मनोज जोशी ने नाटक के जरिए दिया राष्ट्रवाद का संदेश
राष्ट्र और समाज की उन्नति के पथ में यदि धर्म बाधक है तो धर्म भी त्याज्य है। राजा होना सुखी होने का मार्ग नहीं है स्मरण रहे। यह चाणक्य नाटक के संवाद रहे।
जागरण संवाददाता, मल्हनी (जौनपुर): राष्ट्र और समाज की उन्नति के पथ में यदि धर्म बाधक है तो धर्म भी त्याज्य है। राजा होना सुखी होने का मार्ग नहीं है, स्मरण रहे। यह चाणक्य नाटक के संवाद रहे। जिसे बड़े ही रोचक अंदाज में प्रख्यात कलाकार मनोज जोशी ने मंचन किया। मंच से राष्ट्रवाद का संदेश दिया। कहा, आज के बच्चे कल के भविष्य हैं।
दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार द्वारा आयोजित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के अवैद्यनाथ संगोष्ठी भवन में शनिवार को ऐतिहासिक हिदी नाटक चाणक्य की प्रस्तुति प्रख्यात रंगकर्मी और अभिनेता पद्मश्री मनोज जोशी की टोली ने की। उन्होंने दिव्य प्रेम सेवा मिशन के बारे में कहा कि यह संस्थान गरीब व मजलूम इंसानों के लिए हर कार्य कर रहा है। मनोज जोशी के संवादों ने दर्शकों को बांधे रखा। कलाकार वेशभूषा और रंगकर्म से दर्शकों के सामने चाणक्य को सजीव कर दिया।
कुलपति प्रो. राजाराम यादव ने दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डा. आशीष गौतम को अप्रतिम नाटक आयोजित करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस नाटक में बहुत से संदेश है जो युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा।
इस अवसर पर विधायक हरेंद्र प्रसाद सिंह, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केएन सिंह, कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, परीक्षा नियंत्रक बीएन सिंह, रामेश्वर सिंह, प्रो. बीबी तिवारी, प्रो. नीरज खरे, प्रो. ओम प्रकाश सिंह, प्रो. एपी सिंह, प्रो. बीएन सिंह, पाणिनि सिंह, डा. मनोज मिश्र, डा. दिग्विजय सिंह राठौर मौजूद रहे। संचालन डा. नंदलाल गौतम ने किया।