पलक झपकी और मौत की आगोश में समाई चार जिदगियां
सही कहा गया है सावधानी हटी दुर्घटना घटी। ऐसे ही नहीं नसीहत दी जाती है कि तनिक भी लगे की आंख नींद से बोझिल हो रही हो तो वाहन सुरक्षित स्थान पर खड़ा कर नींद पूरी होने के बाद ही गंतव्य के लिए रवाना होना चाहिए। इन्हीं नसीहतों की अनदेखी से चार जिदगियां अकाल काल के गाल में समा गईं। हंसी-खुशी का माहौल मातम में बदल गया।
जागरण संवाददाता, सिकरारा (जौनपुर): सही कहा गया है सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। ऐसे ही नहीं नसीहत दी जाती है कि तनिक भी लगे की आंख नींद से बोझिल हो रही हो तो वाहन सुरक्षित स्थान पर खड़ा कर नींद पूरी होने के बाद ही गंतव्य के लिए रवाना होना चाहिए। इन्हीं नसीहतों की अनदेखी से चार जिदगियां अकाल काल के गाल में समा गईं। हंसी-खुशी का माहौल मातम में बदल गया।
प्रयागराज जिले के नैनी थाना क्षेत्र के मामा-भांजी तालाब पॉवर हाउस कॉलोनी निवासी रामदास विश्वकर्मा (70) पत्नी पद्मा देवी, बेटे राजेश कुमार (45) व छोटे भाई राम सांवलिया (63) के साथ रिश्ते में भतीजी की शादी में शामिल होने निजी कार से गोरखपुर जिले में पैतृक आवास पर गए थे। शादी में दिनोंरात जागने के बावजूद जिदगी की आपाधापी के चलते नींद पूरी न होने के बावजूद राजेश ने रात में ही घर प्रयागराज वापस चलने की बात कही। माता-पिता व चाचा भी उसकी जिद देखते हुए इन्कार नहीं कर सके। करीब 75 फीसदी सफर सुरक्षित पूरी करने के बाद जौनपुर-रायबरेली राष्ट्रीय राजमार्ग समाधगंज बाजार के पास कुरनीडीह मोड़ के पास राजेश की आंखों पर नींद भारी पड़ गई। झपकी लगी और तेज रफ्तार कार पुलिया से जा टकराई। कार में लगा एयरबैग खुला तो लेकिन टक्कर इतनी भयावह थी कि वह भी जान बचाने में सहायक नहीं बन सका। क्षण भर में चार जिदगियां अकाल काल के गाल में समा गईं। दुर्घटनास्थल से लेकर जिला अस्पताल की मर्चरी तक अफरा-तफरी मच गई। हर किसी की जुबान से यही बात निकल रही थी कि इतनी भी क्या जल्दी कि जान की बाजी लगा दी जाए। शादी में दो दिन-रात जगने के बाद नींद पूरी कर गंतव्य के लिए चले होते तो शायद ऐसा दर्दनाक हादसा न होता। पुलिस से हादसे की खबर मिलने के बाद मृत रामदास का छोटा पुत्र योगेंद्र व राम सांवलिया का छोटा बेटा मुकेश मौके पर पहुंचने के बाद हास्पिटल गए तो शवों को देखते ही बिलख-बिलखकर रोने लगे। दोनों के मुंह से बार-बार निकल रहा था हमारी तो दुनिया ही उजड़ गई।