सपना डिटिजल इंडिया का, स्कूलों में धूल फांक रहे कंप्यूटर
अनदेखी.. -प्रदेश में छह साल पहले ही बंद कर दी गई आइसीटी योजना-माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक
अनदेखी..
-प्रदेश में छह साल पहले ही बंद कर दी गई आइसीटी योजना-माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक के अभाव में नहीं हो रही पढ़ाई
जागरण संवाददाता, जौनपुर: एक ओर जहां सरकार कंप्यूटर शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा कर रही है वहीं माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा पर ग्रहण लग गया है। विद्यालयों में चल रही आइटीसी योजना बंद कर दी गई है। इसके चलते छह साल से लगभग 590 कंप्यूटर विद्यालयों में धूल फांक रहे हैं।
देश की युवा पीढ़ी को कंप्यूटर शिक्षा में पारंगत करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2009 में आइसीटी योजना लागू की गई। इस पर 75 फीसद केंद्र सरकार व 25 फीसद राज्य सरकार को खर्च करना था। सूबे में इस योजना के तहत छह हजार माध्यमिक विद्यालय कंप्यूटर शिक्षा देना था। प्रथम चरण में ढाई हजार तथा दूसरे चरण में 1500 विद्यालयों को लिया गया। तीसरे चरण से प्रक्रिया ही बंद कर दी गई।
योजना के तहत जनपद के 59 माध्यमिक विद्यालयों को लिया गया था। इन विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए दस कंप्यूटर, एक प्रिटर, एक जेनरेटर और एक वेब कैमरा दिया गया था। जेनरेटर में ईंधन के लिए एलपीजी गैस देना था। शिक्षा देने की जिम्मेदारी पांच साल के लिए एबरान व एक्ट्रामार्क कंपनी को सौंपी गई। बच्चों में बढ़ती रूचि और संख्या को देखते हुए सरकार ने सभी विद्यालयों को कंप्यूटर विषय की मान्यता तो दे दी, लेकिन व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। करार पूरा होने के बाद कंपनी ने किनारे कर लिया। जनपद के बचे विद्यालयों में जहां कंप्यूटर व अन्य संसाधन नहीं उपलब्ध हो पाए वहीं जहां व्यवस्था थी भी वहां छह साल से कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं। एक ओर देश को डिजिटल इंडिया बनाने का प्रयास हो रहा है, वहीं अधिकांश माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा कागज तक सिमट गई है। जिससे हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
बोले जिम्मेदार..
कंप्यूटर प्रशिक्षण के लिए पांच साल तक निजी कंपनी से एग्रीमेंट किया गया था। इसी दौरान संबंधित विद्यालयों के सभी शिक्षकों को कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित होना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। कंप्यूटरों से विद्यालय संबंधी कार्य लिया जा रहा है।
-प्रवीण कुमार तिवारी, प्रभारी जिला विद्यालय निरीक्षक।