बादलों ने ढंका आसमान, सर्द हवाओं ने बढ़ाई ठंड
मौसम का तेवर गुरुवार को अचानक बदल गया। सर्द हवाओं से ठंड बढ़ गई। धुंध व कोहरे के चलते जन-जीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। सूरज की किरणें धरती पर आने के लिए संघर्ष करती रहीं।। शाम होते ही बाजारों में सन्नाटा पसर गया।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: मौसम का तेवर गुरुवार को अचानक बदल गया। सर्द हवाओं से ठंड बढ़ गई। धुंध व कोहरे के चलते जनजीवन पूरी तरह प्रभावित दिखा। सूरज की किरणें धरती पर आने के लिए संघर्ष करती रहीं।। शाम होते ही बाजारों में सन्नाटा पसर गया।
दिसंबर माह में आए पहले विक्षोभ के कारण बदले मौसम से शीतलहर में इजाफा हो गया है। पहाड़ों पर हुई बर्फबारी और बारिश ने ठंड के तेवर बढ़ा दिये हैं। लोगों को सुबह रजाई-कंबल से निकलने में देर लगी। सड़कों पर आवाजाही देर से शुरू हो सकी। ठंड बढ़ने के साथ ही प्रशासन भी लोगों को जाड़े से बचाने के लिए सक्रिय हो गया है। प्रशासन की ओर से अलाव की व्यवस्था का निर्देश दिया गया। ट्रेन का सफर करने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मौसम विज्ञानी डा. पंकज कुमार के अनुसार आगे कड़ाके की ठंड रहेगी। वहीं 13 व 14 दिसंबर को हल्की वर्षा होने के साथ ही रात का तापमान काफी गिर जाएगा। उन्होंने बताया कि इनदिनों अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस रहने और हवा की गति उत्तरी पूर्वी दिशा की ओर से सात किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की संभावना है। नहीं जले अलाव, ठिठुर रहे दर्शनार्थी
जौनपुर: कड़ाके की ठंड में अब तक शीतला चौकिया धाम में अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं की गयी है। ठंड व गलन से बेहाल धामवासी ही नहीं बल्कि दूर-दराज से आने वाले दर्शनार्थियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चौकिया धाम में भोर चार बजे से ही पूर्वांचल के अन्य जिलों से दर्शनार्थी पहुंचने लगते हैं। नान्हक यादव, विशाल यादव, रवि मौर्या, देवानंद मौर्या, अनिल साहू, अनुराग श्रीवास्तव, अमरनाथ वर्मा, प्रकाश माली आदि धामवासियों ने प्रशासन से चौकियां चौराहा, चौकियां धाम तथा मंदिर के समीप अलाव जलाने की मांग किया है। आलू की फसल में झुलसा का खतरा
बदले मौसम में अगले दो-तीन दिनों तक आसमान में बादल छाए रहने एवं बारिश की संभावना है। ऐसे मौसम में आलू की फसल में फफूंद से लगने वाली झुलसा की बीमारी का प्रकोप बढ़ने की संभावना है। फसल में मैंकोजेब अथवा रिडोमिल फफूंदनाशक दवा दो ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव कर दें। यह झुलसा रोग ऐसे मौसम में तेजी से फैलता है। इसके अलावा सरसों की फसल में माहू कीट बढ़ने की संभावना है। माहू की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड आधा ग्राम अथवा डाई मेथोएट दो ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव कर सकते हैं। ठंड से पशुओं को हाइपोथर्मिया का खतरा : डा. पीके सिंह
मीरगंज : क्षेत्र सहित आस-पास के इलाकों में बढ़ रही ठंड जनमानस के साथ ही मवेशियों के लिए भी घातक साबित हो रही है। इनदिनों पशुपालकों द्वारा की गई जरा भी लापरवाही पशुओं को ठंडक के आगोश में ले लेगी। पशु चिकित्सक डा. पीके सिंह ने कहा कि इस मौसम में पशुओं का तापमान बनाए रखने के लिए थापरक्सिन नामक हार्मोन का ज्यादा स्त्राव होता है, इससे पशुओं के शरीर में मेटाबोलिज्म बढ़ जाता है और ठंड के कारण पशु तनाव में आ जाते हैं। जिसके चलते पशु हाइपोथरमिया का शिकार हो जाता है। इससे प्रभावित पशु का कान, नाक, अंडकोष आदि बर्फ के सामान ठंडे हो जाते हैं सांस लेने की गति धीमी पड़ जाती है। शरीर में ऐंठन उत्पन्न होने लगता है। पशु कांपने लगता है और आंख-नाक से पानी गिरना शुरू हो जाता है। इस दौरान इलाज में जरा भी देरी होने पर पशु काल के गाल में समा जाता है। सलाह दिया कि ऐसे लक्षण दिखने पर पशुओं को आग तपाना चाहिए। चिकित्सक से उचित सलाह तुरंत उपचार शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा ठंड में छोटे बच्चों में भी निमोनिया व डायरिया का प्रकोप इन दिनों बढ़ जाता है। पीड़ित मवेशी को पतला दस्त, बुखार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं। इससे बचाव को पशुओं को आजवाइन का धुआं फायदेमंद होता है लेकिन धुंआ मुंह के पास कभी न करें अन्यथा सांस के रास्ते फेफड़े में पहुंचकर कार्बन जमा देते हैं जो नुकसान करता है।