शिक्षा में तकनीक के साथ मानवता का समावेश ही भारतीय पहचान
शिक्षक शिक्षा विभाग टीडी कॉलेज द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन समारोह रविवार को बलरामपुर हाल में किया गया। इस दौरान पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजाराम यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में तकनीक के साथ मानवता का समावेश ही भारतीय पहचान है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : शिक्षक शिक्षा विभाग टीडी कॉलेज द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन समारोह रविवार को बलरामपुर हाल में किया गया। इस दौरान पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजाराम यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा में तकनीक के साथ मानवता का समावेश ही भारतीय पहचान है।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर राजाराम यादव ने कहा कि भौतिक के साथ-साथ चारित्रिक विकास भी आवश्यक है। नवाचार द्वारा नई विधाओं का प्रयोग करना चाहिए लेकिन मानवीय संवेदना भी आवश्यक है। तिलकधारी महाविद्यालय में 1972 से ही आना-जाना लगा रहा एवं यहां का अनुशासन, शिक्षण एवं नवाचार के प्रति लगाव प्रेरणादायक है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर धनंजय यादव ने कहा कि नवाचार को आत्मसात करके ही प्रगति कर सकते हैं। विशिष्ट अतिथि डा.आलोक गार्डिया ने कहा कि तकनीक की जानकारी विद्यार्थी, शिक्षक और समाज के लिए आवश्यक है। शिक्षा संकाय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो.डीआर सिंह ने कहा कि संस्कृति के साथ समाज और शिक्षा में तकनीक का प्रयोग समय की आवश्यकता है। आयोजन सचिव डा.सुधांशु सिन्हा ने राष्ट्रीय संगोष्ठी से संबंधित विभिन्न तकनीकी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डा.अजय कुमार दूबे ने कहा कि विभिन्न तकनीकी सत्रों हिमाचल प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, झारखंड, राजस्थान आदि प्रदेशों से 200 से अधिक शोधार्थियों एवं शिक्षकों ने अपने शोधपत्रों को प्रस्तुत किया।
इस मौके पर डा.जयप्रकाश सिंह, डा.विनय कुमार सिंह, डा.रीता सिंह, डा.श्रद्धा सिंह, डा.वंदना शुक्ला, डा.गीता सिंह, डा.अरविद सिंह, सीमांत राय, वैभव सिंह, राजा हरपाल सिंह महाविद्यालय सिगरामऊ के प्राचार्य डा.एनके सिंह आदि उपस्थित रहे।
स्वागत शिक्षक-शिक्षा विभाग के अध्यक्ष डा.समर बहादुर सिंह व अध्यक्षता अध्यक्ष प्रबंध समिति टीडी कॉलेज प्रो.श्रीप्रकाश सिंह ने किया। आभार प्राचार्य डा.विनोद कुमार सिंह ने व्यक्त किया।