15 दिन में 60 लाख से अधिक के टिकट हुए रद
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच रेलवे का राजस्व घटना शुरू हो गया है। बीते 15 दिनों में 60 लाख रुपये से अधिक मूल्य का टिकट रद कराया गया है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच रेलवे का राजस्व घटना शुरू हो गया है। बीते 15 दिनों में 60 लाख रुपये से अधिक मूल्य का टिकट रद कराया गया है। इसमें सर्वाधिक टिकट मुंबई, दिल्ली व सूरत के हैं। जौनपुर जंक्शन, सिटी रेलवे स्टेशन व शाहगंज जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर बड़ी संख्या में पूर्व में निर्धारित यात्राओं को लोग रद कर टिकट वापस कर रहे हैं। रिजर्वेशन की बजाय टिकट महज रद कराने की वजह से स्टेशनों पर रिफंड तक के पैसे नहीं बचे हैं, जिससे लेकर काउंटर पर आएदिन यात्रियों से तकझक हो रही है। डेढ़ सौ से दो टिकट हो रहे रद
मुंबई व दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के साथ ही जौनपुर जंक्शन पर डेढ़ सौ से दो टिकट कैंसिल कराए जा रहे हैं। यही स्थिति तकरीबन शाहगंज व जंघई रेलवे स्टेशन की है। टिकट वापसी के औसत में रिजर्वेशन बेहद कम होने की वजह से रेलवे के पास रिफंड तक के पैसे नहीं रह गए हैं, जिससे यात्रियों से रेलवे कर्मचारियों की आएदिन बहस हो रही है। बीते 15 दिनों से प्रमुख सभी रिजर्वेशन काउंटरों पर कमोवश यही हाल है। जून तक के टिकट कराए जा रहे हैं कैंसिल
कोरोना का खौफ प्रवासियों में साफ देखा जा रहा है। स्थिति यह है जून तक के कन्फर्म टिकट भी बड़ी संख्या में रद कराए जा रहे हैं। मांगलिक कार्य, पंचायत चुनाव व गेहूं की कटाई-मढ़ाई के सिलसिले में पहुंचे प्रवासियों का परदेस जाने का फिलहाल कोई मन नहीं। मंगलवार को महामना से दिल्ली का टिकट कैंसिल कराने जौनपुर जंक्शन पहुंचे प्रवीण मौर्य ने कहा कि एक सप्ताह पहले घर पहुंचा हूं। दस दिन बाद की वापसी थी, लेकिन वहां सबकुछ बंद होने की वजह से अब जाने का कोई फायदा नहीं है। तारीख देखकर रद किया जा रहा टिकट
काउंटर पर रिफंड के लिए पैसे नहीं होने की वजह से तारीख देखकर टिकट रद किया जा रहा है। उन्हीं यात्रियों का टिकट रद किया जा रहा है, जिनकी यात्रा अगले दो या तीन दिनों में है। बाकी को लौटाया जा रहा है, जिससे दिक्कत हो रही है।
बोले अधिकारी..
महानगरों की खराब हो रही स्थिति के बीच बीते 15 दिनों से टिकट महज रद हो रहे हैं, जिससे राजस्व को भारी चपत लग रही है। रिजर्वेशन न होने की वजह से रिफंड के लिए पैसे भी बमुश्किल जुट पा रहे हैं। जब पैसे आ ही नहीं रहा तो दिया कहां से जाय।
-रंजीत कुमार, सीआरएस, जौनपुर जंक्शन।