बेटे की मौत से अंजान है मां
क्षेत्र के बहादुरपुर (बाकराबाद) गांव निवासी ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के इंजीनियर विपिन यादव की देहरादून में आत्महत्या की खबर आने पर परिजन मानो काठ के हो गए।
जागरण संवाददाता, जलालपुर (जौनपुर): बहादुरपुर (बाकराबाद) गांव निवासी ऑयल एण्ड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के इंजीनियर विपिन यादव की देहरादून में आत्महत्या की खबर आने पर परिजन मानो काठ के हो गए। कलेजे पर पत्थर रखकर उन्होंने कई घंटे बाद भी उनकी मां को इस बात का आभास तक नहीं होने दिया है कि उसका लाल अब इस दुनिया में नहीं रहा। परिजन बुत बने शव आने का इंतजार कर रहे हैं।
आइएएस पंधारी यादव के रिश्ते में चाचा-चाची राजपति यादव व भगवानदेई की चार संतानों में सबसे बड़ी बेटी विवाहिता संगीता यादव अध्यापिका हैं। तीन पुत्रों में सबसे बड़े संदीप यादव चंदौली में सिपाही हैं। दूसरे नंबर के प्रदीप यादव भी ओएनजीसी में इंजीनियर हैं। उनकी तैनाती आंध्र प्रदेश में है। सबसे छोटे 25 वर्षीय विपिन अविवाहित थे। सन 2015 से ओएनजीसी में कार्यरत किसी प्रशिक्षण के लिए देहरादून गए थे। ओएनजीसी की तरफ से होटल एनसी रेजिडेंसी में एलॉट कमरे में ठहरे थे। उसी कमरे में गुरुवार की सुबह कमरे में पंखे में फंदे से लटकी लाश मिली। कमरे से सुसाइड नोट नहीं मिलने से आत्महत्या का कारण साफ नहीं हो सका।
एक सप्ताह पहले घर आए विपिन यादव पूरी तरह से सामान्य थे। किसी को क्या पता था कि वह आखिरी बार विपिन का चेहरा देख रहे हैं। 25 नवंबर को पिता राजपति ने फोन कर हाल-चाल पूछा था। बुधवार को फोन किया तो किसी और ने कॉल रिसीव की और तबीयत खराब होने की बात कही। गुरुवार को दोपहर यह मनहूस खबर आने के बाद परिवार में घर पर मौजूद सभी लोगों ने कलेजे पर पत्थर रखने के साथ ही आंखों पर अंकुश लगाते हुए इसकी भनक भगवानदेई को नहीं लगने दी है। पड़ोसियों के मुताबिक आंध्र प्रदेश से ज्येष्ठ भ्राता प्रदीप यादव और लखनऊ से दो रिश्तेदार पार्थिव शरीर लाने के लिए देहरादून निकल पड़े हैं। शव आने का इंतजार किया जा रहा है।