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धान की पत्तियां पड़ रही हैं पीली तो करें दवा का छिड़काव

ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय प्रेमपुर में मंगलवार को ढ़ाई बजे से शुरू हुए किसान पाठशाला में प्रशिक्षकों ने किसानों को आधुनिक खेती करने का टिप्स देते हुए आया दोगुनी करने का मंत्र दिया। इसके साथ ही शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं व मिलने वाली सुविधाओं की भी जानकारी दी। पाठशाला में प्रेमपुर से आए किसान दयाराम गौतम ने अपनी समस्या को रखते हुए अधिकारियों से धान की फसल में लग रहे रोगों के बारे में जानकारी देते हुए पूछा कि धान की पत्तियां पीली हो जा रही हैं। इसके साथ ही फसल सही ढंग से बढ़ नहीं रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 12:14 AM (IST)
धान की पत्तियां पड़ रही हैं पीली तो करें दवा का छिड़काव
धान की पत्तियां पड़ रही हैं पीली तो करें दवा का छिड़काव

जागरण संवाददाता, सिकरारा (जौनपुर) : ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय प्रेमपुर में मंगलवार को ढ़ाई बजे से शुरू हुए किसान पाठशाला में प्रशिक्षकों ने किसानों को आधुनिक खेती करने का टिप्स देते हुए आया दोगुनी करने का मंत्र दिया। इसके साथ ही शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं व मिलने वाली सुविधाओं की भी जानकारी दी। पाठशाला में प्रेमपुर से आए किसान दयाराम गौतम ने अपनी समस्या को रखते हुए अधिकारियों से धान की फसल में लग रहे रोगों के बारे में जानकारी देते हुए पूछा कि धान की पत्तियां पीली हो जा रही हैं। इसके साथ ही फसल सही ढंग से बढ़ नहीं रही है। उनके सवाल का जवाब देते हुए एडीओ एजी अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि धान में लग रहे इन रोगों से बचाव के लिए विवेरिया वैसियाना दवा का छिड़काव करें।

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किसान अनिल कुमार मिश्र ने पराली प्रबंधन कैसे किया जाय पूछा तो उन्होंने बताया कि खेतों की गहरी जोताई कर पराली मिट्टी में दबा दें। इसके बाद उसमें यूरिया डाल दें। 20 से 25 दिन में पराली सड़कर खाद बन जाएगी। किसान राजेश यादव ने एनएफएसएम (नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन) के तहत किसानों को मिलने वाले लाभ के बारे में जानकारी ली तो एडीओ एजी ने बताया कि किसानों को क्लस्टर प्रदर्शन में प्रति हेक्टेयर नौ हजार, फसल पद्धति में प्रति हेक्टेयर 15 हजार की सहायता राशि दी जाती है।

इसके बाद किसान राम सकल यादव, राम लौटन यादव, संतोष यादव व राम अवध यादव ने पीएम सम्मान निधि योजना का लाभ न मिलने की बात कही तो एडीओ एजी ने बताया कि आनलाइन करने में नाम मिस हो गया होगा, सुधार कर ठीक कर दिया जाएगा। अन्नदाताओं ने सीखे किसानी के गुर

बदलापुर (जौनपुर) : बदलापुर ब्लाक के 12 गांवों में मंगलवार को दो दिवसीय किसान पाठशाला का शुभारंभ हुआ। जहां किसानों को कोरोना काल में बच-बचाकर उत्तम खेती कर आय दोगुनी कैसे करें उसके बारे में प्रशिक्षक बृजेश कुमार ने विस्तृत जानकारी दी। ऊदपुर घाटमपुर गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय पर आयोजित किसान पाठशाला ढ़ाई बजे से शुरू होकर 5.30 बजे तक चली।

इसमें प्रशिक्षक बृजेश कुमार ने कोरोना संक्रमण की चर्चा करते हुए शारीरिक दूरी व मास्क के साथ खेती-किसानी करने की सलाह दी। फिर अच्छे बीज की बात करनी शुरू की तो ऊदपुर के किसान लालता प्रसाद सिंह ने अच्छे बीज को लेकर कई सवाल किए। प्रशिक्षक ने कहा कि बीज सब अच्छे होते हैं। प्रश्न यह है कि हमारी मिट्टी कैसी है। मिट्टी के आधार पर ही बीज को बोना चाहिए, तभी उत्पादन अच्छा होगा।

इसके बाद संजय यादव, बैजनाथ पाल, लालसाहब यादव, जीतेंद्र गौतम आदि ने धान की फसल को कीटों से बचाने, दवाओं आदि की जानकारी ली। प्रशिक्षक ने रबी की बोआई की तैयारी कैसे की जाय, जैविक खाद, बीज, प्रबंधन, सब्जी की खेती आदि की विस्तृत जानकारी दी। इसी तरह सलेखनपट्टी, बबुरा, मरगूपुर, बदलापुर खुर्द आदि गांवों में किसान पाठशाला का आयोजन किया गया। कृषि मंत्री ने किया संबोधित

मछलीशहर (जौनपुर) : किसानों को आधुनिक तकनीक से खेती करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी क्रम मे छाछो कम्पोजिट विद्यालय में किसान पाठशाला हुई, इसमें किसानों ने कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के आनलाइन वक्तव्य को सुना। किसान पाठशाला के नाम पर खानापूर्ति

सरपतहां (जौनपुर) : सुइथाकलां में मंगलवार को किसान पाठशाला के नाम पर कुछ केंद्रों पर जहां सिर्फ खानापूर्ति की गई वहीं कुछ केंद्रों पर पाठशाला आयोजित ही नहीं हुई। प्राथमिक विद्यालय मयारी केंद्र पर शाम चार बजे पहुंचने पर विद्यालय के मुख्य गेट पर ताला लगा मिला। सामने सड़क पर मिले दो किसान उदयभान तिवारी व महेंद्र नाथ ने बताया कि कुछ दवा आदि के बारे में जानकारी देने के अलावा किसान सम्मान निधि के बारे में बताया गया। एकडला गांव में तो किसान पाठशाला का आयोजन ही नहीं हुआ। ग्राम प्रधान उर्मिला के पति रमेश बिद ने बताया कि उन्हें ऐसे किसी आयोजन की जानकारी ही नहीं है। इसके अलावा कई केंद्रों के ट्रेनर व नोडल अधिकारियों का मोबाइल नंबर ही पहुंच से बाहर बताता रहा।


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