शरद पूर्णिमा को चांद की किरण से बरसेगा अमृत
जागरण संवाददाता मछलीशहर (जौनपुर) सनातन धर्म में हर पूर्णिमा तिथि का महत्व है लेकिन अि
जागरण संवाददाता, मछलीशहर (जौनपुर) : सनातन धर्म में हर पूर्णिमा तिथि का महत्व है, लेकिन अश्विन मास में पड़ने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे शरद पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 20 अक्टूबर बुधवार को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि इस दिन आकाश से अमृत की वर्षा होती है, इसी दिन से सर्दी का आगमन भी माना जाता है। वास्तु एवं ज्योतिष आचार्य डाक्टर टीपी त्रिपाठी ने इसके पौराणिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा के साथ रात्रि जागरण कर मां लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की वृद्धि होती है। बताया कि मां लक्ष्मी की समुद्र मंथन से उत्पत्ति शरद पूर्णिमा के दिन ही हुई थी। इसलिए इस तिथि को धन-दायक भी माना जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर विचरण करती हैं और जो लोग रात्रि में जगकर मां लक्ष्मी का पूजन करते हैं, उस पर वह अपनी कृपा बरसाती हैं और धन-वैभव प्रदान करती हैं। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ होती है। ऐसे में चंद्रमा की किरणों से अमृत की बरसात होती है, इसलिए रात में चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा भी है। शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त..
पूर्णिमा तिथि का आरंभ 19 अक्टूबर को शाम छह बजकर 41 मिनट से शुरू होकर 20 अक्टूबर बुधवार को रात सात बजकर 37 मिनट तक होगी।