110 ईंट भट्ठों का निरस्त होगा जीएसटी पंजीयन
जनपद में अवैध रूप से चल रहे 110 ईंट भट्ठों का जीएसटी पंजीयन निरस्त किया जाएगा। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ावाणिज्यकर विभाग को सूची सौंप दी है। वर्षों से बिना लाइसेंस एनओसी प्रदूषण बोर्ड सहमति के चल रहे इन ईंट भट्ठों पर हुई कार्रवाई हुक्मरानों की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिह्न है?
जागरण संवाददाता, जौनपुर: जनपद में मानक के विपरीत चल रहे 110 ईंट भट्ठों का जीएसटी पंजीयन निरस्त किया जाएगा। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वाणिज्य कर विभाग को सूची भेज दी है। वर्षों से बिना लाइसेंस, एनओसी, प्रदूषण बोर्ड की बगैर सहमति के चल रहे इन ईंट भट्ठों पर हुई कार्रवाई हुक्मरानों की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिह्न है।
जानकारों का कहना है कि वायु को प्रदूषित करने और जमीन की उर्वरा शक्ति को कम करने में ईंट भट्ठे महती भूमिका निभा रहे हैं। भट्ठा प्रदूषण न फैलाए, इसके लिए इनके संचालन का नियम काफी सख्त रखा गया है लेकिन भट्ठा संचालक स्थापना के लिए बनी नियमावली का ही भट्ठा बैठा रहे हैं। पर्यावरण प्रदूषण के चलते जहां जनमानस घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है वहीं फसलों व फलों का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हो गया है।
बढ़ते प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए 27 जून 2012 को तत्कालीन राज्यपाल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के परामर्श से ईंट भट्ठा स्थापना के लिए नियमावली लागू की। न्यायालय के आदेश पर प्रदेश सरकार ने इसे सख्ती से लागू करने का फरमान भी जारी किया। छह साल बीत गए लेकिन जिले में इसका अमल नहीं हो सका है। नियमावली लागू होने के बाद जनपद में करीब 250 नए भट्ठे खुले। एक-दो को छोड़कर किसी ने नियमों का पालन नहीं किया। निगहबानी के लिए अधिकृत जिम्मेदार राष्ट्रहित की बजाय स्वहित के चलते इन्हें खुली छूट दे रही है। अवैध रूप से संचालित यह भट्ठे जहां जल, वायु व मृदा को प्रदूषित कर रहे हैं वहीं रायल्टी, लाइसेंस शुल्क व जीएसटी का करोड़ों रुपये राजस्व की क्षति भी हो रही है।
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ईंट भट्ठा चलाने के मानक
-कोई भी भट्ठा नगर परिषद अथवा नगर पंचायत क्षेत्र के पांच किलोमीटर के भीतर नहीं स्थापित किया जाएगा, आबादी से कम से कम 500 मीटर दूर, रजिस्टर्ड चिकित्सालय, स्कूल, सार्वजनिक इमारत, धार्मिक स्थानों अथवा किसी ऐसे स्थान जहां ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण स्थल के एक किलोमीटर दूरी के भीतर स्थापित नहीं होगा, प्राणी उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य, ऐतिहासिक इमारतों, म्यूजियम आदि से पांच किलोमीटर दूरी होनी चाहिए, रेलवे ट्रैक से 200 मीटर व राष्ट्रीय व राज्य राजमार्ग के दोनों किनारों से 300 मीटर दूरी होनी चाहिए, एक ईंट भट्ठे से दूसरे ईंट भट्ठे की दूरी 800 मीटर दूरी हो, फलपट्टी क्षेत्र के बफर जोन में ईंट भट्ठा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन, जिला पंचायत विभाग से एनओसी, पर्यावरण सहमति पत्र व लाइसेंस आवश्यक, मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरूरी, लोहे की बजाय सीमेंट की होनी चाहिए चिमनी, पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होनी चाहिए। बोले अधिकारी
जनपद में मानक के विपरीत संचालित 110 ईंट भट्ठों के बंदी का आदेश जारी किया गया है। इन भट्ठों का जीएसटी पंजीयन निरस्त करने के लिए वाणिज्य कर विभाग को पत्र लिखा गया है। इन भट्ठों के संचालन पर कार्रवाई हेतु जिला प्रशासन से संस्तुति की गई है।
-कालिका सिंह
क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।