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अन्नदाताओं की आवाज दबाने को कार्रवाई का 'ताला'

बेसहारा पशु खुले में विचरण न करें इसके लिए सबकी जिम्मेदारी तय की गई है। अस्थाई पशु आश्रय केंद्र स्थापित कर उन्हें आश्रय देने का सख्त फरमान हैं। इसके लिए भारी-भरकम बजट की भी व्यवस्था है। इतना ही नहीं हर सप्ताह बैठकों वीडियो कांफ्रेसिग व पत्राचार के माध्यम से आदेश-निर्देश भी जारी किया जा रहा है। एक साल बीतने को है समस्या समाधान को कौन कहे और बढ़ती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 06:27 PM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 12:06 AM (IST)
अन्नदाताओं की आवाज दबाने को कार्रवाई का 'ताला'
अन्नदाताओं की आवाज दबाने को कार्रवाई का 'ताला'

कामन इंट्रो...

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बेसहारा पशु खुले में विचरण न करें इसके लिए सबकी जिम्मेदारी तय की गई है। अस्थाई पशु आश्रय केंद्र स्थापित कर उन्हें आश्रय देने का सख्त फरमान है। इसके लिए भारी-भरकम बजट की भी व्यवस्था है। इतना ही नहीं हर सप्ताह बैठकों, वीडियो कांफ्रेसिग व पत्राचार के माध्यम से आदेश-निर्देश भी जारी किया जा रहा है। एक साल बीतने को है समस्या समाधान को कौन कहे और बढ़ती जा रही है। जागरण संवाददाता, जौनपुर: केंद्र व प्रदेश की सरकार अन्नदाताओं को आय दोगुनी करके समृद्ध बनाने का सपना दिखा रही है वहीं दूसरी तरफ हुक्मरान उनकी समस्याओं का समाधान करने की बजाय कार्रवाई से आवाज दबाने में जुटे हैं। खरीफ की चौपट होने के बाद बेसहारा पशुओं से निजात न मिलने से व्यथित किसान बर्बादी से बचने के लिए रबी सीजन में खेत परती छोड़ रहे हैं। उनके हितैषी होने का दंभ भरने वाले जनप्रतिनिधि व विभिन्न दलों के नेताओं को उनकी बेचारगी नजर नहीं आ रही है।

थानागद्दी क्षेत्र के नाऊपुर, बम्बावन, बांसबारी, चाहरमपट्टी, उदयचंदपुर, खर्गसेनपुर टंडवा गांवों में किसानों ने खेतों की बुआई करना बंद कर दिया है। लगभग दो सौ बीघा खेत परती पड़ा हुआ है। यह स्थिति जनपद के अधिकांश इलाके में है। किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल मारी गई। अब रबी में भी बेसहारा पशुओं से निजात की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कर्ज लेकर किसी तरह अगर बोआई कर दी जाएगी तो सुरक्षा कौन करेगा।

मड़ियाहूं, जफराबाद, सिकरारा समेत कई विकास खंडों में बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाने का प्रयास करने वाले किसानों को कार्रवाई की मार झेलनी पड़ रही है। उनका कहना है कि सरकार की पहल पर माली हालत तो नहीं सुधरी अलबत्ता जेल जाने की नौबत आ गई है।

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बगीचे में सैकड़ों गोवंशों को बांधकर ग्रामीण कर रहे इंतजार

मु़फ्तीगंज (जौनपुर): क्षेत्र के कई गांवों के किसान ग्राम प्रधान कन्हौली महेंद्र यादव के नेतृत्व में खेतों में विचरण कर रहे बेसहारा पशुओं को पकड़कर एक बगीचे में बांध दिया है। अब इंतजार कर रहे हैं कि अधिकारी टीम को भेजकर इन गोवंशों को आश्रय केंद्रों में ले जाएं। किसानों को चौकी प्रभारी ने आश्वासन दिया था कि बेसहारा पशुओं को वह एकत्र करें, उन्हें भिजवाने की व्यवस्था की जाएगी। इतना ही नहीं रविवार की दोपहर को उपजिलाधिकारी से भी दिनेश कन्नौजिया, सर्वेश यादव, किशन, अरविद सहित दर्जनों किसानों ने रास्ते में रोककर समस्या से अवगत कराया। वह दो दिन के अंदर मवेशियों को गोशाला भेजने की बात कहकर निकल लिए।

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मुकदमा दर्ज होने से व्यथित किसान विधायक से मिले

