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इस व्यवस्था में कैसे सुधरेगी मिट्टी की दशा!

जागरण संवाददाता, जौनपुर:'देश की मिट्टी अपने हाथ, आओ कराएं इसकी जांच।'बीमार मिट्टी की सेह

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 11:50 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 11:50 PM (IST)
इस व्यवस्था में कैसे सुधरेगी मिट्टी की दशा!
इस व्यवस्था में कैसे सुधरेगी मिट्टी की दशा!

जागरण संवाददाता, जौनपुर:'देश की मिट्टी अपने हाथ, आओ कराएं इसकी जांच।'बीमार मिट्टी की सेहत सुधारने के महत्वाकांक्षी अभियान का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। अभियान चलाकर लक्ष्य के सापेक्ष नमूना तो एकत्र कर किसी तरह मृदा हेल्थ कार्ड तो बांट दिया जा रहा है लेकिन किसान मृदा की स्थिति, बीमार मिट्टी के सुधारने के उपाय आदि से अनभिज्ञ हैं।

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रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग व जैविक खादों के न डालने से खेतों की मिट्टी बीमार हो चली है। इसके चलते कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ है। बढ़ती जनसंख्या और घटते उत्पादन से खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने का खतरा बढ़ गया है। मिट्टी की दशा को सुधारने के लिए सरकार बृहद अभियान चला रही है। किसानों को मिट्टी की जांच कराकर संस्तुति के अनुसार संतुलित उर्वरकों का उपयोग करने के लिए भी गोष्ठियों में बताया जा रहा है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है।

सामान्य नमूनों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की जांच की जाती है तो द्वितीय एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों में सल्फर, ¨जक, बोरान, आयरन, मैग्नीज और कापर की जांच होती है। अब तक हुए परीक्षण पर गौर करें तो जनपद में मृदा की स्थिति काफी दयनीय है। नाइट्रोजन न्यून यानी 21 से 50 के बीच, फास्फोरस भी 10-12 प्रतिशत के बीच है। जो सामान्य से न्यून है जबकि पोटैशियम की मात्रा सामान्य है।

जनपद में खरीफ लक्ष्य 27666 लक्ष्य के सापेक्ष 28255 नमूना और रबी में 14897 लक्ष्य के सापेक्ष 14899 नमूना लेकर सामान्य और सूक्ष्म तत्वों की जांच कर दी गई। विश्व मृदा दिवस पर दो दिन अभियान चलाकर 170 कर्मचारियों द्वारा 33352 मृदा हेल्थ कार्ड बांटा जाएगा। इससे पूर्व 9211 कार्ड दिया जा चुका है। इन सब से परे किसान इससे अनभिज्ञ हैं कि मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है। उसकी पूर्ति के लिए कितनी मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग किया जाए।

जिले में मृदा परीक्षण व्यवस्था की हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण टीम प्रयोगशालाओं पर पहुंची तो शाहगंज में मशीनें बिगड़ी होने के कारण जांच नहीं हो रहा था तो मछलीशहर की प्रयोगशाला में ताला लटका मिला। ठेकेदारी व्यवस्था से होती है जांच

जनपद में सरकारी मृदा परीक्षण की जर्जर व्यवस्था के लिए सरकार कम जिम्मेदार नहीं है। जनपद में प्रयोगशाला अध्यक्ष समेत विभिन्न पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। एनजीओ के माध्यम से ठेके पर कर्मचारियों की तैनाती कर किसी तरह काम चलाया जा रहा है। प्रयोगशाला अध्यक्ष का पद लंबे समय से रिक्त है। वहीं वरिष्ठ प्राविधिक सहायक के चार पदों में एक पर भी तैनाती नहीं है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के तीन व तकनीकी सहायक के सभी 10 रिक्त हैं। प्रयोगशाला परिचर के पांच पदों में तीन पद खाली है।

मृदा की जांच के लिए ¨सचित क्षेत्र में ढाई हेक्टेयर व अ¨सचित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर में ग्रिड बनाकर नमूना लिए जाते हैं। मुफ्त जांच हेतु प्रति वर्ष जिले की एक तिहाई ग्राम पंचायतों को लिया जाता है। इसके अलावा स्वेछा से किसान निर्धारित शुल्क देकर जांच करा सकते हैं। लक्ष्य के सापेक्ष लिए गए सूक्ष्म व सामान्य नमूनों की जांच पूरी हो गई है। मृदा दिवस पर सभी को कार्ड भी वितरित कर दिए जाएंगे। किसानों की जागरुकता का असर दिखने लगा है। पहले फास्फोरस की मात्रा 8-10 थी जो बढ़कर 12-14 हो गई है। शाहगंज की दो मशीनें खराब हैं। वहां का मृदा नमूना जिला मुख्यालय पर मंगाकर परीक्षण कराया गया। नई मशीनों के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।

रामनिधि मिश्रा

अध्यक्ष

मृदा परीक्षण प्रयोगशाला जांच के नाम पर हो रहा खेल

सरकार मिट्टी के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर है। मृदा जांच कर किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड देने के साथ ही जांच रिपोर्ट का पूरा विवरण नाम, पता के साथ विस्तार से स्वायल हेल्थ कार्ड डाट काम पर अपलोड करना है। सूबे के अन्य जनपदों में भले ही आदेशों का अनुपालन हो रहा हो लेकिन जनपद में जांच के नाम पर जमकर खेल किया जा रहा है। दैनिक जागरण द्वारा सरकारी प्रयोगशालाओं में मिट्टी की जांच का सच जानने के लिए मड़ियाहूं क्षेत्र के किसानों से बात की गई तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए। जूड़पुर गांव निवासी किसान महेंद्र उपाध्याय ने बताया कि गोष्ठियों में कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर दो साल के भीतर छह बार मिट्टी का नमूना लेकर रामपुर स्थित मृदा परीक्षण प्रयोगशाला पर गए। कर्मचारियों ने कभी केमिकल न होने तो कभी मशीन खराब होने की बात कहते हुए नमूना रख लिया। कहा जांच कर आपको सूचित कर दिया जाएगा लेकिन एक भी नमूने की जांच नहीं हुई। यहीं आरोप परेवां गांव निवासी विजेंद्र ¨सह का है। उन्होंने कहा कि दो बार नमूना लेकर गया था मशीन खराब बताकर नमूना रख लिया गया जांच नहीं हुई। बुद्धीपुर निवासी फूलगेन ने कहा कि जांच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। कसियांव गांव निवासी बृजेश पांडेय का आरोप है कि अभियान चलाकर नमूना ले लिया जाता है लेकिन बिना जांच किए रिपोर्ट बना दी जा रही। उनका आरोप है कि तीन माह में दो बार नमूना लेकर गए। कर्मचारियों ने न तो जांच किया और न ही रिपोर्ट दिया। बेलवां निवासी किसान लल्लू का आरोप तो और भी गंभीर है। उन्होंने कहा कि मिट्टी की जांच के लिए दो बार 50-50 रुपया दिया। लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं दी गई।


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