नापाक नजरों पर नजर रखना जरूरी
जासं, जौनपुर : आदमी कितना घिनौना हो गया है, हवस के हाथों खिलौना हो गया है। यकीनन ये दर्द
जासं, जौनपुर : आदमी कितना घिनौना हो गया है, हवस के हाथों खिलौना हो गया है। यकीनन ये दर्द आज समाज में हर तरफ अनुभव किया जा रहा है। आज आदमी मानवीय मूल्यों से इस कदर भटक गया है कि इंसान व शैतान का फर्क ही समाप्त कर दिया है। बाल-यौन शोषण इसी विकृत मानसिकता का परिणाम प्रतीत होता है। बच्चे तो भगवान के रूप माने जाते हैं, मगर इंसान ने उन्हें भी शिकार बनाना शुरू कर दिया है। कुछ आंकड़े ऐसे जिन्हें जानकर लोग स्तब्ध हो जाएंगे। मसलन हर पंद्रह मिनट पर देश में एक बच्ची के साथ दुराचार हो रहा है। हर चार घंटे पर चार मासूम हैवानियत की बलि के चढ़ रहे हैं। यदि पूरे वर्ष की बात करें तो करीब 37 हजार बच्चों का यौन शोषण हो रहा है। इससे बच्चे डरे-सहमे से दिखते हैं। शायद हमारा देश बाल-यौन शोषण की राजधानी बनने की तैयारी में है।
किसी बच्चे के प्रति किसी की नीयत गंदी है, किसके दिमाग में शैतान की सवारी है, यह अनुमान लगाना आसान तो नहीं है, फिर बच्चों के तीमारदारों को यह तो ध्यान रखना ही चाहिए कि उनके बच्चों के प्रति किसी का नजरिया गंदा तो नहीं है। यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे के गुप्तांग का लैंगिक अनुभूति से संबंधित अन्य शारीरिक अंगों को स्पर्श करता है या वैसा स्वयं अपने साथ करने के लिए बच्चे को फुसलाता है तो पक्का है कि वह बच्चे के प्रति गंदी दृष्टि रखता है। मां-बाप को तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए। नग्न चित्र दिखाना या अश्लील हरकतें भी व्यक्ति कर सकता है। ऐसे में हमें सावधान हो जाना चाहिए। आज तक आ¨लगन एवं प्रबंधन मानसिकता से बच्चों का चुंबन भी चलन में बढ़ा है। ये हरकतें भविष्य के लिए खतरा बन सकती हैं, इसलिए नापाक नजरों पर नजर जरूरी हैं।
बचाव ही बेहतर उपाय है, चूकि बाल-यौन शोषण खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुका है, अत: बचाव के प्रति सतर्कता अपरिहार्य है। आपके लिए जरूरी है कि बच्चे की दिनभर की बातों को सुनने की कोशिश करें तथा यह तय करें कि सब ठीक है न। लड़कियों की उम्र बढ़ने के साथ ऐसी दुर्घटना की संभावना भी बढ़ती है, इसे समझिए, सतर्क हो जाइए। यौन-शोषक आज को यकीन में लेना चाहेगा, परंतु होशियार रहें, बच्चियां किसी के साथ बाहर जाए, उन्हें यह भी बताइए कोई अपना या परिचित भी गलत आचरण कर सकता है। उन्हें यह भी बताएं कि संकट की दशा में सुरक्षा एजेंसियों को तुरंत सूचना दें।
-डा.आरएन ¨सह
-लेखक बीएचयू मनोविज्ञान विभाग के पूर्व प्रोफेसर हैं।