उत्पादन बढ़ाने के साथ ही जल संरक्षण को करते हैं प्रेरित
जौनपुर बीएचयू के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र रहे डोभी क्षेत्र के अइलिया ग
जागरण संवाददाता, चंदवक (जौनपुर): बीएचयू के गोल्ड मेडलिस्ट छात्र रहे डोभी क्षेत्र के अइलिया गांव निवासी डाक्टर शारदा प्रसाद सिंह माडल किसान बन गए हैं। यह फसलों की सिचाई में जल संरक्षण करते हुए उत्पादन भी बढ़ा रहे हैं। अंबिका प्रसाद सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय आजमगढ़ से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद खेती को आमदनी का जरिया बनाने के साथ ही जल संरक्षण को मुहिम छेड़ दिए हैं। फसलों की सिचाई में फव्वारा व टपक प्रणाली का प्रयोग कर बूंद-बूंद पानी बचाने के साथ ही क्षेत्र के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके साथ ही घर के आस-पास छोटे-छोटे पौधों को लगाकर उनकी नियमित सेवा व सिचाई कर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रहे हैं। स्प्रिंकलर व टपक पद्धति से खेतों की सिचाई कर फसलों से अच्छी पैदावार ले रहे हैं। कमा रहे पांच से सात लाख
डा शारदा प्रसाद सिंह ने बताया कि 18 बीघा जमीन पर धान व गेहूं की फसल लेते हैं। मृदा में पोषक तत्वों की कमी न हो इसके लिए कंपोस्ट व जैविक खाद का प्रयोग करते हैं। इससे उत्पादन बढ़ने के साथ प्रतिवर्ष पांच से सात लाख रुपये कमाई हो जा रही है। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिल चुका है। कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू करने से ही किसानों की आय दोगुनी हो गई। किसानों की यदि आमदनी बढ़ानी है तो उसे 1965 या 1975 के समतुल्य कर दीजिए। भारत में नौकरी की आवश्यकता ही न्यून हो जाएगी। नौजवानों को शहर भागने की जरूरत नहीं होगी। अनाज की कीमत उन्नीस गुना बढ़ी है, जबकि नौकरी पेशा की आय एक सौ पचास गुना वृद्धि हुई है। बताया कि भूगर्भ में पानी की कमी कभी आ ही नहीं सकती, बशर्ते सी लेवल पर पंपसेट लगाया जाए। अक्सर लोग 60-70 फीट पर ही पानी ले लेते हैं जो हमें डार्क जोन में कर देता है।