रसूल की सीरत पर चलने की जरूरत
अय्यामे अजा का दो महीना खत्म हो गया है और अब सिर्फ आठ दिन बचा है। ऐसे में जिले में मजलिस, मातम व जुलूसों का सिलसिला जारी है। गुरुवार की देर रात शाही किला गेट के पास इमामबाड़ा मीर जामीन अली, पेशकार मरहूम में मरहूम सै. अफजाल हुसैन व तैय्यबा बीबी के इसाले सवाब की मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना मेराज हैदर आजमी ने कहा कि दीने इस्लाम जो आज हम लोगों के बीच ¨जदा है वो अहलेबैत की कुर्बानी की देन है। हमें रसूल की सीरत पर चलने की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : अय्यामे अजा का दो महीना खत्म हो गया है और अब सिर्फ आठ दिन बचा है। ऐसे में जिले में मजलिस, मातम व जुलूसों का सिलसिला जारी है। गुरुवार की देर रात शाही किला गेट के पास इमामबाड़ा मीर जामीन अली, पेशकार मरहूम में मरहूम सै. अफजाल हुसैन व तैय्यबा बीबी के इसाले सवाब की मजलिस को संबोधित करते हुए मौलाना मेराज हैदर आजमी ने कहा कि दीने इस्लाम जो आज हम लोगों के बीच ¨जदा है वो अहलेबैत की कुर्बानी की देन है। हमें रसूल की सीरत पर चलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम को दुनिया में फैलाने के लिए हजरत मोहम्मद मुस्तफा सअ व उनके नवासों ने अपनी कुर्बानी देकर बचाया है। आज हम सबको उनके बताए हुए रास्तों पर चलने की जरूरत है। कुछ लोग इस्लाम की दूसरी सीरत पेश कर रहे हैं। इस्लाम के नाम पर कुछ लोग पूरी दुनिया में आतंकवाद फैलाने में जुटे हैं। उनसे बचने की जरूरत है, क्योंकि इस्लाम ने हमेशा भाईचारा व सछ्वाव का संदेश दिया है। इससे पूर्व सोजख्वानी गौहरअली जैदी व उनके हमनवां ने पढ़ा। पेशखानी सै. कायम रजा रिजवी, मुफ्ती हाशिम मेंहदी ने किया। अंजुमन मजलुमिया पोस्ती खाना ने नौहा मातम कर कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। संचालन डा. इंतजार मेंहदी शोहरत ने किया तथा आभार सै. अंजार कमर, सै. हसनैन कमर, सै. अफरोज कमर, सै. कायम रजा रिजवी ने प्रकट किया।