Move to Jagran APP

कयामत तक मनाते रहेंगे इमाम हुसैन का गम : मौलाना कसीम

कर्बला के शहीद हजरत इमाम हुसैन और 71 साथियों की याद में सातवीं मोहर्रम को जिले में कई स्थानों पर मातमी जुलूस निकाला गया। अंजुमनों ने दर्द भरा नौहा पढ़ने के साथ जंजीर और छुरियों का मातम कर नजराने अकीदत पेश किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 12:23 AM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 12:23 AM (IST)
कयामत तक मनाते रहेंगे इमाम हुसैन का गम : मौलाना कसीम
कयामत तक मनाते रहेंगे इमाम हुसैन का गम : मौलाना कसीम

जागरण संवाददाता, जौनपुर: कर्बला के शहीद हजरत इमाम हुसैन और 71 साथियों की याद में सातवीं मोहर्रम को जिले में कई स्थानों पर मातमी जुलूस निकाला गया। अंजुमनों ने दर्द भरा नौहा पढ़ने के साथ जंजीर और छुरियों का मातम कर नजराने अकीदत पेश किया।

loksabha election banner

करंजाकला ब्लाक के करंजाखुर्द में सातवीं मोहर्रम का जुलूस निकला। इस दौरान दरोगा जी के इमामबारगाह में मजलिस हुई। मजलिस में नवाज हैदर व उनके हमनवां ने सोजख्वानी की। सैय्यद मोहम्मद सुल्तान हैदर ने जनाबे हजरत कासिम (अ.स.) की मुनासबत से अपनी तकरीर की। जिसके बाद शबीहे अलम निकाल कर पूरे गांव में गश्त किया गया। गश्त करते हुए गांव के इमामबारगाह के मैदान में अंगारे का मातम हुआ। जुलूस में आजम जैदी, मोहम्मद अली एडवोकेट, असलम जैदी, सलमान हैदर, हसीन भाई, वसी हैदर, फैजान हैदर, सिराज हैदर जैदी, इमरान जैदी, शानू गांधी, आजम आब्दी, विनोद यादव, पंकज आदि मौजूद रहे।

नगर के बलुआघाट स्थित हाजी मोहम्मद अली खां के इमामबाड़े में ऐतिहासिक जुलूस की मजलिस बिजनौर से आए मौलाना कसीम अब्बास ने पढ़ी। कहा कि कर्बला को शायद ही कोई भुला सकता है। जिस तरह से हजरत अली और उनके बेटों ने इस्लाम को बचाने के लिए अपना भरा घर लूटा दिया वो कयामत तक लोग यादरखेंगे। कर्बला में इमाम हुसैन ने अपने छोटे बच्चों को भी राहे हक पर कुर्बान कर दिया। यही वजह है कि आज पूरी दुनिया में उनका गम मनाया जा रहा है। इसमें सभी सम्प्रदाय के लोग शामिल होते हैं। हम सब उनके बतायए हुए रास्ते पर चलें तो इस दुनिया से आतंकवाद पूरी तरह समाप्त हो सकता है। कर्बला में उस वक्त सबसे बड़ा आतंकवाद यजीद का था। उसने सारी हदें पार करते हुए हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) के नवासों को तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद कर दिया था। आज उन्हीं की याद में हम लोग मजलिस, मातम और नौहा पढ़ते हैं। मजलिस के बाद शबीहे ताबूत, अलम और जुलजनाह निकाला गया। जिसमें अंजुमन हुसैनिया नौहाख्वानी और सीनाजनी करते हुए जुलूस को नवरोज के मैदान तक ले गई। यहां तकरीर को खेताब करते हुए गुलामुल सकलैन ने कहा कि कर्बला की याद में आज छोटे-छोटे बच्चे हाथों में अलम लेकर इस्लाम का परचम ऊंचा कर रहे हैं। वहीं घरों के अंदर अजाखाने सजे हैं। दिन-रात मातम कर अजादार इमाम हुसैन का गम मनाने में डूबे हैं। तकरीर के बाद इमामबाड़े से शबीहे तुर्बत और झुला अली असगर निकाला गया जिसे अलम, ताबूत और दुलदुल से मिलाया गया। जुलूस पुन: हाजी मोहम्मद अली के इमामबाड़े में जाकर समाप्त हुआ।

खेतासराय में भी कर्बला के शहीद हजरत अब्बास अलमदार की याद में सातवीं मुहर्रम को नगर के शहीदी चौक से अलम का जुलूस निकाला गया। इसमें कई मोहल्ला के ताजियादारी ने भाग लिया। सभी ढोल-नगाड़ा पीटते हुए आगे बढ़ रहे थे। शाहापुर, भटियारी सराय, पूरब मोहल्ला, कासिमपुर, सलारगंज, बाराखुर्द, भरतला, चौहटटा बांराखुर्द सहित गोरारी के ताजियादार नगर का भ्रमण करते हुए चौराहा स्थित कर्बला पर पहुंचे।अफजल अशर्फी, सैय्यद ताहिर आदि उपस्थित रहे ।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.