मडियाहूं( जौनपुर): कोतवाली क्षेत्र के रामपुर नद्दी गांव के किसानों का प्रतिनिधि मंडल आशुतोष सिंह के नेतृत्व में विधायक डा. लीना तिवारी से मिला। बताया कि बेसहारा पशुओं को अस्पताल में बंद करने पर पुलिस ने उप जिलाधिकारी के आदेश पर एक नामजद सहित तीस अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है। किसानों ने अपनी व्यथा बताते हुए न्याय की गुहार लगाई। कहा कि बेसहारा पशुओं को तहसील प्रशासन आश्रय केंद्रों पर भेजने की व्यवस्था नहीं कर रहा है। विधायक ने पीड़ित पक्ष को सुना और आश्वासन दिया कि किसी के खिलाफ अन्याय नहीं होने देंगे। यदि गलत तरीके से राजनीतिक विद्वेष से किसी को फंसाया गया तो उसके लिए उच्चाधिकारियों से बात की जाएगी।

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मुख्यमंत्री जी! आपकी पाठशाला में प्रशिक्षण का क्या फायदा?

योगी सरकार आधुनिक तकनीक से उन्नत खेती के लिए पाठशाला आयोजित कर किसानों को प्रशिक्षण दे रही है। उन्हें उत्पाद का उचित मूल्य देकर समृद्ध बनाने का भरोसा भी दिया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ बेसहारा पशु उनके अरमानों की फसल को निवाला बना ले रहे हैं। किसानों कहना है कि प्रशिक्षण, समर्थन मूल्य बढ़ाने से क्या फायदा जब फसल ही नहीं बचेगी। रविवार को सच्चाई जानने को गांवों में पहुंची 'जागरण टीम' को किसानों ने कुछ यूं अपनी व्यथा को बयां किया। -बटाई पर खेत की बुआई करने के बाद रात-दिन रखवाली के बाद भी खेतों में कुछ भी नहीं बचा है। बेसहारा पशु फसलें पूरी तरह चट कर चुके हैं। पहले गन्ना, मटर, चना, सरसों के बाद अब गेहूं को खाने के साथ कुचल कर नष्ट कर दे रहे हैं।

अशोक गुप्ता, बक्शा -फसलों को बचाने के लिए लाखों खर्च किया फिर भी बेसहारा पशु फसल चर रहे हैं। खेतों के चारों तरफ खंभा तार लगाकर बाढ़ बना दिया गया है। लेकिन तार को तोड़कर यह पशु अंदर घुसकर फसलों को निवाला बना रहे हैं। जब लोग अपने फसल को बचाने के लिए इन्हें दौड़ाते हैं तो झोंके में यह तार भी तोड़ दे रहे हैं।

चंद्रावती देवी, शाहपुर, सिकरारा -मेरी ढाई तीन बीघे गेहूं की फसल बेसहारा पशुओं द्वारा चर ली गई। मवेसियों ने आलू और मटर की फसल को भी बर्बाद कर दिया। रात मे दो-तीन बार खेत को देखने जाते हैं। अब हर समय तो खेत के पास रहा नहीं जा सकता है। ऐसे में किसान क्या करे?

झब्बर मौर्य फरीदाबाद, सुजानगंज - सरकार की नीतियों के चलते किसान परेशान हैं। अगर जल्द इन पशुओं की व्यवस्था नहीं की गई तो किसान दाने-दाने को मोहताज हो जाएगा। कुछ पशु पालक बेसहारा पशुओं की आड़ में गायों को रात्रि में चोरी छिपे छोड़ कर इसका दुरुपयोग कर रहे हैं।

राज कुमार यादव

पूर्व ग्राम प्रधान, भटपुरा -फसलों को बेसहारा पशुओं से बचाने के लिए किसान रतजगा कर रहे हैं। फिर भी फसलों को नहीं बचाया जा रहा है। इनसे बचाव के लिए खोले गए आश्रय स्थल भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। सरकार को इनसे बचाव के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।

राम सामुझ सरोज भलुआहीं -अरहर की खेती कर रखा है लेकिन बेसहारा पशुओं का झुंड फसलों को चौपट कर रहे हैं। पहले पूरे साल के दाल की व्यवस्था हो जाती थी लेकिन फसल तैयार होने से पहले ही पशुओं का झुंड फसल बर्बाद कर दे रहे हैं।

चौहर्जा सिंह, बम्बावन, थानागद्दी


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