अमेरिका में इंजीनियरों की टीम का कर रहे नेतृत्व
अमेरिका के न्यू हैंपसायर में इंटरनेशनल आइटी कंपनी के निदेशक के रूप में कार्य कर रहे सिद्धार्थ दुबे जिले का नाम रोशन कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : अमेरिका के न्यू हैंपसायर में इंटरनेशनल आइटी कंपनी के निदेशक के रूप में कार्य कर रहे सिद्धार्थ दुबे जिले का नाम रोशन कर रहे हैं। वह आज भी अपने गांव जलालपुर चक्के से जुड़कर युवाओं को शिक्षा के प्रति जागरूक कर विकास के पथ पर चलने को प्रेरित करते रहते हैं। सिद्धार्थ करीब 350 साफ्टवेयर इंजीनियरों के टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। इनके नाम कई सम्मान भी जुड़े हैं।
20 अप्रैल 1983 को जन्मे सिद्धार्थ दुबे के पिता प्रोफेसर डीडी दुबे पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति व बायोटेक्नालाजी के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। सिद्धार्थ की शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद संत अतुलानंद से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट से क्रमश: 1999 व 2001 में पूरी की। इसके बाद इन्होंने परीक्षा के जरिए बेंगलुरु के प्रतिष्ठित गार्डन सिटी कालेज से इंजीनियरिग की पढ़ाई की। सिद्धार्थ ने बीसीए की पढ़ाई के दौरान बीएचयू में हुए टेकनेक्स प्रतियोगिता में तीसरा स्थान हासिल किया। इसके बाद इनका चयन 2005 में कैंपस सलेक्शन साफ्टवेयर के क्षेत्र में प्रतिष्ठित इंटरनेशनल कंपनी फीडिलिटी में हुआ। शुरुआत में यह भारत में करीब पांच साल रहे, इस बीच कंपनी के काम के लिए इनको बार-बार विदेश बुलाया जाता रहा। इनकी प्रतिभा व कौशल को देखते हुए इनको वर्ष 2010 में कंपनी द्वारा अमेरिका में प्रोन्नत के साथ बुला लिया गया। वर्तमान में दो करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर कार्य कर रहे हैं। आनलाइन दवा बिक्री पर लगाई जाय रोक
जागरण संवाददाता, जौनपुर: केंद्रीय श्रम संगठनों के साथ ही एफएमआरआइ के आह्वान जौनपुर इकाई ने भी शुक्रवार को प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। अपनी मांगों को बताते हुए हस्तक्षेप की गुहार लगाई। दवा प्रतिनिधियों ने मांग की कि सेल्स प्रमोशन एम्पलाई एक्ट 1976 को बनाए रखा जाए। आनलाइन दवाइयां एवं मेडिकल उपकरणों की बिक्री पर रोक लगे। सरकारी क्षेत्र की दवा कंपनियों को पुनर्जीवित किया जाय जिससे दवाइयों की गुणवत्ता एवं सस्ती दवाइयां आम जनता तक पहुंच सकें। दवा उद्योग में प्रतिनिधियों के लिए यूनिफार्म कोड बनाया जाय। दवा के दाम कम हो तथा दवाइयों पर जीरो जीएसटी लागू हो। वर्किंग कमेटी मेम्बर नीरज श्रीवास्तव में कहा कि सरकार ने 44 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिता में बदल कर मेहनतकशों पर कुठाराघात किया है। जिला सचिव राजेश रावत ने कहा कि स्वतंत्रत भारत के इतिहास में मजदूरों पर इतना बड़ा हमला कभी नहीं हुआ। इकाई अध्यक्ष अजय चैरसिया ने धन्यवाद देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि पूरे देश के दवा प्रतिनिधि सड़क से लेकर संसद तक जाएं। विजय प्रताप सिंह, किरण शंकर रघुवंशी, दिनेश श्रीवास्तव, सुनील प्रजापति आदि उपस्थित रहे।