे। मीडिया के सामने नकाब में पेश किए गए दोनों गिरफ्तार डकैतों व बरामद एक चेन, दो अंगूठियों व कान के टप्स को देखने तक के लिए उन्हें नहीं बुलाया गया। सुरेश सेठ ने 'जागरण' से कहा कि इन आभूषणों को दिखाया जाता तो वे तुरंत पहचान जाते कि उनकी दुकान से लूटे गए जेवर हैं या कोई और। उन्होंने कहा कि जब तक लूट का पूरा माल बरामद नहीं हो जाता तब तक उनके लिए खुलासे का कोई मतलब नहीं है। एक सप्ताह से कहां है एक आरोपित
सूत्रों का कहना है कि करीब एक सप्ताह पहले बंगलुरू हवाई अड्डे से हिरासत में लिए गए इस दुस्साहसिक व सनसनीखेज लूटकांड के सूत्रधार एक आरोपित को पुलिस ने न जाने कहां छिपा रखा है। यही नहीं कई दिनों से उसके वाहन को भी कस्टडी में लेकर पुलिस किसी दिन यहां तो किसी दिन पुलिस चौकी पर तो किसी दिन किसी एजेंसी में रख रही है। लगता है कि डीएम-एसपी के आश्वासन पर व्यापारियों द्वारा 15 नवंबर का बंद स्थगित किए जाने के बाद पुलिस ने दबाव में आकर खुलासे में जल्दबाजी कर दी।