बीमारियों ने पसारे पांव, मरीजों से पटे अस्पताल
बारिश के मौसम में जलजनित व मच्छरजनित बीमारियां बढ़ने लगी हैं। डेगू मलेरिया मस्तिष्क ज्वर आदि के पीड़ित अस्पताल में पहुंच रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: बारिश के मौसम में जलजनित व मच्छरजनित बीमारियां बढ़ने लगी हैं। डेगू, मलेरिया, मस्तिष्क ज्वर आदि के पीड़ित अस्पताल में पहुंच रहे हैं। वहीं मौसम के उतार-चढ़ाव व दूषित पानी के सेवन के कारण टायफाइड, वायरल फीवर, पीलिया के मरीजों की बाढ़ आ गई है। शासन द्वारा उपचार, जांच, छिड़काव, फागिग व जागरूकता अभियान चलाने का दिया गया आदेश कागज तक सिमट गया है। नगर पालिका व स्वास्थ्य महकमा बचाव के लिए किए जाने वाले उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं।
जनपद में कई दिनों से हो बारिश के कारण जगह-जगह पानी एकत्र हो गया है। वहीं नगरीय इलाकों में साफ-सफाई न होने व नालियां जाम होने से जमा पानी सड़कर संक्रामक रोगों व मच्छरों को प्रजनन का कारण बन रहा है। पैथालाजी में जांच कराने वालों में औसतन 15 से 20 फीसद मलेरिया पाजिटिव मिल रहा है। जांच व उपचार की खैराती अस्पतालों में समुचित व्यवस्था न होने के कारण पीड़ित प्राइवेट अस्पतालों में सहारा ले रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ टायफाइड, वायरल फीवर, पीलिया, डायरिया, निमोनिया आदि रोगों का भी प्रकोप है। पीड़ितों में बच्चों की संख्या सबसे अधिक है। उपचार में थोड़ी सी लापरवाही खतरनाक साबित हो रही है। डायरिया के लक्षण:- बार-बार दस्त आना, बुखार आना, पेट में दर्द होना, मल में खून आना, सुस्ती आना व मुंह सूखना, मांस पेशियों में ऐठन होना, पेशाब कम करना। कारण:- प्रदूषित खान-पान, गंदे हाथ से भोजन करना, जीवाणु, विषाणु, प्रोटोजोवा व फंगस के कारण संक्रमण, एलर्जी, आंत की बीमारी, आपरेशन के बाद आंत छोटी होना आदि। बचाव:- शौच के बाद व खाना खाने से पूर्व हाथ साबुन से धोएं, साफ पानी उबालकर पीएं, भोजन ढंककर रखें। बासी व प्रदूषित खाद्य पदार्थों का प्रयोग न करें। छह माह तक के शिशुओं को केवल मां का दूध दें। उपचार:- पर्याप्त मात्रा में ओआरएस का घोल दें, चावल का पानी, दाल का पानी, छाछ या मट्ठा दें। बच्चे को मां का दूध पिलाते रहें, टीकाकरण कराएं। डेंगू के मुख्य लक्षण: सीएमओ डा. रामजी पांडेय ने बताया कि डेंगू बुखार मादा एडीज एजिप्टी द्वारा फैलता है। अकस्मात तेज ज्वर, सिर, आंख व मांस पेशियों, कमर में दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं। बचाव के उपाय:- घर में कूलर, बाल्टी, घड़े के पानी को सप्ताह में दो बार अवश्य बदलते रहें। गड्ढों में जहां पानी एकत्र हो उसमें मिट्टी भर दें, यदि मिट्टी डालना संभव न हो तो उस गड्ढे के पानी में कुछ मिट्टी का तेल या डीजल छोड़ दें, सोते समय यथा संभव मच्छरदानी का प्रयोग करें, शरीर पर सरसों का तेल का प्रयोग करें, पूरी आस्तीन की कमीज तथा मोजे आदि का प्रयोग करें। बालक व बालिकाओं को स्कूल जाते समय पूरे आस्तीन का कपड़ा पहनाकर भेजें। डेंगू का रोगी मिलने पर फागिग करवाएं, घर तथा आस-पास के वातावरण को स्वच्छ एवं साफ रखें, बुखार होने पर पैरासिटामाल की गोली खिलाएं, रोगी के गंभीर होने की दशा में निकट के अस्पतालों में भर्ती कराएं।